कांग्रेस ने अपनी भारत जोड़ो न्याय यात्रा को असम में रोक दिया है। यात्रा अब असम में निकल कर मेघालय पहुंची है। कांग्रेस पार्टी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा अपने नौवें दिन सोमवार की शाम मेघालय पहुंच गई है।
इस यात्रा की जानकारी देते हुए कांग्रेस ने एक्स पर लिखा है कि राहुल गांधी के नेतृत्व में 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' मेघालय की धरती पर आगे बढ़ रही है। इस महायात्रा को मिल रहा अपार जनसमर्थन और प्यार, अन्याय के खिलाफ जारी लड़ाई को मजबूती दे रहा है।
इससे पहले सोमवार को राहुल गांधी असम के नगांव पहुंचे थे जहां वह बोर्दोवा थान में संत श्री शंकरदेव के जन्मस्थल पर जाना चाहते थे लेकिन उन्हें और कई दूसरे कांग्रेसी नेताओं को रास्ते में ही रोक दिया गया। रोके जाने के कुछ घंटों बाद यात्रा को असम में पार्टी ने स्थगित कर दिया है।
रोके जाने पर कांग्रेसी नेताओं की सुरक्षाबलों से बहस हुई थी और राहुल गांधी वहीं धरने पर बैठ गए थे। इन्हें अयोध्या के राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के बाद दोपहर 3 बजे मंदिर आने के लिए कहा गया था।
धरने पर बैठे राहुल गांधी ने कहा था कि मैंने कौन-सा अपराध किया है कि मैं मंदिर नहीं जा सकता? क्या प्रधानमंत्री मोदी तय करेंगे कि मंदिर कौन जाएगा। आज क्या सिर्फ एक ही व्यक्ति मंदिर जा सकता है। उन्होंने कहा कि, मैं शंकरदेव की विचारधारा में विश्वास रखता हूं, वे हमारे गुरु की तरह हैं, इसलिए मैंने सोचा था कि जब भी मैं असम मआऊंगा, उनका आशीर्वाद जरूर लूंगा।
राहुल गांधी ने असम में कहा कि मुझे 11 जनवरी को इसका न्योता मिला था लेकिन रविवार को बताया गया कि यहां कानून व्यवस्था के बिगड़ने का खतरा है। उनका यह कहना संदेह पैदा करता है। गौरव गोगई और अन्य नेताओं को तो नहीं रोका गया, सिर्फ मुझे रोका गया है।
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प्रशासन ने हिंसा की आशंका बता रोका था
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक राहुल गांधी को उनकी भारत जोड़ो न्याय यात्रा के बीच सोमवार को असम के मोरीगांव में नुक्कड़ सभाएं और पदयात्रा करने की इजाजत नहीं दी गई।मोरीगांव जिला आयुक्त ने सोमवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी से भारत जोड़ो न्याय यात्रा के हिस्से के रूप में सड़क और नुक्कड़ पर सभा और पदयात्रा करने से परहेज करने को कहा था। प्रशासन का मानना था कि शरारती तत्व जिले में शांति को बाधित करने की कोशिश कर सकते हैं।
यह घटनाक्रम कांग्रेस नेता को सत्रा (शंकरदेव की जन्मस्थली) जाते समय हैबरगांव में रोके जाने के कुछ घंटों बाद हुआ, जहां उन्होंने वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं और समर्थकों के साथ धरना दिया था।
इंडिया टुडे की रिपोर्ट कहती है कि खुफिया सूचनाओं के आधार पर, जिला प्रशासन को ऐसे शरारती तत्वों की संलिप्तता की आशंका थी, जो एक ही दिन में होने वाली दो बड़ी घटनाओं का फायदा उठाकर जिले की शांति को बाधित करने की कोशिश कर सकते हैं। प्रशासन ने इसको लेकर कांग्रेस पदाधिकारियों को पत्र भी लिखा था।
असम में राहुल गांधी ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा था कि कानून और व्यवस्था का हवाला देकर मुझे रोका गया है लेकिन हर कोई वैष्णव संत श्रीमंत शंकरदेव के जन्मस्थान पर जा सकता है, केवल "राहुल गांधी नहीं जा सकते"।
राहुल गांधी का बयान पार्टी सांसद गौरव गोगोई और बताद्रवा विधायक सिबामोनी बोरा के संदर्भ में आया था, जिन्हें मंदिर में जाने की अनुमति दी गई थी। उनके लौटने के बाद, राहुल गांधी ने संवाददाताओं से कहा कि शंकरदेव की तरह, ''हम भी लोगों को एक साथ लाने और नफरत फैलाने में विश्वास नहीं करते हैं।
उन्होंने कहा, "वह हमारे लिए एक गुरु की तरह हैं और हमें दिशा देते हैं। मेरा मानना है कि असम और पूरे देश को शंकरदेव द्वारा दिखाए गए रास्ते पर चलना चाहिए।
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