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मालेगांव बम ब्लास्ट की आरोपी और भोपाल से बीजेपी सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ही कांग्रेस के निशाने पर क्यों होती हैं? यह सवाल मध्य प्रदेश के जनमानस और बुद्धिजीवियों के ज़हन में गूंज रहा है।
प्रज्ञा सिंह ठाकुर के खिलाफ कांग्रेस नेता की शिकायत पर कर्नाटक में हाल ही में गंभीर धाराओं में मामला दर्ज हुआ है। हिन्दुओं से चाकू तेज करके रखने वाली अपील का प्रज्ञा सिंह का वीडियो वायरल होने के बाद विवाद छिड़ा था। साध्वी प्रज्ञा सिंह की इसे लेकर आलोचना हो रही है और उन पर एफआईआर हुई है।
कर्नाटक के शिवमोगा में प्रज्ञा सिंह ने कहा था, ‘अपने घरों में हथियार रखो। कुछ नहीं तो कम से कम सब्जियां काटने के लिए चाकू तेज रखो। पता नहीं क्या स्थिति पैदा हो जाए? अगर कोई हमारे घर में घुसपैठ करता है और हम पर हमला करता है, तो मुंहतोड़ जवाब देना हमारा अधिकार है।’
शिवमोगा के कोटे थाने में दर्ज हुए इस मामले में प्रज्ञा सिंह के खिलाफ आईपीसी की धाराएं 153बी, 268, 298, 504 और 508 भी लगाई गई हैं।
अकेले साध्वी प्रज्ञा ठाकुर नहीं, मध्य प्रदेश में बीजेपी के अनेक नेता आये दिन हिन्दू धर्मावलंबियों को हथियार रखने और लव जिहाद आदि मसलों पर ‘कड़ा प्रतिकार’ करने के मशविरे देते हैं।
इसी महीने की 24 तारीख को मध्य प्रदेश सरकार में संस्कृति, पर्यटन और धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग संभालने वाली मंत्री सुश्री ऊषा ठाकुर ने कहा था, ‘शस्त्र लाइसेंस लेना जरूरी है। हम कुर्सी-टेबल लेते हैं, लेकिन शस्त्र लाइसेंस क्यों नहीं लेते? लेकिन जो भी लाइसेंस लेगा, वो शस्त्र का गलत इस्तेमाल नहीं करेगा! वह इसका इस्तेमाल आत्मरक्षा में करेगा। संघ (आरएसएस) ने हमें लाठी रखना तो सिखाया है, हमें शस्त्र लाइसेंस भी लेना चाहिए। मैं सबसे निवेदन करती हूं कि हम सब शस्त्र लाइसेंस लें।’
हिन्दुत्व के मसलों पर मुस्लिमों के खिलाफ जमकर फट पड़ने वाले मध्य प्रदेश के भाजपा नेता एवं वरिष्ठ विधायक रामेश्वर शर्मा ने भी आत्मरक्षा के लिए हिन्दुओं से हथियार रखने संबंधी सलाह की पैरवी की थी।
शर्मा ने कहा था, ‘मध्य प्रदेश के गृह विभाग को खुफिया इनपुट मिले हैं। माहौल बिगाड़ने वालों पर सख्ती जरूरी है। ऐसे लोग कुचले जाने चाहिए।’
मध्य प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक डॉ.गोविंद सिंह ने ऊषा ठाकुर के शस्त्र लाइसेंस रखने की सलाह वाले बयान पर अपनी प्रतिक्रिया में ठाकुर को तालिबानी करार दिया था। उन्होंने कहा था, ‘ऊषा ठाकुर तालिबानियों से ट्रेनिंग लेकर आई हैं।’
सांसद प्रज्ञा सिंह अपने विवादित बयानों को लेकर अक्सर चर्चाओं में रहती हैं। महात्मा गांधी की हत्या करने वाले नाथूराम गोडसे के महिमा मंडन वाले एक बयान पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीखी नाराजगी जता चुके हैं। तब मोदी ने साध्वी को कभी भी माफ नहीं करने की बात कही थी।
मध्य प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक दिनेश गुप्ता ने साध्वी प्रज्ञा सिंह तथा भाजपा के अन्य नेताओं द्वारा हिन्दुओं को हथियार उठाने/लाइसेंस लेने संबंधी सलाह को लेकर ‘सत्य हिन्दी’ से कहा, ‘किसी भी सभ्य समाज में इस तरह की सलाह को उचित नहीं माना जा सकता है।’
दिनेश गुप्ता आगे कहते हैं, ‘मैं विस्मित होता हूं, मध्य प्रदेश की सरकार और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान चंबल के बीहड़ों में डकैतों और राज्य के अन्य क्षेत्रों से नक्सलवादियों के उन्मूलन का आह्वान करते हैं। इन तत्वों के खिलाफ मुहिम चलाते हैं, लेकिन दूसरी ओर उन्हीं के दल के लोगों द्वारा आमजन को हथियार उठाने/कानून अपने हाथों में लेने के खुले मशविरे पर मौन रह जाते हैं! ऐसा आखिर क्यों?’
गुप्ता का कहना है, ‘कानून है। सरकार है। पुलिस है। प्रशासन है। कोर्ट-कचहरी है। लव जिहाद अथवा कानून अपने हाथों में लेने वालों के खिलाफ विधिसम्मत कठोर कार्रवाई करने/कराने की सलाह देने को कहा जा सकता है। कार्रवाई की या कराई जा सकती है।’
दिनेश गुप्ता, प्रधानमंत्री मोदी और गाहे-बगाहे भाजपा द्वारा अपने ही दल के नेताओं के विवादास्पद बयानों से पल्ला झाड़ने/नाराजगी जताने पर भी आश्चर्य जताते हैं। वे कहते हैं, ‘अपनी जुबान और विवादास्पद बयानों के माध्यम से समाज को तोड़ने एवं सौहार्द्र को खराब करने का काम करने वाले सांसद/विधायक और अन्य नेताओं को पार्टी तथा उसके अनुषांगिक संगठनों के कार्यक्रमों में अतिथि के तौर पर बुलाने की आजादी देना बंद कर दी जाये तो भी इस तरह के विवाद थम जायेंगे।’
गुप्ता इस बात से भी इत्तेफाक जताते हैं कि-‘कांग्रेस केवल आसानी से खबर बनने वाले भाजपा नेताओं के खिलाफ ही एक्शन करती दिखती है, बाकियों पर नहीं!’
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