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भाजपा सांसद सावित्री ठाकुर कुछ लिखती हुई

चार अक्षर भी न लिख सकीं मोदी की मंत्री, लेकिन इतना विवाद क्यों

मध्य प्रदेश में मंगलवार से स्कूल शिक्षा विभाग का शैक्षणिक सत्र आरंभ हुआ है। मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद मंगलवार को मोहन यादव अपने मुख्यमंत्रित्व काल में पहला राज्यव्यापी समारोह किया। मुख्यमंत्री ने भोपाल के शासकीय सुभाष उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के जलसे में मुख्य अतिथि के तौर पर हिस्सा लिया। आदिवासियों के लिए रिजर्व धार लोकसभा सीट से भाजपा की सांसद और केंद्रीय मंत्री सावित्री ठाकुर बतौर मुख्य अतिथि धार के कार्यक्रम में शामिल हुईं।
कार्यक्रम के दौरान सावित्री ठाकुर शालेय शिक्षा विभाग द्वारा तैयार कराये गये शिक्षा रथ को हरी झंडी भी दिखाई। जिले में घूमकर शिक्षा व्यवस्था का प्रचार-प्रसार करने वाले रथ पर लगे व्हाइट बोर्ड पर मंत्री से चार शब्द लिखवाये गये। रथ को रवाना करने के पहले मंत्री ठाकुर द्वारा ‘चार शब्द’ लिखते ही बखेड़ा खड़ा हो गया।
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‘चार शब्द जो मंत्री ने लिखे’

मध्य प्रदेश की सरकार का स्लोगन (अनेक राज्य सरकारों और केन्द्र सरकार में भी प्रचलित है) ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ मंत्री को लिखना था। मंत्री ने लिखा, ‘बेढी पडाओं, बच्चाव।’ मंत्री जब लिख रहीं थीं तब मीडिया मौके पर मौजूद था। कैमरे में सबकुछ कैद हो रहा था। वीडियो भी बन रहे थे और स्टिल शॉट्स भी लिए जा रहे थे।
मंत्री को जब समझ आया कि ‘कुछ गलत’ हो गया है सो उन्होंने अपने लिखे पर डस्टर फेर (लिखे शब्दों को मिटा) दिया। शब्दों को मिटाने के बाद मंत्री ने रथ को हरी झंडी दिखाकर रवाना कर दिया। मगर इसके पहले मंत्री के लिखे (अशुद्ध/त्रुटि वाले) अक्षर कैमरों में कैद हो चुके थे।
Modi minister knowledge of alphabets and BJP aggressiveness  - Satya Hindi
ये हैं मोदी कैबिनेट की मंत्री सावित्री ठाकुर
समारोह के बाद से लेकर बुधवार को पूरे दिन मीडिया पर मंत्री सावित्री ठाकुर द्वारा लिखे गलत शब्द वायरल होते रहे। मंत्री की तरफ से तो कोई सफाई नहीं आयी। अलबत्ता भाजपा ने जो प्रतिक्रिया दी, उसने एक नई बहस को जन्म दे दिया।
भाजपा की प्रदेश इकाई के नेता और प्रवक्ता, डॉक्टर हितेष वाजपेयी ने मंत्री के ‘अक्षर ज्ञान’ पर कहा, ‘मंत्री ने अशुद्ध जो लिखा उसमें दोष मंत्री का नहीं, बल्कि उन्हें मिली शिक्षा का है।’ वाजपेयी का इशारा, ‘मंत्री की शिक्षा-दीक्षा कांग्रेस राज में होने की और रही।’
सावित्री ठाकुर की पैदाइश 1978 की है। यदि 5 साल की उम्र में यानी 1983 में पहली कक्षा में ठाकुर के एडमिशन को आधार मान लिया जाये, और यह भी मान लिया जाये कि बिना फैल हुए वे निरंतर शिक्षा हासिल करती रहीं होंगी तो इस मान से 1995 में उन्होंने 12वीं कक्षा को (चुनावी हलफनामे में ठाकुर स्वयं को 12वीं तक शिक्षित बताया है) उत्तीर्ण किया होगा।
मध्य प्रदेश में 1993 से 2003 तक दिग्विजय सिंह की सरकार थी। इससे साफ है कि ठाकुर ने 12वीं कक्षा दिग्विजय सिंह सरकार के राज में उत्तीर्ण की होगी। हालांकि अजीबों-गरीब दलील देने वाले भाजपा के नेता डॉक्टर वाजपेयी यह भूल गये कि केन्द्रीय मंत्री सावित्री ठाकुर के शिक्षा हासिल करने वाले सालों के दरमियान 1990 से 1992 तक मध्य प्रदेश की बागडोर भारतीय जनता पार्टी के हाथों में भी रही।
सावित्री ठाकुर के शिक्षा वर्षों के आधार के मान से सावित्री ठाकुर ने 1990 से 1992 के दौरान कक्षा 8 से 10 तक की शिक्षा प्राप्त की होगी। इन सालों में भाजपा की सरकार थी और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा थे (पटवा अब इस दुनिया में नहीं हैं।
वाजपेयी की दलील के बाद बड़ा सवाल यह बन रहा है, ‘सावित्री ठाकुर के जन्म और कक्षा 7 तक शिक्षा के दौरान मप्र में कांग्रेस की सरकार थी। कांग्रेस सरकार में पढ़ाई का स्तर लचर था, मगर भाजपा को 1990 से 1992 के बीच भाजपा को राज करने का अवसर मिला तो पटवा सरकार ने कांग्रेस के पुराने ढर्रे को सुधारने के लिए क्या जतन किए थे? शिक्षा के स्तर को सुधारा क्यों नहीं?’  

कांग्रेस ले रही है मोदी की चुटकी

मध्य प्रदेश कांग्रेस के नेता के.के.मिश्रा सावित्री ठाकुर के अक्षर ज्ञान एपीसोड पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की चुटकियां ले रहे हैं। मिश्रा ने ‘सत्य हिन्दी’ से कहा, ‘लोग और मीडिया बेवजह सावित्री ठाकुर को निशाना बना रहे हैं। सवाल उठाने वालों को देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की शैक्षणिक योग्यता की बात पहले करना चाहिए।’
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मिश्रा आगे स्वयं जवाब पेश करते हुए यह भी कहते हैं, ‘मोदी की शैक्षणिक योग्यता पर सवाल तो लंबे वक्त से पूछा जा रहा है। मगर जवाब कौन देगा? मोदी जी ही दे सकते हैं, मगर जवाब देते नहीं हैं। मौन साध जाते हैं।’ मिश्रा तंज कसते हुए यह भी फरमा रहे हैं, ‘जैसा राजा (प्रधानमंत्री)-वैसी प्रजा (काबीना के साथी), इसमें गलत क्या है! न तो संविधान में लिखा है और न ही चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता/अक्षर ज्ञान जरूरी होने संबंधी नियम हैं, इन परिस्थितियों में ठाकुर के अक्षर-ज्ञान पर बहसबाजी निरर्थक है।’
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क़मर वहीद नक़वी
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