मध्य प्रदेश के गुना जिले में जमीन के विवाद को लेकर दबंगों द्वारा ज़िंदा जलाकर मारने के प्रयास में बुरी तरह झुलसी आदिवासी महिला की शुक्रवार को मौत हो गई। वह संरक्षित घोषित सहारिया जाति की महिला थी। महिला बीते सप्ताह भर से ज़िंदगी और मौत से संघर्ष कर रही थी।
गुना जिले के बमोरी थाना इलाके के धनोरिया गांव में बीते शनिवार को रामप्यारी के ऊपर डीजल डालकर दबंगों ने आग लगा दी थी, जिससे महिला 70 से 80 प्रतिशत झुलस गई थी। जब यह घटना हुई थी तब रामप्यारी खेत में काम कर रही थीं। खेत की जमीन को लेकर विवाद चल रहा था। हनुमत, प्रताप और श्याम किरार नामक दबंगों पर महिला को जिंदा जलाकर मारने का आरोप रामप्यारी के पति अर्जुन सहारिया ने लगाया था।
अर्जुन की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज करते हुए दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था। बुरी तरह झुलसी रामप्यारी को गंभीर हालत में भोपाल के शासकीय हमीदिया अस्पताल में रैफर कर दिया गया था।
यह भी आरोप था कि तीनों आरोपियों और उनकी पत्नियों ने मिलकर घटना को अंजाम दिया, प्रभावशाली होने के चलते इनके खिलाफ प्रकरण दर्ज करने में पुलिस ने देरी की। सभी को आरोपी बनाने को लेकर हीला-हवाली के आरोप भी लगाये गये थे। आरोपियों की धरपकड़ में मुस्तैदी नहीं दिखाने को लेकर भी पुलिस को कठघरे में खड़ा किया गया था।
इस पूरे मामले को लेकर जमकर राजनीति भी हुई। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी इस दर्दनाक घटना को लेकर ट्वीट किया था। ट्वीट में केन्द्र की सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सीधे-सीधे उन्होंने घेरा था।
राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में लिखा था,
“
न आदिवासी, न दलित, न महिला, न युवा, न किसान, न जवान - प्रधानमंत्री को अपने पूंजीपति मित्रों के फ़ायदे के आगे किसी का दर्द नहीं दिखता है।
राहुल गांधी, कांग्रेस नेता
घटना को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री और मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ ने शिवराज सरकार को आड़े हाथों लिया था। उन्होंने कहा था, ‘शिवराज सिंह चौहान सरकार में आदिवासियों पर अत्याचार रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। नाथ ने सहरिया आदिवासी समुदाय की महिला को डीजल डालकर जलाने के मामले को अत्यंत गंभीर बताया था।’
कमलनाथ ने कहा था, ‘सुरक्षा को खतरा होने संबंधी आवेदन पुलिस को पूर्व में ही पीड़ित परिवार ने दे दिया था, लेकिन पुलिस ने परिवार की सुरक्षा नहीं की!’ उन्होंने आगे सवाल उठाते हुए कहा था, ‘मैं शिवराज जी से पूछना चाहता हूँ कि आदिवाली समुदाय के प्रति उनकी सरकार का ऐसा शत्रुतापूर्ण रवैया क्यों है? प्रदेश में आदिवासी समुदाय कब सुरक्षित होगा?’
राजनीति गर्माने के बाद सरकार एक्शन में आयी थी। आरोपियों की धर-पकड़ तेज हुई थी। दो महिलाओं सहित कुल पांच आरोपी इस मामले में गिरफ्तार किये गये थे। दबंगों द्वारा निशाना बनाई गई आदिवासी महिला रामप्यारी के उपचार पर होने वाले ख़र्च का भार उठाने के साथ-साथ अनेक घोषणाएँ प्रदेश सरकार की ओर से पीड़ित महिला और उसके परिवार को लेकर की गई थीं।
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