ऐसे समय जब चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर कई बार सवाल उठ चुके हैं, सुप्रीम कोर्ट ने उसे कड़ी फटकार लगाई है। सर्वोच्च न्यायाल ने
कांग्रेस नेता कमलनाथ को मध्य प्रदेश उपचुनाव में 'स्टार प्रचारक' के पद से हटाने के चुनाव आयोग के फ़ैसले पर रोक लगा दी है।
इसके साथ ही उसने चुनाव आयोग से पूछा है, “किसी को पार्टी के स्टार प्रचारक की सूची से हटाने वाले आप कौन होते है? यह फ़ैसला आप करेंगे या पार्टी का नेता करेगा?”
याद दिला दें कि एक के बाद कई विवादास्पद बयान देने के बाद चुनाव आयोग ने 30 अक्टूबर को कमलनाथ को मध्य प्रदेश उपचुनावों में कांग्रेस पार्टी के 'स्टार प्रचारक' के पद से हटा दिया था। आयोग ने कहा था कि कमलनाथ ने चुनाव आचार संहिता का कई बार उल्लंघन किया है।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एस. ए. बोबडे ने कहा,
“
“आपको यह हक़ कहां से मिला है कि आप किसी राजनीतिक दल के नेता का निर्धारण कर सकें? यह आप तय करेंगे या पार्टी तय करेगी कि उसका स्टार प्रचारक कौन होगा?”
जस्टिस एस. ए. बोबडे, मुख्य न्यायाधीश
विवादों में कमलनाथ
कमलनाथ ने इसके पहले भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार
इमरती देवी को 'आइटम' कह दिया था, जिस पर आयोग ने उन्हें नोटिस दिया था। मध्य प्रदेश के इस पूर्व मुख्यमंत्री ने डाबरा में कांग्रेस उम्मीदवार का प्रचार करते हुए कहा था कि वह तो सीधे-साधे हैं जबकि उनकी विरोधी 'आइटम' हैं।
इसके पहले इमरती देवी ने कमलनाथ पर निशाना साधते हुए कहा था, “कमलनाथ अपनी सरकार को बनाए रखने के लिए कांग्रेस के अनेक सक्रिय और जुझारू विधायकों को पांच लाख रुपये महीना दिया करते थे। विधायकों को यह राशि अपना मुंह बंद रखने के लिए दी जाती थी।”
कमलनाथ सरकार में महिला एवं बाल विकास विभाग की मंत्री रहीं इमरती देवी विशुद्ध रूप से ज्योतिरादित्य सिंधिया की समर्थक हैं। कमलनाथ की सरकार को गिराने के लिए जिन मंत्रियों ने कांग्रेस विधायक पद से इस्तीफे दिये थे, उनमें इमरती देवी भी ऊपरी पायदान पर रहीं थीं। बाद में वे तमाम साथी विधायकों के साथ कांग्रेस को छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गई थीं।
इमरती देवी की गिनती बेहद तेज-तर्रार नेताओं में होती है। वे अनुसूचित जाति वर्ग से हैं। अनेक बार अपने अटपटे बयानों को लेकर सुर्खियों में रही हैं, या यूं भी कह सकते हैं कि उनके बयानों पर बवाल होते रहते हैं।
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