यह सही है कि पूरे भारत में और विशेषकर हिन्दी भाषी समाज में गिरीश कर्नाड को फ़िल्मों की वजह से अधिक जानते हैं। कन्नड़ और अन्य दक्षिण भारतीय भाषाओं की फ़िल्मों में तो उन्होंने काम किया ही, लेकिन हिंदी फ़िल्मों में भी वह चर्चित अभिनेता रहे। 'उत्सव', 'निशांत', 'मंथन' 'पुकार' से लेकर हाल की 'एक था टाइगर' और `टाइगर ज़िंदा है’ जैसी कई कलात्मक और व्यावसायिक फ़िल्में हैं जिनमें उन्होंने अभिनय किया और इस कारण सुधी दर्शकों से लेकर आम लोगों तक के बीच सराहे गए। लेकिन कर्नाड मूलत: अपने को नाटककार ही मानते हैं। कुछ फ़िल्मों की उन्होंने पटकथाएँ भी लिखी हैं। जैसे यू.आर. अनंतमूर्ति के उपन्यास `संस्कार’ पर इसी नाम से बनी कन्नड़ फ़िल्म में पटकथा उनकी लिखी हुई थी। इस फ़िल्म में उन्होंने अभिनय भी किया।
'तुग़लकी फ़रमान' को कर्नाड ने ही दिखाया
- श्रद्धांजलि
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- रवीन्द्र त्रिपाठी
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- 10 Jun, 2019


रवीन्द्र त्रिपाठी
बचपन में 'यक्षज्ञान’ की प्रस्तुतियाँ देखते हुए उनके भीतर रंगमंच का गहरा लगाव विकसित हुआ जो अभिनय से लेकर नाट्य लेखन की तरफ़ ले गया। हालाँकि शुरू में वह कवि बनना चाहते थे, लेकिन आख़िरकार नाट्य लेखन से जुड़ गए।