साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस
कमलनाथ सरकार गिराने और बचाने के खेल के बीच बेंगलुरू में डेरा जमाये कांग्रेस के बाग़ी विधायक मंगलवार को बेंगलुरू में प्रेस को सामने आये।विधायकों ने एक सुर में दावा किया, ‘हम स्वेच्छा से बेंगलुरू आये हैं, किसी ने हमें बंधक नहीं बनाया है।’ उन्होंने मोबाइल फ़ोन ना दिये जाने, किसी से बात न करने देने और बंदूक की नोंक पर रखे जाने के आरोपों को खारिज कर दिया।
'मध्य प्रदेश में कोरोना नहीं'
विधायकों ने कोरोना संबंधी डर को भी ग़ैरवाजिब करार दिया। पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट ने कहा कि वे कमलनाथ सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहे हैं, कोरोना से जुड़े हर पक्ष को जानते हैं। मध्य प्रदेश में कोरोना नहीं है।कमलनाथ छिंडवाड़ा के सीएम?
अधिकांश विधायकों ने कहा, ‘सत्ता में आने के पहले कांग्रेस ने जनता से जो वादे किये थे, उन्हें पूरा नहीं किया गया। क्षेत्र की जनता से किये गये वादे पूरे नहीं किये गये। इसी से आजिज़ आकर उन्होंने कमलनाथ सरकार का साथ छोड़ा।’“
‘मुख्यमंत्री कमलनाथ के लिए महज और महज छिंदवाड़ा पूरा मध्यप्रदेश है। हर कैबिनेट की बैठक में सैकड़ों करोड़ रूपये छिंदवाड़ा के लिए आवंटित किये गये।’
गोविंद सिंह राजपूत, विधायक
‘राहुल ने भी नहीं सुनी’
एक अन्य बागी विधायक राजवर्धन सिंह दत्तीगांव बोले, ‘कई सीनियर विधायक कैबिनेट गठन में हुए पक्षपात को लेकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से मिले थे, उन्होंने माना था न्याय नहीं हुआ।’ उन्होंने कहा, ‘राहुल गांधी ने माना ज़रूर, लेकिन हमारी शिकायत दूर नहीं हुई।’विधायकों ने यह भी आरोप लगाया कि ‘अधिकारी सरकार चला रहे हैं। मुख्यमंत्री उनकी सुन नहीं रहे थे। क्षेत्र में कुछ वे कर नहीं पा रहे थे। लिहाजा इस्तीफ़ा देने के कोई विकल्प नहीं बचा था।’
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