मीडिया में चार दशक से ज्यादा काम करने के बाद भी मैं आज इस पशोपेश में हूं कि मुझे या आपको मीडिया की प्राथमिकताओं पर हंसना चाहिए या रोना चाहिए? मीडिया की प्राथमिकताओं का जन पक्षधरता से कितना करीबी रिश्ता है, इसका आकलन भी मीडिया की प्राथमिकताओं से किया जा सकता है। आज भारतीय मीडिया की प्राथमिकताओं के मामले में प्रतिस्पर्धा या तो अपने आप से है या फिर सत्तारूढ़ पार्टी से। यदि आप नियमित टीवी देखते हैं या अखबार पढ़ते हैं तो आप इस भेद को आसानी से समझ सकते हैं।