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मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद के बड़े दावेदारों में शुमार राज्य की सरकार के प्रवक्ता और गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ‘धीरे से जोर का झटका’ दिया है। सीएम शिवराज सिंह ने रविवार सुबह घोषणा की कि उनकी सरकार भोपाल और इंदौर में तत्काल प्रभाव से पुलिस कमिश्नर सिस्टम को लागू करेगी।
चौंकाने वाली बात यह है कि मध्य प्रदेश के गृहमंत्री मिश्रा ने पिछले दिनों राज्य के बड़े शहरों में पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू किये जाने संबंधी सवाल को यह कहते हुए खारिज किया था कि -‘उनके विभाग को प्रदेश के कुछ शहरों में पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू करने संबंधी किसी भी तरह का कोई प्रस्ताव नहीं मिला है। कोई भी फाइल इस बारे में गृह विभाग के पास लंबित नही है।’ गृहमंत्री मिश्रा ने राज्य की क़ानून-व्यवस्था की स्थिति चाक-चौबंद होने की बात कहते हुए संकेतों में साफ़ कर दिया था, ‘प्रदेश में पुलिस कमिश्नर सिस्टम की ज़रूरत वे महसूस नहीं कर रहे हैं।’
गृहमंत्री का बयान राज्य की मीडिया की बड़ी सुर्खियों में शामिल रहा था। रिपोर्टों में प्रदेश में पुलिस कमिश्नर सिस्टम के टॉपिक के क्लोज हो जाने तक की बात कही गई थी। गृहमंत्री के स्पष्ट बयान के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के क़दम को प्रेक्षक ‘गृहमंत्री को उनकी हैसियत बताने वाला क़दम मान रहे हैं। प्रतिपक्ष कांग्रेस भी सरकार के दो बड़े नेताओं में कथित फूट पर चटखारे ले रही है।’
मध्य प्रदेश कांग्रेस मीडिया सेल के उपाध्यक्ष भूपेन्द्र गुप्ता कह रहे हैं, ‘राज्य की सरकार में सबकुछ ठीक नहीं है। मुख्यमंत्री पद की लड़ाई चरम पर है। इसके दुष्परिणाम सूबा झेल रहा है। अपराध चरम पर हैं। अंकुश नहीं लग पा रहा है।’
गुप्ता आगे कहते हैं, ‘पुलिस कमिश्नर सिस्टम गृह विभाग को बिना विश्वास में लिए राज्य में लागू किये जाने का निर्णय सीएम और गृहमंत्री की आपसी खींचतान का ज्वलंत उदाहरण है।’
गृहमंत्री वीकेंड पर अपने निर्वाचन क्षेत्र दतिया में होते हैं। आज भी वहीं थे। भोपाल और इंदौर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने की रविवार को भोपाल में सीएम द्वारा घोषणा के बाद गृहमंत्री मिश्रा को जो बयान आया उसमें उनकी खिन्नता स्पष्ट नज़र आयी।
गृहमंत्री ने अपने बयान में कहा,
“
माननीय मुख्यमंत्री जी को क़ानून व्यवस्था के सुदृढ़ीकरण के लिए भोपाल और इंदौर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने के लिए धन्यवाद।
नरोत्तम मिश्रा
शिवराज सरकार के प्रवक्ता मिश्रा ने यह भी कहा, ‘कमिश्नर प्रणाली लागू होने पर पुलिस के अधिकार काफी हद तक बढ़ जाएंगे। कानून-व्यस्था से जुड़े तमाम मुद्दों पर पुलिस कमिश्नर निर्णय ले सकेंगे। जिले में डीएम के पास अटकी रहने वाली तमाम फाइलों को अनुमति लेने का तमाम तरह का झंझट भी ख़त्म हो जाएगा।’
मध्यप्रदेश में बीजेपी की सरकार के आने के बाद 2003 से 2018 तक लगातार तीन कार्यकालों के बीच राज्य के महानगरों में पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू करने की बात जब-तब उठती रही। विधानसभा में यह मामला कई बार आया। पुलिस कमिश्नर सिस्टम बातचीत और घोषणाओं तक ही सीमित रहा।
शिवराज सिंह के चौथी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद यह मामला वैसे नहीं उठा, जैसे कि उनके पूर्व के कार्यकालों में उठा करता था। पिछले दिनों गृहमंत्री से सवाल हुआ था और आज अचानक सीएम ने भोपाल और इंदौर में इस सिस्टम को लागू करने की घोषणा कर दी।
बहरहाल, मध्यप्रदेश के बड़े शहरों में बढ़ती आबादी के मद्देनज़र पुलिस कमिश्नर सिस्टम समय की मांग मानी जाती रही है। सिस्टम लागू होने के कई फायदे आमजन और सबसे ज़्यादा पुलिस को होंगे। जानकार कह रहे हैं, ‘सिस्टम लागू होने के बाद पुलिस के निरंकुश होने पर सरकार को अंकुश लगाकर रखना होगा।’
हालांकि देश के कई राज्यों में पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू है और सफलता के साथ संचालित भी हो रहा है।
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