राज कपूर-नरगिस की फ़िल्म ‘श्री 420’ का बेहद लोकप्रिय रोमांटिक गाना ‘प्यार हुआ इक़रार हुआ’ याद करिये। गाने की आख़िरी कड़ी में इधर नरगिस के होंठों से लता की आवाज़ में बोल उभरते हैं - मैं न रहूँगी, तुम न रहोगे, फिर भी रहेंगी निशानियाँ, उधर, कैमरा नरगिस की आँख और उंगली के इशारे के साथ-साथ ही घूमता है और परदे पर फुटपाथ से गुज़र रहे तीन बच्चे नज़र आते हैं।
ऋषि क्यों थप्पड़ पर थप्पड़ खाते रहे?
- श्रद्धांजलि
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- 30 Apr, 2020

ऋषि कपूर की शख़्सियत में एक बच्चे की मासूमियत, शरारत, बेचैनी और जोश था। ‘बाॅबी’ फ़िल्म से वह युवा दिलों की धड़कन बन गये थे। ‘बाॅबी’ की कामयाबी ने ऋषि कपूर के लिए हिंदी सिनेमा में एक भले, भोले-भाले, मासूम, ख़ुशमिज़ाज, शरीफ़ शहरी नौजवान के किरदारों का जो साँचा तैयार किया, उनकी सारी अभिनय यात्रा लगभग उसी दायरे में घूमती रही। ऋषि कपूर की चमक कभी फीकी नहीं पड़ेगी।
रेनकोट पहने ये तीनों बच्चे राजकपूर की संतानें थीं- रणधीर कपूर, रितु कपूर और ऋषि कपूर। यह कैमरे पर ऋषि कपूर की पहली झलक थी। ऋषि बमुश्किल तब दो-ढाई साल के थे। इसके पीछे का किस्सा भी कुछ कम दिलचस्प नहीं है। खुद ऋषि कपूर ने अपनी बिंदास आत्मकथा ‘खुल्लमखुल्ला’ में इसका ज़िक्र किया है और यह काफी मज़ेदार है।