घोटाले के कारण राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मध्य प्रदेश की भद पिटाने वाले व्यापमं यानी व्यावसायिक परीक्षा मंडल को कमलनाथ सरकार ‘बंद’ करने जा रही है। विधानसभा चुनाव 2018 के चुनावी घोषणा पत्र में कांग्रेस ने सरकार बनने पर व्यापमं के ढाँचे को बदलने का वादा किया था। उसी वादे के तहत प्रदेश सरकार व्यापमं को बंद कर उसकी जगह राज्य कर्मचारी आयोग के गठन की तैयारी में है।
कमलनाथ के व्यापमं ‘बंद’ करने से क्या रुक जाएगा भ्रष्टाचार?
- मध्य प्रदेश
- |
- |
- 7 Jul, 2019

घोटाले के कारण चर्चा में रहे व्यापमं को कमलनाथ सरकार ‘बंद’ करने जा रही है। इसकी जगह राज्य कर्मचारी आयोग बनाने की तैयारी है। तो क्या व्यापमं बंद कर नये आयोग बनाने भर से भ्रष्टाचार ख़त्म हो जाएगा?
व्यापमं 1982 में अस्तित्व में आया था। मध्य प्रदेश के सरकारी मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिले की प्रक्रिया की शुरुआत व्यापमं ने की थी। पीईटी यानी प्री-इंजीनिरिंग टेस्ट और पीएमटी यानी प्री-मेडिकल टेस्ट सरकारी इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए होते थे। शासकीय विभागों में रिक्त पदों पर भर्ती का सिलसिला भी व्यापमं के ज़रिए शुरू हुआ था। व्यापमं के गठन के कुछ सालों बाद ही इसकी पारदर्शिता को लेकर सवाल उठना शुरू हो गए थे। कई बार गड़बड़ियों के आरोप भी व्यापमं के ज़रिए होने वाली परीक्षाओं में लगे। कई बार धाँधली छिटपुट होने की वजह से ज़्यादा ध्यान लोगों का इस पर गया ही नहीं।