मध्य प्रदेश सराकर ने 'मीसा पेंशन' बंद करने का फ़ैसला किया है। इस स्कीम के तहत उन लोगों को पेंशन दी जाती है, जिन्हें इमर्जेंसी के दौरान मीसा क़ानून यानी मेंटिनेन्स ऑफ़ इंटनरनल सिक्योरिटी एक्ट (मीसा) के तहत जेल हुई थी। इसके अलावा इस स्कीम में वे लोग भी हैं, जिन्हें इंडियन डिफ़ेन्स रूल्स के तहत गिरफ़्तार किया गया था। भारतीय जनता पार्टी की शिवराज सिंह चौहान ने यह पेंशन स्कीम 2008 में शुरू की थी। इसके तहत हर पेंशनधारी को मासिक 25,000 रुपये दिए जाते थे।
300 विधवाओं को भी मिलती थी पेंशन
लोकनायक जयप्रकाश नारायण सम्मान निधि नियम के तहत 2,000 लोगों को हर महीने 25,000 रुपये मिलते थे और इस पर राज्य सरकार को हर साल लगभग 75 करोड़ रुपये खर्च करने होते थे।
भारतीय जनता पार्टी ने इसे राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित बताते हुए इसका ज़बरदस्त विरोध किया है। राज्य बीजेपी महासचिव वी. डी. शर्मा ने कहा है कि जिन लोगों ने इमर्जेंसी के ख़िलाफ़ संघर्ष किया था, यह उनके प्रति अन्याय है। बीजेपी नेता कैलाश सोनी ने कहा कि इस योजना के तहत उन 300 विधवाओं को भी पैसे मिलते हैं, जिनके पति को पहले पेंशन दी जाती थी और उनकी मौत हो चुकी है। वे लोकतांत्रिक सेनानी संघ के भी प्रमुक हैं।
इस तरह की पेंशन देने वाला अकेला राज्य मध्य प्रदेश नहीं हैं। बिहार, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, छत्तीसगठढ़, राजस्थान और हरियाणा की सरकारें भी इस तरह की पेंशन देती हैं। राजस्थान में वसुंधरा राजे सरकार ने इस तरह की पेंशन स्कीम शुरू की थी, जिसे अशोक गहलोत ने अपने पहले कार्यकाल में ख़त्म कर दिया था। इइस मुद्दे पर राजनीति गहराएगी, यह तय है। बीजेपी इसे आपातकाल से लड़ने वालों का अपमान बता कर कांग्रेस सरकार की मंशा पर सवाल करेगी। कमलनाथ को इसका जवाब देना होगा या इसे चालू रखना होगा।
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