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उपचुनाव में कमल नाथ की साख फिर दांव पर!

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के बड़े नेता कमल नाथ की साख एक बार फिर दांव पर है। कांग्रेस के अभेद गढ़ के रूप में ख्यात, छिन्दवाड़ा में कमल नाथ अपने पुत्र नकुल नाथ को लोकसभा 2024 का चुनाव नहीं जीता पाये थे। इस चुनाव के नतीजों के दो सप्ताह बाद छिन्दवाड़ा संसदीय क्षेत्र की अमरवाड़ा विधानसभा सीट का उपचुनाव कमल नाथ के सामने कड़ी चुनौती पेश कर रहा है। नाथ के सामने सीना तानकर इस उपचुनाव में भाजपा उम्मीवार वही कमलेश शाह हैं, जिन्हें नाथ ने राजनीति का न केवल ककहरा सिखाया, बल्कि नाथ की ही कृपा से 3 बार कमलेश शाह मध्य प्रदेश विधानसभा पहुंचे थे।

अमरवाड़ा विधानसभा की सीट कमल नाथ के सिपाहासालार कमलेश शाह द्वारा नाथ को धोखा देने से रिक्त हुई। लोकसभा 2024 के चुनाव के दौरान भाजपा ने कांग्रेस खेमे में जमकर सेंधमारी की थी। भाजपा अमरवाड़ा से कांग्रेस विधायक कमलेश शाह को तोड़ने में कामयाब हो गई थी।

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2023 के विधानसभा चुनाव में कमल नाथ की अगुवाई में कांग्रेस चुनाव मैदान में उतरी थी। पीसीसी चीफ़ रहे कमल नाथ पूरे सूबे में कांग्रेस को नहीं जिता पाये थे। पार्टी की सत्ता में वापसी नहीं करा पाये थे, लेकिन छिन्दवाड़ा संसदीय क्षेत्र में आने वाली सभी सीटें कांग्रेस जीतने में सफल रही थी। अनुसूचित जनजाति उम्मीदवार के लिए आरक्षित अमरवाड़ा सीट को 2023 में लगातार तीसरी बार कमलेश शाह ने कांग्रेस के लिए जीता था।

लोकसभा चुनाव के दौरान शाह को छिन्दवाड़ा से कांग्रेस के प्रत्याशी नकुल नाथ का आदिवासी वर्ग पर कड़ी टिप्पणी करना ‘रास’ नहीं आया था। आदिवासियों के प्रति कड़ी टिप्पणी के विरोध में शाह ने अपनी पत्नी (नगर पंचायत की पूर्व अध्यक्ष रहीं) के साथ भाजपा ज्वाइन कर ली थी और विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था। भाजपा ने अमरवाड़ा उपचुनाव के लिए कमलेश शाह को उम्मीदवार बनाया है। अमरवाड़ा में 11 जून से नाम निर्देशन पत्र दाखिल करने का सिलसिला आरंभ हो गया है।

चुनाव आयोग द्वारा घोषित कार्यक्रम के अनुसार 21 जून तक नामांकन भरे जायेंगे। नामांकनों की जांच 24 जून और नाम वापसी 26 जून को हो सकेगी। इस उपचुनाव के लिए वोटिंग 10 जुलाई को होगी और मतों की गणना 13 जून को होगी। बता दें कि मध्य प्रदेश की सभी 29 लोकसभा सीटों को भाजपा ने 2024 में जीता है। भाजपा का छिन्दवाड़ा फतह करने का सपना भी इस चुनाव में पूरा हो गया है। लोकसभा में भाजपा के प्रत्याशी रहे विवेक बंटी साहू ने नकुल नाथ को 1.13 लाख से भी ज्यादा मतों से हराया है।
साल 2024 के पहले भाजपा ने इस सीट को 1997 के उपचुनाव में जीता था। लोकसभा के 1996 के चुनाव में हवाला कांड में नाम आने की वजह से कांग्रेस ने कमल नाथ को टिकट नहीं दिया था। नाथ अपनी पत्नी अलका नाथ को टिकट दिलाने और चुनाव जितवाने में सफल रहे थे।

हवाला कांड से क्लीन चिट मिलने पर नाथ ने अलका नाथ से इस्तीफा दिलवा दिया था। उनके इस्तीफे के बाद 1997 में छिन्दवाड़ा लोकसभा सीट पर उपचुनाव हुआ था। इस उपचुनाव में कमल नाथ को भाजपा के दिग्गज नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा ने हराकर इतिहास रच दिया था। पटवा अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन भाजपा ने सीट जीतकर इतिहास को दोहरा दिया है।

कमल नाथ की लांचिंग इंदिरा गांधी ने की थी

छिन्दवाड़ा लोकसभा क्षेत्र में इंदिरा गांधी ने कमल नाथ को 1980 में लांच किया था। कमल नाथ को इंदिरा गांधी अपना तीसरा पुत्र मानती थीं। कमल नाथ ने 1980 से लेकर 1991 तक लगातार 4 बार और 1997 के उपचुनाव में पटवा से हार के बाद 1998, 1999, 2004, 2009 और 2014 में पुनः 5 बार छिन्दवाड़ा को जीता था। कुल 9 बार छिन्दवाड़ा लोकसभा सीट पर कमल नाथ ने जीत दर्ज की हैं। दो बार (एमपी का मुख्यमंत्री बनने के बाद हुए उपचुनाव और 2023 में) छिन्दवाड़ा विधानसभा सीट पर जीत भी नाथ ने दर्ज की है। वे मध्य प्रदेश विधानसभा के वर्तमान सदस्य हैं।

साल 2018 के विधानसभा चुनाव में मध्य प्रदेश में कांग्रेस की 15 सालों के बाद सत्ता में वापसी कराने के एवज में कांग्रेस आलाकमान ने नाथ को मध्य प्रदेश का सीएम पद तोहफे के तौर पर सौंप दिया था।

लोकसभा के 2019 के चुनाव में कमल नाथ छिन्दवाड़ा सीट का टिकट अपने पुत्र नकुल नाथ को दिलाने में सफल हुए थे। भाजपा ने पूरा जोर लगाया था, लेकिन 2019 में एकमात्र छिन्दवाड़ा सीट को जीत पाने में सफल नहीं हो सकी थी।

कांग्रेस प्रत्याशी के नाम का ऐलान आज संभव

भाजपा ने कमलेश शाह को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है, लेकिन कांग्रेस उम्मीदवार का एलान नहीं कर सकी है। होमवर्क पूरा हो जाने की सूचनाएं हैं। खबरों के अनुसार कांग्रेस में टिकट के दावेदारों में आंचल कुंड धाम के सुखरामदास और साजवा दरबार के मनसींग मनवाती का नाम उभरकर सामने आया है। सूत्रों का कहना है कि पार्टी सोमवार को उम्मीदवार के नाम की घोषणा कर देगी।

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नकुल नाथ दिल्ली से कर रहे हैं ‘मॉनिटरिंग’

नकुल नाथ ने छिन्दवाड़ा हारने के बाद कहा था, ‘वे छिन्दवाड़ा से बोरिया-बिस्तर नहीं समेटेंगे। पूरा ध्यान उनका क्षेत्र और जनता पर केन्द्रित रहेगा। पार्टी अथवा जनता को जब भी दरकार होगी, वे छिन्दवाड़ा में सहज उपलब्ध होंगे।’

अमरवाड़ा उपचुनाव की रणभेरी बज गई है, लेकिन नकुल नाथ और कमल नाथ फिलहाल छिन्दवाड़ा में नहीं हैं। सूत्रों से मिली खबरों के अनुसार दो दिन पहले नकुल नाथ ने क्षेत्र के कांग्रेस विधायकों को दिल्ली बुलाया था। बैठक की। रणनीति बनाई।

जीजीपी है बड़ी बाधा

कांग्रेस की राह में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (जीजीपी) बड़ा रोड़ा है। जीजीपी से 27 साल के नौजवान और आदिवासियों में जबरदस्त पैठ रखने वाले युवा नेता देवरावेन भलावी का नाम चल रहा है। वे देवीराम के नाम से भी क्षेत्र में जाने जाते हैं। एलएलबी ऑनर्स भलावी ने पिछले चुनाव में 18 हजार वोट बटोरे थे। लोकसभा के चुनाव में 55 हजार वोट हासिल किए थे।

एक चर्चा यह भी बनी हुई थी कि कांग्रेस (कमल नाथ) जीजीपी को मनाने की जुगतबाजी में है। चूंकि अब नाथ का वो दौर या रूतबा रहा नहीं है, लिहाजा जीजीपी के घास न डालने की चर्चाएं भी सरगर्म बनी हुई हैं।

खबरें यह भी निकलकर सामने आयीं हैं कि भाजपा भी नाथ ही की तरह जीजीपी को साधने में जुटी हुई है।

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उम्रदराज और अस्वस्थ रह रहे कमल नाथ का वजूद छिन्दवाड़ा में मुक्कमल तौर पर समाप्त करने की जुगत में भाजपा है। छिन्दवाड़ा लोकसभा में हराकर उनका (कमल नाथ का) ‘करिश्मा’ भाजपा समाप्त कर चुकी है। भाजपा की मंशा अमरवाड़ा उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी को जोरदार पटखनी देकर नाथ एंड कंपनी को पूरी तरह से जमींदोज कर देने की है।

मुख्यमंत्री मोहन यादव और भाजपा की राज्य इकाई तमाम तरह की जोड़तोड़ अमरवाड़ा फतह करने को लेकर कर रहे हैं। सरकारी मशीनरी ने कमल नाथ और उनके खेमे को हलाकान कर रखा है। नाथ से जुड़े सूत्र दावा कर रहे हैं, ‘मशीनरी भाजपा की बी टीम की तरह अमरवाड़ा में काम कर रही है।’

15 हजार से ज्यादा की लीड ली थी

लोकसभा के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को अमरवाड़ा में 15 हजार से ज्यादा वोटों की बढ़त मिली थी। बीजेपी की कवायद, इससे तीन गुना ज्यादा वोटों से अमरवाड़ा में जीत दर्ज करने को लेकर है।

कमल नाथ से जुड़े सूत्रों ने ‘सत्य हिन्दी’ से ऑफ द रिकार्ड कहा, ‘हमारी चिन्ता इंदौर की पुर्नरावृत्ति न हो संबंधी भी है!’

बता दें, लोकसभा चुनाव में इंदौर सीट पर भाजपा ने कांग्रेस के प्रत्याशी अक्षय कांति बम को तोड़ लिया था। नाम वापसी के आखिरी क्षणों में बम ने अपना नाम वापस ले लिया था। कांग्रेस टापती और भाजपा को कोसती रह गई थी।

बम के हटने और कांग्रेस द्वारा नोटा को वोट देने की अपील इंदौर में बेअसर रही थी। भाजपा के उम्मीदवार शंकर ललवानी देश में सबसे बड़ी जीत दर्ज करने में कामयाब हो गए थे।

सूत्रों का दावा है, ‘बम वाले घटनाक्रम के मद्देनज़र कांग्रेस, अमरवाड़ा में अनहोनी की संभावनाओं से निपटने के लिए प्लान-बी भी बनाकर आगे बढ़ रही है।’

कमलेश शाह आदिवासियों के ‘हर्रई राजघराने’ से आते हैं। कमलेश के दादा और मां विधायक रहे हैं। उनकी बहनें भाजपा में पहले से हैं।

कुल 14 चुनाव, 10 बार कांग्रेस जीती

अमरवाड़ा सीट 1951 में अस्तित्व में आयी थी। साल 1951 से 2023 के बीच कुल 14 चुनाव हुए। इन 14 चुनावों में 10 बार कांग्रेस, दो बार भाजपा, एक बार गोंडवाना गणतंत्र पार्टी और 1967 में जनसंघ ने जीत दर्ज की थी।

कमल नाथ के साथ दूसरी बार धोखा हुआ

कमल नाथ के साथ कमलेश शाह के पहले प्रेम नारायण ठाकुर ने ‘धोखा’ किया था। नाथ के अनुयायियों में शुमार किए जाने वाले ठाकुर ने 2008 का चुनाव अमरवाड़ा से भाजपा के टिकट पर लड़ा और जीता था।

पुराने कांग्रेसी ठाकुर अमरवाड़ा से पहली बार 1980 में जीते थे। इसके बाद 1993 और 1998 में उन्हें जीत मिली थी। कमल नाथ खेमे का होने की वजह से ही दिग्विजय सिंह की दोनों सरकारों में उन्हें मंत्री पद मिला था। शानदार महकमे मिले थे।

छिन्दवाड़ा के मेयर विक्रम अहाके एक बार फिर भाजपा में शामिल हो गए हैं। लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा ने छिन्दवाड़ा कांग्रेस खेमे में सेंधमारी करते हुए कमलेश शाह के अलावा दिग्विजय सरकार में मंत्री और छिन्दवाड़ा से कई बार विधायक रहे दीपक सक्सेना को तोड़ा था। इन दो बड़े नेताओं के अलाव नाथ के कृपापात्र एवं छिन्दवाड़ा के मेयर विक्रम अहाके को भाजपा तोड़ने में कामयाब रही थी।

मेयर अहाके, लोकसभा चुनाव के वोटिंग वाले दिन कांग्रेस में लौट आये थे। वीडियो बयान जारी करके उन्होंने नकुल नाथ को वोट देने की अपील भी जारी की थी। उनका वीडियो चर्चाओं में रहा था।

अमरवाड़ा उपचुनाव के ठीक पहले गत दिवस अहाके एक बार फिर कांग्रेस का हाथ और कमल नाथ-नकुल नाथ का साथ छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए हैं।

तीन उपचुनावों की जोड़तोड़ भी तेज

मध्य प्रदेश में अमरवाड़ा के अलावा बुदनी, विजयपुर और बीना सीटों पर उपचुनाव भी संभावित हैं। बुदनी सीट शिवराज सिंह चौहान के विदिशा से सांसद चुने जाने के बाद इस्तीफे से रिक्त होने वाली है।

उधर विजयपुर कांग्रेस के विधायक रामनिवास रावत और बीना की विधायक एडवोकेट श्रीमती निर्मला सप्रे के भाजपा ज्वाइन करने की वजह से रिक्त होने वाली है।

विजयपुर और बीना सीटों पर उपचुनावों में कई पेंच हैं, लेकिन बुदनी में उपचुनाव जल्द होगा। बुदनी से भाजपा के उम्मीदवार के तौर पर शिवराज सिंह के पुत्र कार्तिकेय सिंह चौहान का नाम सुर्खियों में है। परिवारवाद आड़े आया तो नया नाम आयेगा।

कांग्रेस से विक्रम मस्ताल (2023 में शिवराज सिंह के सामने उम्मीदवार थे) और दिग्विजय सिंह सरकार में मंत्री रहे राजकुमार पटेल का नाम उछल रहा है। पटेल पूर्व में शिवराज सिंह चौहान के सामने चुनाव लड़ एवं हार चुके हैं।

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संजीव श्रीवास्तव
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