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फाइल फोटो

एमपी के मंडला में गोकशी के आरोपों का ‘सच’ क्या?

मध्य प्रदेश के मंडला जिले में गोकशी (गोहत्या) के ‘सच’ को लेकर रार छिड़ी हुई है। बकरीद के ठीक पहले गोकशी-गोहत्या के आरोप में 11 मुसलमानों के घरों पर बुलडोजर चला दिए गए थे। बेघर हो गए अनेक लोग दावा कर रहे हैं, ‘शक के आधार पर पुलिस को छापामारी में उनके घरों से गोमांस या गोमांस की तस्करी से जुड़े कोई सबूत नहीं मिले, फिर भी बिना नोटिस के मुसलमानों के 11 घर ढहा दिए गए।’

मध्य प्रदेश के मंडला जिले के बैंसवाही गांव में बीते सप्ताह प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई की थी। गोकशी के आरोप और पुलिस द्वारा मुकदमा कायम किए जाने के बाद 11 घरों को बुलडोजर के जरिये जमींदोज कर दिया गया था। पीड़ित लोगों का आरोप है कि कोई सबूत नहीं मिलने के बाद आनन-फानन में कार्रवाई की गई थी। लोगों को अपनी गृहस्थी तो छोड़िए खान-पान का सामान और कपड़े-लत्ते निकालने तक का समय कार्रवाई करने वाले अमले ने नहीं दिया था।

बैंसवाही गांव में आदिवासी और मुस्लिम समुदायों को मिलाकर एक हजार से ज्यादा निवासी हैं। पूरे गांव में लगभग 80 मुस्लिम घर हैं। सामने आया है कि लगभग 15 हजार वर्ग फुट सरकारी भूमि पर बने लगभग 27 घरों पर जिला प्रशासन टीम ने छापामार कार्रवाई करते हुए 11 घरों को मलबे में बदल दिया था।

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गोहत्या और अवैध निर्माण के आरोप में बीते शनिवार को जिन 11 घरों पर बुलडोजर चलाया गया, उनमें अकील अहमद और उसके दो भाइयों आसिफ एवं आदिल के घर भी शामिल थे।

अकील, आसिफ-आदिल के पिता जलील अहमद कुरैशी ने मीडिया से बातचीत में दावा किया, ‘पुलिस ने तोड़फोड़ अभियान से दो दिन पहले अकील के घर का दौरा किया था। फ्रिज से पानी पीया और घर की तलाशी ली।’ जलील ने यह भी दावा किया, ‘पुलिस को कुछ नहीं मिला, फिर भी उनके तीन बेटों के घरों को तोड़ दिया गया।’

पुलिस ने अकील, आसिफ और आदिल सहित आठ अन्य लोगों पर मध्य प्रदेश गोवंश वध प्रतिषेध अधिनियम, 2004 की धारा 4, 5 और 9 के तहत मामला दर्ज किया है। मंडला जिले के पुलिस अधीक्षक रजत सकलेचा के अनुसार, ‘इन घरों में छिपाकर रखे गए गाय के चमड़े और रेफ्रिजरेटर में हड्डियों और गोमांस के पर्याप्त सबूत मिलने के बाद प्राथमिकी दर्ज की गई।’
मंडला जिला प्रशासन द्वारा ध्वस्त किए गए 11 घरों में से सात जलील के परिवार के सदस्यों के थे, जिनमें उनके बेटे और अन्य रिश्तेदार शामिल थे। जलील ने ग्रामीणों पर साजिश रचने और भूमि विवाद को लेकर उनके परिवार को निशाना बनाने का आरोप लगाया है।

जलील ने कहा है, ‘पिछले सप्ताह मंडला के डिठोरी गांव के पास कुछ गायों को ले जा रहे एक ट्रक को रोका गया था। चालक के बयान के आधार पर पुलिस बैंसवाही क्षेत्र में गौ व्यापार की जांच करने आई थी। लेकिन उसे कुछ नहीं मिला था।’ जलील ने यह भी कहा है, ‘उनका बेटा अकील कबाड़ का कारोबार करता है और उसका गोहत्या से कोई लेना-देना नहीं है।’

जलील ने बताया कि पुलिस के तीन सितारा अफसर सोमवार को गांव आए और उनसे उनके तीनों बेटों को पुलिस थाने में पेश करने को कहा। उन्हें बताया गया कि बेटों के खिलाफ पशुओं की हत्या का मामला दर्ज किया गया है।

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जलील की तरह आसिया का दावा

पुलिस फाइल के 11 आरोपियों में शामिल मतीन की पत्नी आसिया ने भी मीडिया को दिए बयान में कहा है, ‘शक की बिनाह पर जाँच करने के लिए हमारे घर आयी पुलिस को कुछ नहीं मिला। पुलिस ने माना कि घर में कुछ नहीं है। हमें सो जाने की इजाजत दी गई। लेकिन अगली सुबह क़रीब 10 पुलिस वाले आए। हमसे जबरन कुछ कागजों पर दस्तख्त करवाए। हम गांव के बुजुर्गों से गुहार लगाते रहे और उनकी मदद मांगते रहे, लेकिन कोई भी आगे नहीं आया। इस कार्रवाई के बाद हमारा घर गिरवा दिया गया'। आसिया का आरोप है, ‘सरपंच ने घर गिरवाने में रोल अदा किया।’

जमीन विवाद की बात भी सामने आ रही है

रफीक के परिवार के सदस्यों का दावा है, ‘उनके चाचा रफीक अहमद 103 एकड़ जमीन के मालिकाना हक के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। दुश्मनी के कारण, उनके परिवार को मुस्लिम समुदाय के ही कुछ लोगों द्वारा फर्जीवाड़ा करते हुए निशाना बनाया गया है। कुछ स्थानीय पत्रकार भी इस खेल में शामिल हैं। जमीन से बेदखल करने के लिए पुलिस को गलत जानकारी दी गई।’

उधर मंडला जिला कलेक्टर सलोनी सिदाना ने कहा है, ‘भूमि का टुकड़ा सरकारी भूमि के रूप में अधिसूचित है, जो चरागाह के लिए है। वहां बने घरों को समय-समय पर नोटिस दिए गए हैं।’

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मंडला कलेक्टर ने मीडिया से बातचीत में यह भी कहा है, ‘भूमि पर अवैध रूप से निर्मित अन्य घरों को भी कानूनी प्रक्रिया के तहत ध्वस्त कर दिया जाएगा।’ एक अन्य पीड़ित ग्रामीण जेसन आरोप लगा रही हैं, ‘पुलिस एवं प्रशासन ने हमें अपना सामान हटाने का कोई मौका भी नहीं दिया। हम कई दिनों से एक ही जोड़ी कपड़े पहन रहे हैं। खाना मांगकर खा रहे हैं।’

जेसन ने मीडिया से कहा, ‘अगर घर अवैध रूप से बनाए गए थे, तो इलाके के सभी घरों को गिरा दिया जाना चाहिए था। सिर्फ़ हमारे घरों को ही क्यों निशाना बनाया गया? क्यों तोड़ा गया? हम अपनी छोटी बेटी के साथ कहां जाएंगे?’

भूमि विवाद को लेकर प्रशासन की ओर से दावा करते हुए कहा जा रहा है, ‘सच यह है कि पुलिस ने डिठोरी में गायों को ले जा रहे एक वाहन को रोका था और इस मुद्दे को प्राथमिकता के आधार पर उठाया गया था।’

कार्रवाई में शामिल अफसरों का यह भी दावा है, ‘इसी गांव के लोगों के खिलाफ गोहत्या के आरोप में पहले भी पांच मामले दर्ज किए जा चुके हैं। पुलिस को सूचना मिली थी कि गांव के मेले से बड़े पैमाने पर गायों की खरीद-फरोख्त की जा रही है, जिसके बाद उन्होंने छापेमारी की।’

पुलिस का कहना है, ‘पुलिस, जब गांव में पहुंची, तो एक आरोपी वाहिद पुलिस को देखकर भागने लगा था। पीछा करके उसे पकड़ लिया गया था। अन्य घरों के पुरुष, महिलाओं को छोड़कर भाग गए थे।’

पुलिस ने मीडिया को यह भी बताया, ‘क्षेत्र के सभी लोग गोकशी में शामिल नहीं थे। लेकिन कई लोगों के गोहत्या में शामिल होने के प्रमाण हाथ लगे थे। बरामद सबूतों के आधार पर 11 लोगों के खिलाफ एफ़आईआर दर्ज की गई। बाद में उनके घरों को तोड़ दिया गया क्योंकि वे चरागाह के लिए आवंटित सरकारी जमीन पर बने थे।’

जांच अधिकारियों ने दावा किया, ‘घरों से गाय की चर्बी बरामद की गई है, जिसका इस्तेमाल खाद्य पदार्थों में मिलावट के लिए किया जाता है। उन्होंने बताया कि हड्डियों का इस्तेमाल पशुओं के चारे के लिए किया जा रहा था और गाय के चमड़े को दूसरे बाजारों में बेचा जा रहा था।’

मौके पर 16 घर अछूते हैं, जबकि इन घरों से लगे 11 घरों को जमींदोज किया गया है। आरोप-प्रत्यारोप और दावे-प्रतिदावों का दौर पूरे घटनाक्रम पर चल रहा है।

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने घटनाक्रम सामने आने के बाद अपनी प्रतिक्रिया में कहा था, ‘गोकशी और गो हत्या में शामिल किसी भी आरोपी को सरकार छोड़ेगी नहीं। ऐसे तत्वों पर सख्त से सख्त कार्रवाई होगी।’

mp mandla bulldozer action in question as homes demolished where beef was found - Satya Hindi

ओवैसी ने जताई चिंता

घटनाक्रम के बाद हैदराबाद के सांसद और एआईएमआईएम के चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने पूरे घटनाक्रम पर चिन्ता जताई थी। उन्होंने एक्स कर कहा था, ‘2015 में अखलाक के फ्रिज में रखे गोश्त को बीफ बताकर एक हुजूम ने घर में घुसकर उन्हें मार दिया था। न जाने कितने मुसलमानों पर तस्करी और चोरी का झूठा इल्जाम लगाकर उनका कत्ल कर दिया गया।’

उन्होंने आगे लिखा था, ‘जो काम पहले भीड़ करती थी, वो काम अब सरकार कर रही है। मध्य प्रदेश सरकार ने कुछ मुसलमानों पर इल्जाम लगाया कि उनके फ्रिज में बीफ था और 11 घरों पर बुलडोजर चला दिया। नाइंसाफी का सिलसिला थमता नहीं। चुनाव के नतीजों के पहले और बाद में भी, घर मुसलमानों के ही तोड़े जाते हैं। कत्ल मुलसमानों के ही होते हैं। जिन्हें झोली भर-भर के मुसलमानों का वोट मिलता है, वो क्यों चुप हैं?’

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एमी के सीएम का जवाब

ओवैसी के बयान पर एमपी के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा था, ‘ओवैसी की दृष्टि हो सकती है, जिसमें वे दो वर्गों की बात करते हैं। बड़े दुर्भाग्य के साथ कहना पड़ रहा है कि वे जिस वर्ग से आते हैं, वे उस वर्ग को भी लज्जित करते हैं। भारत में संविधान से सरकारें चलती हैं। हमारी सरकार अपराध पर कार्रवाई करना लगातार जारी रखेगी।’

मोहन यादव ने आगे कहा था, ‘कानून के अंतर्गत सबको चलना होगा। हम इससे समझौता नहीं करने वाले हैं। गुंडा तत्वों के खिलाफ सरकार का निर्णय कठोरता से लिया जाएगा। आम जनता पर किसी प्रकार का कोई कष्ट हम बर्दाश्त नहीं करेंगे।’

सीएम यादव ने मीडिया से कहा था, ‘मेरी तरफ से ओवैसी को यह बात पहुंचा दीजिए कि वे मध्य प्रदेश को हैदराबाद नहीं समझें! मप्र में भाजपा की सरकार है, जो शरारती-गुंडई सब प्रकार के तत्वों से निपटने में सक्षम है।’

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संजीव श्रीवास्तव
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