जेल नियमों में बदलाव कर
मध्य प्रदेश में भी एक नेता को रिहा कर दिया गया। आनंद मोहन की रिहाई पर शोर मचा
रही बीजेपी की सरकार वाले राज्य मध्य़ प्रदेश में इस नेता को कैबिनेट मंत्री का
दर्जा प्राप्त है।
पिछले हफ्ते मध्य प्रदेश
के गृह मंत्रालय से मंजूरी मिलने के बाद मुरैना से पूर्व विधायक रघुराज सिंह कंसाना के खिलाफ सभी आपराधिक मामले रद्द कर दिए गए
हैं। कंसाना कई मामलों में
आरोपी थे। उन पर 2012 में मुरैना में
डकैती, हत्या का प्रयास और अपहरण
जैसे गंभीर अपराधों का आरोप लगाया गया था।
रघुराज सिंह कंसाना 2018 में कांग्रेस पार्टी के टिकट पर विधायक चुने
गए थे। विधायक चुने जाने के कुछ समय बाद ही, कमलनाथ सरकार ने उनके खिलाफ दर्ज कराए गए मामलों को खारिज
करने का प्रयास किया। लेकिन उस समय कानून मंत्रालय ने इस मांग को यह कहकर खारिज कर
दिया कि आरोप इतने गंभीर हैं कि उन्हें हटाया नहीं जा सकता।
2019 में सीबीआई ने
भी बैंक धोखाधड़ी के एक मामले में मुरैना में कंसाना के आवास पर तलाशी ली थी,
बैंक धोखाधड़ी के इस मामले में कंसाना का भतीजा
आरोपी है।
कंसाना 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस से
बगावत करते हुए बीजेपी में शामिल हो गए। सदस्यता जाने के बाद खाली हुई सीट पर
उन्होंने उपचुनाव लड़ा, लेकिन हार गए।
लेकिन बीजेपी सरकार ने कंसाना को पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग का
अध्यक्ष बना दिया, जिसके चलते
उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिल गया।
एनडीटीवी की खबर के
अनुसार पिछले ही हफ्ते गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव ने गृह मंत्री को इस
संबंध में एक प्रस्ताव भेजा था, जिसमें कहा गया
था कि कंसाना के खिलाफ मामला वापस लेने के लिए विभागीय सहमति पर विचार के लिए उचित
आदेश के संबंध में प्रस्तुत किया जाता है। अगले दिन, 19 अप्रैल को गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने रघुराज
सिंह कंसाना के खिलाफ आपराधिक मुकदमा वापस लेने का फैसला किया। एनडीटीवी के दावे
के अनुसार उसके पास इससे जुड़े सारे दस्तावेज मौजूद हैं।
इस बारे में पूछे जाने पर
गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा, 'जब जिले के विधि विभाग या स्थानीय प्रशासन से रिपोर्ट आती है तो ऐसे मामले
वापस ले लिए जाते हैं।' कांग्रेस के
प्रवक्ता केके मिश्रा ने दावा किया कि अपराध नियंत्रण के प्रभारी गृह मंत्री
द्वारा लिखा गया नोट कानून-व्यवस्था की स्थिति को उजागर करने के लिए पर्याप्त है।
अपनी राय बतायें