मध्य प्रदेश सरकार की कन्या विवाह योजना में विवाह के लिए पहुंची कन्याओं के कथित वर्जिनिटी टेस्ट पर बवाल खड़ा हो गया है। प्रतिपक्ष कांग्रेस ने इस मसले पर शिवराज सिंह चौहान सरकार को घेर लिया है।
मामला आदिवासी बहुल ज़िले डिंडोरी का है। कन्या विवाह योजना के आयोजन के दौरान 219 आवेदन आए थे। विवाह के लिए पहुंची 200 कन्याओं का प्रेगनेंसी टेस्ट कराया गया। सामने आया है 6 कन्याएं गर्भवती मिलीं तो आयोजक विभाग ने इन्हें विवाह सूची से बाहर कर दिया। खबर सामने आते ही पूरे मामले पर राजनीति शुरू हो गई।
इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट कर लिखा है, “डिंडोरी में मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत किए जाने वाले सामूहिक विवाह में 200 से अधिक बेटियों का प्रेगनेंसी टेस्ट कराए जाने का समाचार सामने आया है। मैं सीएम से जानना चाहता हूं कि क्या यह समाचार सत्य है? यदि यह समाचार सत्य है तो यह तो मध्य प्रदेश की बेटियों का घोर अपमान किसके आदेश पर किया गया? क्या सीएम की निगाह में गरीब और आदिवासी समुदाय की बेटियों की कोई मान मर्यादा नहीं है क्या?”
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बता दें मध्य प्रदेश की सरकार लंबे समय से राज्य में सामूहिक कन्या विवाह योजना चला रही है। योजना के तहत सामूहिक विवाह की समस्त सरकारी व्यवस्था के साथ-साथ योजना की लाभार्थी कन्याओं को घर-गृहस्थी का समान दिया जाता है। स्थानीय नेता आयोजन में अतिथि के तौर पर शिरकत करते हैं। राज्य सरकार में मंत्रियों के अलावा अनेक बार मुख्यमंत्री भी सामूहिक विवाह के आयोजन में शामिल होते रहे हैं।
एमपी में 2018 में जब कांग्रेस की सरकार बनी थी तब इस योजना पर ब्रेक लग गया था। नाथ सरकार ने संशोधनों एवं सुधार के साथ योजना को नए सिरे से लागू करने की बात कही थी, लेकिन कांग्रेस की सरकार बीच में ही गिर गई थी।
शिवराज जब पुनः मुख्यमंत्री बने थे तो उन्होंने योजना की राशि को बढ़ाकर लागू किया था। बीते महीने कुछ और संशोधन शिवराज कैबिनेट ने इस महत्वाकांक्षी योजना में किए। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चाहते हैं कि समान की बजाय तय राशि विवाह सूत्र में बंधने वाली लाभार्थी कन्याओं को दें। प्रक्रिया विचाराधीन है।
तमाम विमर्श के बीच डिंडोरी में हुआ आयोजन कथित वर्जिनिटी टेस्ट की वजह से सुर्ख़ियों में आ गया है। सूचना है कि मेडिकल का विरोध कई कन्याओं ने किया, बावजूद इसके टेस्ट किए गए। स्थानीय कांग्रेस विधायक एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री ओमकार मरकाम का आरोप है कि जिला प्रशासन के द्वारा मुख्यमंत्री कन्यादान योजना में लड़कियों का मेडिकल टेस्ट करवाना नियमों के विपरीत है।
उधर डिंडोरी बीजेपी के जिलाध्यक्ष अवधराज बिलैया ने प्रदेश सरकार की मुख्यमंत्री कन्यादान योजना को जनहितैषी बताते हुए ओमकार मरकाम पर राजनीति करने का आरोप लगाया है। बीजेपी जिलाध्यक्ष प्रेगनेंसी टेस्ट को जायज ठहराते हुए दलील भी दे रहे हैं।
उन्होंने कहा, “कई बार योजना का लाभ लेने के लिए लोग दोबारा शादी कर लेते है। ऐसे फर्जीवाड़े को रोकने के लिए लड़कियों का शारीरिक परीक्षण किया जाता है। यह परीक्षण डॉक्टरों की टीम करती है।”
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ज़िले के बछरगांव निवासी ममता ने मीडिया को दी गई प्रतिक्रिया में कहा, “मुझे मेडिकल टेस्ट के बारे में कुछ भी नहीं बताया गया। टेस्ट के बाद मेरा नाम भी सूची से हटा दिया।” ग्राम सरपंच मेदनी मरावी ने भी कार्यक्रम में लड़कियों के टेस्ट कराने को हंगामा किया।
हंगामा मचने पर स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी पहले तो प्रेगनेंसी टेस्ट के सवालों से बचते नजर आए। बाद में एक ने ऑफ द रिकार्ड कहा, “ऊपर से आए निर्देशों के बाद हमने ये टेस्ट किए हैं।”
राज्य सरकार की प्रतिक्रिया अभी सामने नहीं आयी है। इस मामले में “सत्य हिंदी” ने प्रवक्ता एवं राज्य के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा से प्रतिक्रिया लेने का प्रयास किया, लेकिन दतिया में एक कार्यक्रम में व्यस्तता की वजह से उनकी टिप्पणी नहीं मिल पायी।
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