केन्द्रीय मंत्री एवं मध्य प्रदेश की दमोह सीट से भाजपा के सांसद प्रह्लाद पटेल को सेक्सटार्शन कॉल किया गया। कॉल करने वालों ने पैसों की मांग करते हुए धमकी दी, ‘पैसे नहीं दिए तो वीडियो वायरल कर देंगे।’ केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग और जल शक्ति राज्य मंत्री प्रह्लाद पटेल के पर्सनल सेक्रेटरी आलोक मोहन ने दिल्ली पुलिस को शिकायत की।
शिकायत में बताया गया, ‘मंत्री जी को वीडियो कॉल आया। कॉल रिसीव करते ही एक लड़की ने कपड़े उतारना शुरू कर दिए। माज़रा समझते ही मंत्री जी ने तत्काल कॉल को डिस्कनेक्ट कर दिया।’ कॉल काटने के कुछ ही देर में मंत्री पटेल से ब्लैकमेलिंग शुरू हो गई। शिकायत के मुताबिक़, ब्लैकमेल करने पर आमादा लोगों ने उनसे पैसों की मांग की।
भरतपुर से गिरफ्तारी
प्रह्लाद पटेल के पर्सनल सेक्रेटरी आलोक मोहन की शिकायत को क्राइम ब्रांच को ट्रांसफर कर दिया गया। क्राइम ब्रांच ने तहकीकात करते हुए दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। दोनों आरोपियों- मोहम्मद वकील और मोहम्मद साहिब को राजस्थान के भरतपुर से पकड़ा गया है। पुलिस सूत्रों ने बताया है कि इसका मास्टरमाइंड साबिर नाम का शख्स है जो फिलहाल फरार है। पुलिस उसकी तलाश कर रही है।
सेक्सटॉर्शन साइबर अपराध का एक रूप है जहां व्यक्तियों को इस तरह के अश्लील वीडियो कॉल किए जाते हैं और फिर उनकी वीडियो रिकॉर्डिंग कर उन्हें ब्लैकमेल किया जाता है।
दरअसल, सेक्सटॉर्शन एक गंभीर अपराध है जिसके पीड़ितों पर मनोवैज्ञानिक, भावनात्मक और सामाजिक दुष्परिणाम हो सकते हैं। इसीलिए ऑनलाइन निजी जानकारी साझा करने के बारे में सतर्क रहना ज़रूरी है। इसके बाद भी अगर इस तरह का कोई कॉल आता है या फिर कोई आपको ब्लैकमेल करता है तो डरने की बजाय तुरंत पुलिस को सूचित करें।
यदि आप सेक्सटॉर्शन का शिकार हो जाते हैं तो दोस्तों, परिवार और पुलिस से सहायता लेना आवश्यक है जो स्थिति से निपटने और इसमें शामिल कानूनी पहलुओं को समझने में आपकी मदद कर सकते हैं।
साइबर क्राइम करने वालों के हौसले बुलंद
पटेल के पहले मध्य प्रदेश के भोपाल से भाजपा की तेज़तर्रार सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर भी ऐसे ही कॉल की शिकार हो चुकी हैं। उन्हें भी ब्लैकमेल करने का प्रयास सेक्सटार्शन करने वालों ने किया था। लेकिव शिकायत के बाद वे लोग पकड़े गए थे।
आम शिकार की शिकायत पर नहीं होती त्वरित कार्रवाई!
सेक्सटार्शन आम बात हो गई है। इस जाल में फंस जाने वाले सामाजिक बदनामी के डर से ब्लैकमेल होते हैं। मप्र में भी कई मामले ऐसे हुए हैं। कुछ मामलों में ब्लैकमेलिंग से परेशान होकर सुसाइड करने तक के मामले आए हैं।
आरोप है कि रसूखदार लोगों की शिकायत पर एक्शन हो जाता है, लेकिन पुलिस के चक्कर लगाते हुए आम आदमी की चप्पलें घिस जाती हैं। पुलिस मदद की बजाय लज्जित करती है। अपमानित करती है।
अपनी राय बतायें