मालेगांव बम ब्लास्ट की मुलजिम साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने खुलासा किया है कि उनकी जान खतरे में है। प्रज्ञा का कहना है, यदि जिन्दा रहीं तो कोर्ट अवश्य जाएंगी। बता दें, लोकसभा चुनाव 2019 में भाजपा ने साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को भोपाल से उम्मीदवार बनाया था। अभेद गढ़ भोपाल में भाजपा का दांव जबरदस्त ढंग से कामयाब रहा था। प्रज्ञा सिंह ने मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह को बड़े मार्जिन से हराकर भोपाल में भाजपा के झंडे को बुलंद किया था।
प्रज्ञा सिंह ने बुधवार देर रात एक्स पर लिखा- ‘कांग्रेस का टार्चर, सिर्फ एटीएस कस्टडी तक ही नहीं, मेरे जीवन भर के लिए मृत्यदाई कष्ट का कारण हो गए। ब्रेन में सूजन, आंखों से कम दिखना, कानों से कम सुनना, बोलने में असंतुलन...स्टेरॉयड और न्यूरो दवाओं से पूरे शरीर में सूजन, एक हास्पिटल में इलाज चल रहा है। जिंदा रही तो कोर्ट अवश्य आऊंगी।’
एक्स पर पोस्ट तस्वीर, प्रज्ञा सिंह के चेहरे पर जबरदस्त सूजन की गवाही दे रही है। प्रज्ञा सिंह के करीबी सूत्रों ने बताया है, ‘दीदी, दिल्ली के अस्पताल में भर्ती हैं। उनके चेहरे पर सूजन है। सूजन के चलते देखने में उन्हें तकलीफ पेश आ रही है। कई अन्य दिक्कतें भी साथ-साथ में हैं।’
सख्त बीमारी की वजह कोर्ट तो नहीं? एनआईए कोर्ट ने गत दिवस मालेगांव विस्फोट मामले में साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के खिलाफ 10 हजार का जमानती वारंट जारी किया है। इसके साथ ही उन्हें 13 नवंबर तक कोर्ट में पेश होने को कहा है। इससे पहले प्रज्ञा को मुंबई में ही रहकर इलाज कराने और पेशी पर हाजिर होने का कोर्ट ने आदेश दिया था। प्रज्ञा ठाकुर खराब सेहत की वजह से पिछले काफी समय से कोर्ट में पेश नहीं हो रहीं थीं। खराब सेहत का हवाला देते हुए उनके वकील जेपी मिश्रा ने कोर्ट से पेशी में छूट देने की अपील की थी। लेकिन कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान अपील को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि अब मामले में अंतिम बहस चल रही है और इस दौरान उनका हाजिर रहना अनिवार्य है।
इससे पहले मार्च में भी प्रज्ञा ठाकुर के खिलाफ 10 हजार रुपए का जमानती वारंट जारी हुआ था। अब एक बार फिर कोर्ट ने उनके खिलाफ 10 हजार रुपए का जमानती वारंट जारी किया है। अंतिम तारीख 13 नवंबर है। इसका मतलब ये है कि उन्हें 13 नवंबर तक कोर्ट के सामने पेश होना होगा।
प्रज्ञा सिंह ठाकुर 2008 के मालेगांव ब्लास्ट केस में आरोपी हैं। 29 सितंबर, 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव में हुए बम विस्फोट में छह लोगों की मौत हो गई थी और 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। इस मामले में सात आरोपियों के खिलाफ केस चल रहा है। इन आरोपियों में भोपाल की पूर्व सांसद प्रज्ञा ठाकुर समेत ले.कर्नल (रिटायर्ड) प्रसाद पुरोहित, मेजर (रिटायर्ड) रमेश उपाध्याय, अजय राहिरकर, सुधाकर चतुर्वेदी, समीर कुलकर्णी और सुधाकर द्विवेदी का नाम शामिल हैं।
अप्रैल 2017 बाम्बे हाईकोर्ट ने सातों आरोपियों को जमानत दे दी थी। इस दौरान प्रज्ञा को पांच लाख रुपए के निजी मुचलके पर जमानत दी गई थी। तब कोर्ट ने कहा था कि साध्वी के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता। कोर्ट ने यह भी कहा था कि साध्वी प्रज्ञा एक महिला हैं और आठ साल से ज्यादा समय से जेल में हैं। उन्हें ब्रेस्ट कैंसर हैं और वो कमजोर हो गई हैं, बिना सहारे चलने में भी लाचार हैं। मालेगांव ब्लास्ट मामले में 323 गवाह हैं। उनमें से 34 अपने बयानों से पलट गए थे। बाकी 289 गवाहों के बयानों के आधार पर कोर्ट ने करीब पांच हजार सवालों का एक सेट तैयार किया है। इससे पहले कई गवाह अपने बयान से मुकरे हैं। अगस्त 2021 में सुनवाई के दौरान लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित के खिलाफ बयान देने वाला गवाह मुकर गया था। इसके बाद स्पेशल एनआईए कोर्ट ने उसे पक्ष द्रोही करार दिया था।
साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर अधिकांशतः कोर्ट में व्हील चेयर पर पेश होती रहीं। भोपाल सांसद रहते उनके कई ऐसे वायरल हुए वीडियो बेहद सुर्खियों में रहे, जो दिखलाते या दर्शाते थे कि साध्वी पूर्णतः स्वस्थ हैं।
साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर अपनी चुनावी राजनीतिक पारी के आरंभिक दौर में ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आंखों की किरकिरी बन गईं थीं। दरअसल साध्वी ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की मुखालफत और उनके हत्यारे नाथूराम गोडसे की वकालत की थी। प्रज्ञा का बयान नेशनल मीडिया की हेडलाइन बना था। बवाल मचने पर प्रज्ञा सिंह ने खेद जता दिया था। मॉफी मांग ली थी। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी और पूरा कुनबा विरोधी दलों के निशाने पर बना रहा था।
पीएम मोदी को कहना पड़ा था, ‘वे प्रज्ञा सिंह ठाकुर को कभी माफ नहीं करेंगे।’ पूरे पांच साल मोदी की ‘नाराजगी’ संसद के गलियारों में साध्वी को लेकर नजर आती रही थी। लोकसभा चुनाव 2024 में टिकट कटने के बाद सुनिश्चित हो गया था, मोदी नाराज बने हुए हैं। उन्होंने प्रज्ञा सिंह को माफ नहीं किया है।
उलजुलूल बयानबाजी की वजह से टिकट कटने के बाद वे लोकसभा चुनाव में सक्रिय दिखलाईं नहीं पड़ीं थीं। चुनाव के बाद भी बहुत नजर नहीं आयीं। भाजपा की ‘बेचैनी’ बढ़ाने वाले कदम और हलचल पैदा करने वाले बयान भी उनके बहुत नहीं आये।
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