कांग्रेस और टीएमसी में दरार पड़ने की अटकलों के बीच अब लगता है कि कांग्रेस भी लड़ाई के मूड में आ गई है। मेघालय में ममता बनर्जी की पार्टी ने कांग्रेस के जिन 12 विधायकों को तोड़कर तृणमूल में शामिल किया उनको अयोग्य घोषित करने के प्रयास में कांग्रेस जुट गई है।
कांग्रेस के नेताओं को तोड़ने के बाद से माना जा रहा है कि तृणमूल के साथ उसके रिश्तों में खटास आई है। पिछले हफ़्ते ही ममता बनर्जी ने सोनिया गांधी को लेकर तीखी टिप्पणी की थी। दिल्ली में प्रधानमंत्री मोदी से मिलने वाली ममता बनर्जी ने सोनिया गांधी से मुलाक़ात को लेकर एक सवाल के जवाब में पहले तो कहा था कि 'वे पंजाब चुनाव में व्यस्त हैं', लेकिन बाद में उन्होंने कहा कि 'हमें हर बार सोनिया से क्यों मिलना चाहिए? क्या यह संवैधानिक बाध्यता है?' ममता बनर्जी के इस बयान में साफ़ तौर पर तल्खी दिखी।
ममता बनर्जी का जिस दिन यह बयान आया था उसी दिन यह ख़बर भी आई थी कि पूर्व मुख्यमंत्री मुकुल संगमा सहित कांग्रेस के 12 विधायक ममता बनर्जी की पार्टी में चले गए हैं। मेघालय में कांग्रेस के कुल 17 सांसद थे, लेकिन अब सिर्फ़ पाँच बचे हैं। इन विधायकों ने अब कांग्रेस विधायक दल के नेता के रूप में अम्परिन लिंगदोह को चुना है।
इसी मामले में क़रीब एक हफ़्ते बाद अब मेघालय प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विंसेंट एच पाला ने सोमवार को स्पीकर मेटबाह लिंगदोह से मुलाक़ात की। उन्होंने उन सभी 12 विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग की।
'इकॉनमिक टाइम्स' की रिपोर्ट के अनुसार, कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने स्पीकर को बताया कि असंतुष्ट विधायकों ने पार्टी फोरम में इस क़दम पर कभी चर्चा नहीं की। कांग्रेस नेता पीएन सिएम ने कहा, 'हमें विश्वास है कि स्पीकर हमारे मामले पर विचार करेंगे और हम केस जीतेंगे। हम कांग्रेस के साथ हैं और हम इस पर अडिग हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री मुकुल संगमा के नेतृत्व में कांग्रेस के 17 में से 12 विधायकों ने गुरुवार को स्पीकर को एक पत्र सौंपा था, जिसमें तृणमूल कांग्रेस के साथ उनके विलय की घोषणा की गई थी।
मुकुल संगमा ने गुरुवार को कहा, 'हमारे राज्य और देश में मौजूदा राजनीतिक स्थिति को देखते हुए, हम बता सकते हैं कि यह कैसे एक बहुत ही सोच-समझकर लिया गया निर्णय है।'
फ़िलहाल मेघालय डेमोक्रेटिक एलायंस की सरकार है। 2018 में छह राजनीतिक दलों ने मेघालय डेमोक्रेटिक एलायंस यानी एमडीए गठबंधन बनाया था और नई सरकार बनाई थी। 2018 से पहले कांग्रेस राज्य में शासन कर रही थी।
राजनीतिक हलकों में कांग्रेस नेताओं के तृणमूल यानी टीएमसी में जाने पर दोनों दलों के बीच रिश्तों को लेकर सवाल उठ रहे हैं। ममता बनर्जी लगातार कांग्रेस के नेताओं को तोड़ रही हैं। गोवा से लेकर दिल्ली, हरियाणा और यूपी में जिन नेताओं को तृणमूल अपने खेमे में ला रही है उसमें सबसे ज़्यादा नुक़सान कांग्रेस का ही हो रहा है। हाल ही में दिल्ली में कीर्ति आज़ाद टीएमसी में शामिल हुए हैं। गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री लुईजिन्हो फलेरो के अलावा महिला कांग्रेस की अध्यक्ष रहीं सुष्मिता देव, उत्तर प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष रहे ललितेश पति त्रिपाठी और राहुल गांधी के पूर्व सहयोगी अशोक तंवर भी कांग्रेस से टीएमसी में शामिल हो गए हैं।
अब तक माना जाता रहा है कि ममता बनर्जी और सोनिया गांधी के बीच अच्छे समीकरण रहे हैं। दोनों नेता अक्सर विपक्षी एकता की बात करती रही हैं और बीजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन एनडीए के ख़िलाफ़ एकजुटता की बात करती रही थीं। लेकिन लगता है कि ऐसी एकजुटता सिर्फ़ चर्चाओं तक ही सीमित न हो जाए!
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