‘ऐसे किले जब टूटते हैं तो अन्दर से भरभराकर टूटते हैं!’ सन 1972 में जब यह वाक्य दिल्ली के पुराने किले के ऐतिहासिक अवशेषों के विस्तार में खुले आसमान के नीचे गूंजा था, तो दर्शकों ने उसे इंदिरा गांधी की सल्तनत के भीतर दरारें पड़ने के रूपक के तौर पर समझा था।