हमारे देश की संसद बनी तो थी देश के मुद्दों पर बहस-मुबाहिसे के लिए लेकिन अब यहां केवल हंगामा होता है। वजह साफ़ है कि जो भी सत्तासीन होता है, ज्वलंत मुद्दों पर बहस से कतराता है। आज के प्रधानमंत्री मोदी और उनकी पार्टी भी बहस से कतरा रही है। मुझे सत्तारूढ़ दल और उसके नेताओं की इस कातरता पर कोई हैरानी नहीं है लेकिन विपक्ष है कि मानता ही नहीं। उसे मणिपुर मुद्दे पर प्रधानमंत्री का ही बयान सुनना है।