पांच राज्यों के पिछले दिनों हुए विधानसभा चुनाव में मिजोरम के चुनाव नतीजों ने देश भर के लोगों को चौंकाया है। यहां सत्ता में रही मिजो नेशनल फ्रंट या एमएनएफ को करारी हार हुई और एक नई पार्टी जोरम पीपुल्स मूवमेंट या जेएडपीएम को भारी जीत मिली है।
मिज़ोरम विधानसभा चुनाव में प्रचार के लिए पहले से तय कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दौरा अब आख़िर क्यों नहीं हो पा रहा है? जानिए, क्या वजह है और कांग्रस ने क्या आरोप लगाया।
बीजेपी के साथ एनडीए गठबंधन में होने के बावजूद मणिपुर के मुख्यमंत्री ज़ोरमथंगा आख़िर क्यों कह रहे हैं कि वह प्रधानमंत्री मोदी के साथ मंच साझा नहीं करेंगे?
मिज़ोरम विधानसभा चुनावों में बीजेपी और कांग्रेस दोनों अपनी पकड़ मज़बूत करने में जुटे हैं, लेकिन क्या वे एमएनएफ़ और जेडपीएम के गढ़ में सेंध लगा पाएँगे? जानिए, दोनों दल किस तरह कसरत कर रहे हैं।
मणिपुर हिंसा को रोकने में जितनी ज़्यादा देरी होगी क्या उससे बीजेपी को उतना ही ज़्यादा नुक़सान होगा? जानिए मिज़ोरम में पार्टी के एक पदाधिकारी ने क्या आरोप लगाकर इस्तीफा दिया।
पूरे देश में क्या समान नागरिक संहिता को लाना संभव है? जहाँ कुछ राज्य इसके पक्ष में प्रस्ताव ला रहे हैं तो कुछ कुछ राज्य विरोध में। जानिए किस आधार पर मिज़ोरम विधानसभा ने विरोध में प्रस्ताव पास किया।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से टेलीफ़ोन पर बातचीत के बाद मिज़ोरम के मुख्यमंत्री ज़ोरमथंगा ने कहा है कि वे सीमा विवाद सुलझाने के लिए असम के मुख्यमंत्री के साथ बात करने को तैयार हैं।
असम स्थित कछार ज़िले के उपायुक्त कीर्ति जल्ली ने मिज़ोरम सरकार पर आरोप लगाया है कि वह आम नागरिकों के बीच हथियार बाँट रही है और इसमें कुछ पूर्व चरमपंथी भी हैं।
असम सरकार ने एक एडवायज़री जारी कर असम के लोगों से कहा है कि वे मिज़ोरम न जाएं क्योंकि उनकी जान को ख़तरा है और इसे किसी भी रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता है।
असम-मिज़ोरम झड़प के बाद दोनों राज्यों की सीमा पर केंद्रीय बल तैनात कर दिया गया है, लेकिन विवाद नहीं थम रहा है। ताज़ा विवाद मिज़ोरम के राज्यसभा सदस्य के. वनललवेना के बयान को लेकर उठ खड़ा हुआ है।