राजनीति में जनाधार बहुत मायने रखता है और नेता का भविष्य इसी के आधार पर आँका जाता है, लेकिन यह पैमाना लुटियंस की राजनीति में आकर बदल जाता है। यहाँ लोकनेता और जननेता का जनाधार मीडिया, न्यायपालिका और कॉर्पोरेट दुनिया में उनके संपर्क से आँका जाता है। अरुण जेटली इसी लुटियंस की राजनीति के जननेता थे। उनकी छवि एक ऐसा नेता की थी जिसकी दिल्ली के पॉवर कॉरिडोर (सत्ता के गलियारे) में पहुँच थी और जो अपने साथियों को वहाँ उठने वाले बवालों से सही सलामत निकाल लाने की काबिलियत रखता था। अपनी इसी पहचान के दम पर जेटली पिछले चार दशकों से मैदान में डटे हुए थे।