मणिपुर के बाद क्या मैतेई लोगों की समस्या अब मिज़ोरम में पैदा होने वाली है? राज्य में पूर्व विद्रोहियों के आह्वान के बाद दक्षिणी असम और मणिपुर के सैकड़ों मैतेई लोगों के मिज़ोरम छोड़ने की रिपोर्ट आई है। बढ़ती चिंताओं के बीच अब मिजोरम सरकार ने राज्य में मैतेई लोगों की सुरक्षा का आश्वासन दिया है।
मिज़ोरम में तब मैतेई लोगों की सुरक्षा का सवाल उठने लगा जब एक पूर्व उग्रवादी संगठन ने मैतेई के लिए 'एडवाइजरी' जारी की। यह एडवाइजरी मणिपुर में भीड़ द्वारा दो आदिवासी महिलाओं के कपड़े उतारकर उन्हें नग्न घुमाने वाले एक वायरल वीडियो के कारण बढ़े तनाव के बाद आई है।
मणिपुर में 3 मई को हिंसा शुरू होने के अगले दिन यानी 4 मई को दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाया गया व सामूहिक दुष्कर्म किया गया। 18 मई को एफ़आईआर हुई। फिर भी 62 दिन तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब कार्रवाई तब हो रही है जब उस घटना का वीडियो वायरल हुआ है और इसने पूरे देश को झकझोर दिया है।
3 मई को मणिपुर में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से 100 से अधिक लोग मारे गए हैं और कई घायल हुए हैं। यह हिंसा अभी भी जारी है। राज्यपाल अनुसुइया उइके ने इस बात को कहा है। उन्होंने कहा था, 'आज भी कहीं न कहीं हिंसा हो रही है। करीब 350 कैम्पों में 60 हजार से ज्यादा बच्चे, महिलाएँ और पुरुष रह रहे हैं। केंद्र को दोनों कम्युनिटी को बैठाकर बात करनी चाहिए। जब तक बैठकर मसले को सुलझाया नहीं जाएगा, तब तक शांति नहीं लौटेगी।'
प्रभावशाली नागरिक समाज समूह, सेंट्रल यंग मिज़ो एसोसिएशन ने मैतेई लोगों को शांति से रहने के लिए प्रोत्साहित किया है। मिज़ो छात्र संघ ने राज्य सरकार के साथ चर्चा के बाद मिजोरम में मैतेई के बारे में डेटा एकत्र करने के अपने प्रस्तावित अभियान को रोकने का फैसला किया है।
मणिपुर सरकार ने स्थिति बिगड़ने पर चार्टर्ड फ्लाइट के जरिए उन्हें राज्य से निकालने की इच्छा जताई है। हालाँकि, अभी तक मैतेई समुदाय पर किसी हमले की सूचना नहीं मिली है।
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