— Jyotiraditya M. Scindia (@JM_Scindia) March 10, 2020
यह तय है कि बग़ावत करने वाले सिंधिया समर्थकों को दोबारा चुनाव लड़ना और जीतना होगा। ना जीत पाने वालों और चुनाव ना लड़ने के इच्छुक विधायकों को भी सत्ता में भागीदारी देने पर बीजेपी सहमत बतायी जा रही है। आगे क्या होगा? संभवतया मंगलवार देर शाम तक ही यह साफ हो जायेगा। आज शाम भोपाल में कांग्रेस विधायक दल की बैठक भी होगी। इस बैठक के दो घंटे बाद बीजेपी भी अपने विधायकों के साथ भोपाल में ही बैठक करने वाली है।
इस्तीफ़ा देने वालों में कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे गोविंद सिंह राजपूत, महेन्द्र सिंह सिसोदिया, तुलसी सिलावट, इमरती देवी, प्रद्युम्न सिंह तोमर और प्रभुराम चौधरी शामिल हैं। विधायक (सभी सिंधिया के समर्थक) राजवर्धन सिंह दत्तीगांव, मुन्नालाल गोयल, ओपीएस भदौरिया, रणवीर जाटव, गिर्राज दंडोतिया, कमलेश जाटव, रक्षा संतराम सरौनिया, जसवंत जाटव, सुरेश धाकड़, जजपाल सिंह जज्जी, बृजेन्द्र सिंह यादव, रघुराज सिंह कंसाना ने भी इस्तीफ़ा दे दिया है।
मध्य प्रदेश में सत्ता को लेकर छिड़ा संघर्ष अब पूरे चरम पर है। आज होली है। मध्य प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में आज ‘रंग-गुलाल’ से ज्यादा ‘सियासी रंग’ उड़ रहा है। इन सियासी रंगों की बौछार से दिल्ली भी सराबोर है।
सिंधिया राजघराने के डीएनए में है ‘जनसंघ’
सिंधिया राजघराने के डीएनए में ‘जनसंघ’ रहा है। ज्योतिरादित्य सिंधिया की दादी विजयाराजे सिंधिया जनसंघ के संस्थापकों में शुमार हैं। उनके पिता माधवराव सिंधिया ने भी अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत जनसंघ से ही की थी। अपनी मां से बग़ावत करते हुए बाद में वह कांग्रेस में आ गये थे। ज्योतिरादित्य सिंधिया की बुआ वसुंधरा राजे सिंधिया और यशोधरा राजे सिंधिया भी खांटी जनसंघियों में शुमार हैं।
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