पाश महज पंजाबी कविता नहीं, बल्कि समूची भारतीय कविता के लिए एक ज़रूरी नाम हैं, क्योंकि उनके योगदान के उल्लेख के बिना भारतीय साहित्य और समाज के लोकतंत्र का कोई मतलब नहीं बनता है। उन्हें क्रांति का कवि कहा जाता है। जिस तरह की जीवनधारा पाश की रही, उसके बीच से फूटने वाली रचनाशीलता में उनका काम बेजोड़ है क्योंकि उन जैसा सूक्ष्म कलाबोध दुर्लभ है। उनका अपना सौंदर्यशास्त्र है, जो टफ़ तो है पर रफ़ नहीं। वहाँ ग़ुस्सा, उबाल, नफ़रत, प्रोटेस्ट और खूंरेजी तो है ही, गूंजें-अनुगूंजें भी हैं।
पाश को श्रद्धांजलि : सबसे ख़तरनाक होता है हमारे सपनों का मर जाना!
- श्रद्धांजलि
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- 23 Mar, 2020

23 मार्च को ही शहीद दिवस होता है। आज के ही भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फाँसी दी गई थी। और आज ही के दिन यानी 23 मार्च को पंजाबी कवि अवतार सिंह संधू उर्फ 'पाश' को खालिस्तानी उग्रवादियों ने गोली मार दी थी।
पाश यक़ीनन एक प्रतीक हैं और उनके क़िस्से पीढ़ी-दर-पीढ़ी दिमाग़ों में टंके हुए हैं। जब वह जीवित थे, तब भी, कई अर्थों में दूसरों के लिए ही थे। अदब में आसमाँ सरीखा कद रखने वाले पाश धरा के कवि थे।