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आकाश के बल्लाकांड पर मोदी नाराज, कैलाश विजयवर्गीय को ‘झटका’

पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस से ‘ख़ूनी संघर्ष’ करते हुए बीजेपी की जड़ें मजबूत करने में जुटे बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘तगड़ा झटका’ दिया है। केन्द्र में सरकार बन जाने के बाद मंगलवार को दिल्ली में आयोजित हुई बीजेपी संसदीय दल की पहली बैठक में प्रधानमंत्री ने इंदौर नगर निगम के अफ़सर की बैट से सरेआम पिटाई मामले पर बिना किसी का नाम लिए तीख़ा कटाक्ष किया। उन्होंने कहा, ‘किसी का भी बेटा हो, अनुशासन तोड़ने वालों को पार्टी से निकाल देना चाहिए।’
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बता दें कि, इंदौर में 26 जून को कैलाश विजयवर्गीय के विधायक बेटे आकाश विजयवर्गीय ने नगर निगम के एक मुलाजिम की क्रिकेट बैट से पिटाई कर दी थी। इंदौर तीन नंबर विधानसभा सीट से बीजेपी के टिकट पर पहली बार विधायक चुने गये 32 साल के आकाश उनके विधानसभा क्षेत्र के एक ख़तरनाक घोषित मकान तोड़ने के लिए नगर निगम अमले के पहुँचने से नाराज थे। आकाश ने अमले को दस मिनट का अल्टीमेटम दिया था लेकिन वापस नहीं लौटने पर आकाश ने बैट उठाकर बिल्डिंग इंस्पेक्टर को कूट दिया था। उन्होंने इस इंस्पेक्टर को तमाचे भी जड़े थे। समर्थकों ने भी इंस्पेक्टर और अन्य अमले पर हाथ साफ़ किया था।हालाँकि बाद में पुलिस ने आकाश को गिरफ़्तार कर लिया था। चार दिन उन्हें जेल में रहना पड़ा। उधर, मार खाने वाले इंस्पेक्टर को चार दिनों तक अस्पताल में रहना पड़ा। आकाश रविवार को जमानत पर छूटे हैं। उनकी जमानत पर समर्थकों ने जमकर जश्न मनाया था। हर्ष फ़ायर भी इंदौर में हुए थे। 

आकाश के बल्ला उठाने के बाद से मध्य प्रदेश के साथ-साथ देश के कई इलाक़ों में बीजेपी कार्यकर्ताओं द्वारा अफ़सरों को इसी तरह (बैट लेकर या बैट का भय दिखाकर) हड़काने के अलग-अलग मामले हुए हैं। अकेले मध्य प्रदेश में आकाश बल्लाकांड के बाद चार बड़े मामले सामने आये हैं। विंध्य क्षेत्र में एक स्वास्थ्य कर्मी का बीजेपी नेता द्वारा सिर फोड़ देने जैसी वारदात भी हुई है। यह सिलसिला थमा नहीं है।
मंगलवार को बीजेपी के पूर्व विधायक और भोपाल की जिला इकाई के पूर्व अध्यक्ष सुरेन्द्र नाथ सिंह की अगुवाई में बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने भोपाल नगर निगम के मुख्य द्वार पर ताला जड़ दिया। प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि अफ़सर बीजेपी के जनप्रतिनिधियों की अनदेखी कर रहे हैं। सत्ता बदलने के बाद से अधिकारी निरकुंश हैं। बीजेपी के कार्यकर्ताओं की कोई सुनवाई नहीं हो रही है।भोपाल में जब यह प्रदर्शन किया जा रहा था तभी दिल्ली में बीजेपी संसदीय दल तमाम मुद्दों पर चिंतन और मंथन में जुटा हुआ था।लोकसभा चुनाव और केन्द्र में बीजेपी की सरकार बनने के बाद संसदीय दल की बैठक में बीजेपी कार्यकर्ताओं की निरंकुशता पर भी कथित रूप से लंबा मंथन होने की ख़बरें हैं।
दिल्ली से छनकर भोपाल पहुँची ख़बर के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संकेतों में ‘आकाश बैट कांड’ मामले पर गहरी नाराज़गी जताई है। सूत्रों ने ‘सत्य हिन्दी’ को बताया, ‘पीएम ने बिना किसी का नाम लिए निरंकुश हो रहे पार्टी नेता और कार्यकर्ताओं को जबरदस्त नसीहत दी है।’ बताया जाता है कि, ‘पीएम ने कहा है कि पार्टी में अनुशासन बेहद ज़रूरी है। बेटा किसी का भी हो, ऐसा बर्ताव बर्दाश्त योग्य नहीं है। ऐसा करने वालों और उनके जेल से छूटने पर जश्न मनाकर साथ देने वालों को भी पार्टी में रहने का कोई हक़ नहीं है।’ सूत्रों के अनुसार, पीएम ने ऐसी घटनाएँ फिर से न हों, यह बात भी कही है।
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कैलाश ने किया था बेटे का बचाव‘आकाश बैट कांड’ के बाद कैलाश विजयवर्गीय अपने बेटे का बचाव करते रहे थे। रविवार को आकाश की जेल से रिहाई के बाद इंदौर में ‘जश्न’ के दरमियान पिता-पुत्र एक सार्वजनिक मंच पर भजन गाते हुए भी नज़र आये थे। विजयवर्गीय ने मीडिया से कहा था, ‘नगर निगम और आकाश दोनों ही कच्चे खिलाड़ी हैं।’ पूरे घटनाक्रम के लिए उन्होंने संकेतों में निगम को ही कठघरे में खड़ा कर दिया था।

निशाने पर कैलाश या प्रहलाद!

पीएम द्वारा संसदीय दल की बैठक में बीजेपी कार्यकर्ताओं की अनुशासनहीनता पर ‘नाराजगी प्रकट’ करने के बाद बीजेपी में अंदरखाने यह सवाल भी उठ रहा है कि पीएम के निशाने पर कैलाश विजयवर्गीय हैं अथवा केन्द्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल। प्रहलाद पटेल भी मध्य प्रदेश से आते हैं। 
पिछले महीने मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर में पटेल के बेटे पर गोली चलाने समेत तमाम धाराओं में अपराध पंजीबद्ध किया गया है। पटेल के बेटे अभी फ़रार हैं। पुलिस ने उनके बेटे के अलावा सगे भतीजे को भी मारपीट और गोली चलाने के मामले में आरोपी बनाया हुआ है।

आज भी नहीं टूटा विवादित मकान

इंदौर विधानसभा क्षेत्र क्रमांक तीन के गंजीपुरा कपाउंड स्थित जिस ख़तरनाक घोषित मकान को लेकर समूचा विवाद हुआ, नगर निगम का अमला मंगलवार को भी उसे ध्वस्त नहीं कर पाया। नगर निगम ने इस मकान को गिराने के लिए आज का दिन तय किया था। पूर्वान्ह में निगम अमला, पुलिस बल और जेसीबी मशीनें आदि मौक़े पर पहुँच भी गई थीं। मगर दोपहर को उन्हें हटा लिया गया। दरअसल, पीड़ित पक्ष ने इस मामले में हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। शिवराज सरकार में नगरीय प्रशासन मंत्री रहे कैलाश विजयवर्गीय की दलील रही है कि बारिश के मौसम में ऐसे घरों को नहीं गिराया जाता है।
गंजीपुरा कपाउंड के विवादित घर को लेकर एक दिलचस्प तथ्य यह भी है कि इस जर्जर और ख़तरनाक घोषित घर को ध्वस्त करने का फ़ैसला शिवराज सरकार में हुआ था। पूरी कार्रवाई को लेकर आकाश विजयवर्गीय और बीजेपी, निज़ाम (सरकार) बदलने से जोड़कर राजनीतिक पत्ते चल रही है। आकाश ने तो मुख्यमंत्री कमलनाथ को एक खत लिखकर इंदौर में ख़तरनाक घरों को गिराने के कथित खेल की जाँच सीबीआई से कराने की माँग की हुई है। वह कमलनाथ सरकार में मंत्री सज्जन वर्मा और उनके भाई समेत नगर निगम के अफ़सरों के इस खेल में मिले होने के आरोप लगा रहे हैं।
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संजीव श्रीवास्तव
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