लोकसभा चुनाव 2019 के लिये कांग्रेस द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को और बीजेपी की ओर से साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को प्रत्याशी घोषित किये जाने से भोपाल की जंग और ज़्यादा दिलचस्प हो गई है। भोपाल में छठे चरण में 12 मई को वोट डाले जाने हैं।
भोपाल लोकसभा सीट पर 1989 से बीजेपी का कब्जा है। तमाम जतन और उम्मीदवारों को लेकर नित-नए ‘प्रयोग’ के बावजूद कांग्रेस तीस सालों से इस सीट को नहीं जीत पा रही है। भोपाल सीट पर कांग्रेस के ‘मूव’ (दिग्विजय सिंह को उम्मीदवार घोषित किये जाने) के बाद से बीजेपी ‘सकते’ में थी।
कांग्रेस ने 23 मार्च को मध्य प्रदेश के प्रत्याशियों की पहली सूची में दिग्विजय के नाम की घोषणा कर दी थी। दिग्विजय के मुक़ाबले कौन? इसे लेकर बीजेपी ने लंबी माथा-पच्ची के बाद बुधवार को साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के नाम का एलान कर दिया।
‘सॉफ़्ट हिन्दुत्व’ की राह पर चल रहे दिग्विजय
दिग्विजय सिंह ने तीन सप्ताह में 50 से ज़्यादा बार मंदिरों में मत्था टेका है। वह दरगाह और अन्य धार्मिक स्थलों पर भी गए हैं, लेकिन उनके ‘चुनाव मीडिया प्रबंधन विभाग’ की ओर से जारी विज्ञप्तियों में दरगाह, मसजिद, गुरूद्वारे और चर्च जाने का ज़िक्र ना के बराबर हुआ है। अलबत्ता मंदिरों के दर्शन से जुड़े समाचार और फ़ोटोग्राफ सोशल मीडिया पर ‘छाये’ रहे हैं।
दोनों आरिफ़ दिग्विजय सिंह से ‘दूर’
भोपाल संसदीय क्षेत्र में कुल आठ विधानसभा सीटें आती हैं। इन आठ सीटों में भोपाल दक्षिण-पश्चिम, भोपाल उत्तर और भोपाल मध्य सीट पर कांग्रेस का कब्जा है। जबकि 5 अन्य सीटें गोविंदपुरा, नरेला, हुजूर, बैरसिया और सीहोर, बीजेपी के पास हैं। दिग्विजय सिंह ने सभी आठ सीटों पर प्रचार का एक दौर पूरा कर लिया है।
दिग्विजय सिंह की अब तक के चुनाव प्रचार की ‘रणनीति’ की समीक्षा की जाये तो बहुत साफ़ तौर पर दिख रहा है कि वह ‘सॉफ़्ट हिन्दुत्व’ के सहारे अपनी कथित मुसलिम परस्त वाली छवि को ‘सुधारकर’ चुनावी किला फतह करने की जुगत में जुटे हुए हैं।
दिग्विजय सिंह के चुनाव प्रचार की दूसरी बड़ी ख़ासियत यह रही है कि उन्होंने किसी भी तरह का वैसा विवादित बयान नहीं दिया है जिसके लिये वह ‘पहचाने’ जाते हैं। कुल जमा बहुत फूंक-फूंककर और जबरदस्त केलकुलेटिव अंदाज में दिग्विजय सिंह चुनावी क़दम बढ़ा रहे हैं।
आरएसएस से जुड़े एक प्रचारक देवास निवासी सुनील जोशी हत्याकांड में भी साध्वी प्रज्ञा सिंह का नाम आया था। साध्वी प्रज्ञा सिंह के ख़िलाफ़ ना केवल मुक़दमा कायम हुआ था, बल्कि उनकी गिरफ़्तारी भी हुई थी और वह महीनों जेल में बंद रहीं थीं।
उस दौरान दिग्विजय सिंह ने साध्वी प्रज्ञा सिंह पर जमकर निशाने साधे थे। साध्वी प्रज्ञा से जुड़े मामलों को लेकर दिग्विजय सिंह ने कथित रूप से ‘भगवा और हिन्दू आतंकवाद’ जैसी तल्ख टिप्पणियाँ करते हुए बीजेपी के साथ राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को भी जमकर ‘आड़े हाथ’ लिया था। लंबी क़ानूनी लड़ाई के बाद साल 2017 में साध्वी प्रज्ञा सिंह को सुनील जोशी हत्याकांड मामले में सभी आरोपों से बरी कर दिया गया था। हालाँकि मालेगाँव विस्फोट मामले में उनपर आरोप बरक़रार रहे और मुक़दमा भी चला।
साध्वी प्रज्ञा सिंह के भोपाल से प्रत्याशी बनने के बाद अब इस चुनाव में ‘हिन्दू बनाम मुसलिम’, ‘राष्ट्रभक्त बनाम राष्ट्रद्रोह’ और ‘सॉफ़्ट हिन्दुत्व बनाम हार्ड कोर हिन्दुत्व’ जैसे ‘दावे-प्रतिदावे’ जमकर उछलेंगे।
संघ की पसंद हैं प्रज्ञा
भोपाल सीट पर दिग्विजय सिंह के सामने बीजेपी की ओर से शिवराज सिंह चौहान का नाम जमकर चला। मुरैना से प्रत्याशी बनाये गये निवर्तमान केन्द्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का नाम भी सुर्खियों में रहा। उमा भारती का नाम भी आया। मध्य प्रदेश बीजेपी चुनाव समिति के उम्मीदवारों के पैनल में आर.एस.एस. की एक और पसंद विष्णुदत्त शर्मा का नाम भी चला। शिवराज सिंह चुनाव लड़ने को तैयार नहीं हुए। तोमर ने भी ठाकुर राजनीति की वजह से दिग्विजय सिंह के सामने ‘कन्नी काटने’ में सफलता पा ली। विष्णुदत्त शर्मा को दिग्विजय सिंह के मुक़ाबले कमतर आंका गया। हालाँकि संघ के दबाव में पार्टी को उन्हें खजुराहो से टिकट देना पड़ा। उमा भारती भी ना-नुकुर कर गईं। अंत में संघ की पसंद पर ही साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के नाम पर सहमति बनी। संघ पहले भी प्रज्ञा का नाम आगे बढ़ा चुका था। अंत में ‘रूक्का’ प्रज्ञा के नाम का ही खुला।
यह चुनाव नहीं धर्मयुद्ध है : साध्वी प्रज्ञा
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दिग्विजय सिंह मेरे लिये चुनौती नहीं हैं। भगवा और हिन्दू आतंकवाद की बात करने वाले दिग्विजय सिंह के कुशासन को भोपाल एवं मध्य प्रदेश वासी भूले नहीं हैं। बीजेपी का मुद्दा विकास है। जाति-धर्म की बात करने वालों का असली चेहरा मैं जनता के सामने अवश्य लाऊँगी।
साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, बीजेपी उम्मीदवार
साध्वी के लिए प्रार्थना करता हूँ : दिग्विजय
साध्वी प्रज्ञा की प्रतिद्वंद्वी के रूप में घोषणा और उनकी पहली प्रतिक्रिया के जवाब में दिग्विजय सिंह ने कहा, ‘साध्वी जो बोलें, बोलने दें, यह (प्रतिक्रिया व्यक्त करना) उनका हक़ है। भोपाल में मैं उनका स्वागत करता हूँ। माँ नर्मदा से उनके लिए प्रार्थना करता हूँ कि हम सब सत्य, अहिंसा और धर्म की राह पर चल सकें, नर्मदे हर।’
चुनाव एकतरफ़ा हो गया है : मानक
दिग्विजय सिंह के चुनाव प्रचार के मीडिया प्रभारी और मध्य प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मानक अग्रवाल ने ‘सत्य हिन्दी’ से कहा, ‘साध्वी प्रज्ञा सिंह की उम्मीदवारी से हम क़तई चिंतित नहीं हैं, बल्कि उनके मैदान में आने से यह चुनाव हमारे लिये एकतरफ़ा हो गया है। दिग्विजय सिंह भारी मतों से जीत दर्ज कर भोपाल में तीस सालों की हार के सिलसिले को ख़त्म करेंगे - यह तय मान लीजिये।’
भोपाल में जीत सपना : संजर
पुत्र जयवर्धन सिंह ने संभाल रखी है ‘कमान’
दिग्विजय सिंह के चुनाव की कमान पुत्र और कमलनाथ सरकार में मंत्री जयवर्धन सिंह ने संभाल रखी है। चुनाव को लेकर योजना बनाना और उस पर काम उन्हीं की अगुवाई में हो रहा है।
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