मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अंततः अपने काबीना सहयोगियों को विभाग बाँट दिये। विभागों के वितरण में उन्हें दस दिन लगे। विभाग वितरण में भी शिवराज सिंह की मजबूरी साफ़ तौर पर उभरी। दरअसल, अधिकांश भारी-भरकम और ‘मलाईदार’ विभाग ना चाहते हुए भी पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक मंत्रियों को देने पड़े। बीजेपी के मंत्रियों के हिस्से में ‘छाछ’ ही आ पायी।
बता दें कि शिवराज ने अपनी काबीना का विस्तार दो जुलाई को किया था। विस्तार में सिंधिया समर्थक नौ और ग़ैर विधायकों को काबीना में जगह दी गई थी। जबकि कांग्रेस से बीजेपी में आये तीन पूर्व विधायकों को भी कैबिनेट में लिया गया था। कुल 28 चेहरे शिवराज ने मंत्रिमंडल में शामिल किये।
दो जुलाई के बाद से विभागों के वितरण को लेकर उठापटक चल रही थी। मलाईदार विभाग अपने समर्थकों को दिलाने के लिए सिंधिया अड़े हुए थे। शिवराज दिल्ली भी गये थे। आला नेताओं से मंथन किया था। सिंधिया के साथ भी लंबी माथा-पच्ची की थी। लेकिन बात नहीं बन पायी थी। पुनः होमवर्क करने को कहा गया था।
तमाम होमवर्क के बाद रविवार को भोपाल में पूरे दिन चली गहमा-गहमी के बाद शिवराज ने आधी रात को मंत्रिमंडल के सदस्यों को विभागों के वितरण की सूची जारी की। सूची जारी होने के बाद साफ़ हो गया कि सिंधिया और उनके समर्थकों के मन की भरपूर हुई।
मसलन, सिंधिया के राइट और लेफ़्ट हैंड, क्रमशः तुलसी सिलावट को जल संसाधन (साथ में मछुआ कल्याण तथा मत्स्य विभाग भी) और गोविंद सिंह राजपूत को राजस्व और परिवहन जैसे अहम विभाग मिल गये।
सिंधिया समर्थक अन्य मंत्रियों में इमरती देवी महिला एवं बाल विकास विभाग, प्रभुराम चौधरी लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, महेन्द्र सिंह सिसोदिया पंचायत और ग्रामीण विकास, प्रद्युम्न सिंह ऊर्जा और राज्यवर्धन सिंह दत्तीगाँव औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग पाने में कामयाब हुए।
सिंधिया के समर्थक राज्यमंत्री बृजेन्द्र सिंह यादव को लोक स्वास्थ्य एवं यांत्रिकी, गिर्राज दंडोतिया को किसान कल्याण तथा कृषि विकास, सुरेश धाकड़ को लोक निर्माण और ओ.पी.एस. भदौरिया को नगरीय विकास एवं आवास विभाग का दायित्व सौंपा गया।
कमलनाथ सरकार को गिराने के लिए चले ‘खेल’ के समय पाला बदलने वाले कांग्रेस के पुराने वरिष्ठ विधायकों को बीजेपी ज्वाइन करने के एवज़ में बड़े महकमों से नवाज़ा गया।
ऐसे पूर्व विधायकों में बिसाहूलाल सिंह को खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण, एंदल सिंह कंसाना को लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी और हरदीप सिंह डंग को नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा और पर्यावरण विभाग की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है।
कई विभाग संभालने वाले मंत्रियों का रसूख़ हुआ कम
शिवराज की पूर्व काबीना में भारी-भरकम और कई-कई महकमों की ज़िम्मेदारी संभालने वाले बीजेपी खेमे के अनेक मंत्रियों का रसूख नए हालातों में बेहद कम हो गया। उदाहरण के लिए आठ बार के विधायक और कमलनाथ सरकार के दौरान विपक्ष का नेता रहे वरिष्ठ मंत्री गोपाल भार्गव को लोक निर्माण और कुटीर एवं ग्रामोद्योग जैसे कमतर विभाग भर मिल पाये। शिवराज की पूर्व सरकारों में वे आधा दर्जन तक अहम विभागों को देखते रहे।
मुख्यमंत्री पद के दावेदार और सरकार में नंबर टू माने जाने वाले नरोत्तम मिश्रा के पास गृह और लोक स्वास्थ्य विभाग पहले था। ताज़ा वितरण के बाद बेहद अहम हेल्थ डिपार्टमेंट उनसे वापस लेकर सिंधिया समर्थक प्रभुराम चौधरी को दे दिया गया। जबकि मिश्रा के विभागों में जेल, संसदीय कार्य और विधि महकमे जोड़ दिये गये।
बीजेपी के वरिष्ठ मंत्री और आदिवासी नेता विजय शाह को महज वन विभाग भर मिल पाया। शिवराज की पूर्व की सरकारों में शाह के पास भी तीन से लेकर पाँच-छह विभागों का ज़िम्मा रहा।
वाणिज्यिक कर और वित्त बीजेपी के पास
बताया गया है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया वाणिज्यिक कर महकमा भी चाहते थे। इस विभाग को लेकर ही सबसे ज़्यादा खींचतान हुई और सूची लेट हुई। मगर अंत में वाणिज्यिक कर महकमा बीजेपी अपने खाते में रखने में सफल हुई। यह महकमा वरिष्ठ मंत्री जगदीश देवड़ा को सौंपा गया है। उन्हें वित्त विभाग का दायित्व भी मिला है।
निगम-मंडल में एडजस्टमेंट भी
कमलनाथ सरकार में खनिज महकमे के मंत्री रहे निर्दलीय विधायक प्रदीप जायसवाल ने कमलनाथ सरकार के गिरते समय पाला बदला था। शिवराज सरकार ने रविवार को उन्हें खनिज विकास निगम का अध्यक्ष बना दिया। कैबिनेट मंत्री का दर्जा जायसवाल को दिया गया है।
छतरपुर ज़िले के बड़े मलहरा से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतने वाले प्रद्युम्न सिंह लोधी को इतवार को ही खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम के अध्यक्ष पद की कुर्सी से नवाजा गया। लोधी रविवार सुबह ही कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थामा था। उमा भारती ने लोधी को बीजेपी में लाने में अहम भूमिका अदा की है।
मंत्रियों के विभाग बँटवारे का राजस्थान ‘कनेक्शन’!
मुख्यमंत्री शिवराज या यूँ कहें बीजेपी आलाकमान ने मध्य प्रदेश काबीना में सिंधिया समर्थक और कांग्रेस के अन्य पूर्व विधायकों को जिस तरह से विभाग वितरण में ‘मलाई बाँटी’ उसके नैपथ्य में कहीं ना कहीं ‘राजस्थान’ बना रहा।
दरअसल, राजस्थान में सचिन पायलट ‘टूट’ रहे हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया की भूमिका इसमें है। साफ़ है, सिंधिया को बीजेपी का ‘कुनबा’ बढ़ाने का पारितोषिक उनके समर्थक ग़ैर विधायकों को मनमाफ़िक विभाग बाँटकर बीजेपी ने दिया। साथ ही मध्य प्रदेश में मुक्त हाथों से मंत्री और विभाग बाँटकर यह भी संदेश दे दिया है कि बीजेपी में आने वालों को ‘निराश’ नहीं होने दिया जाएगा। बीजेपी का साथ जो भी देगा, बीजेपी उसका ‘विकास’ करेगी।
अपनी राय बतायें