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एमपी के सीएम मोहन यादव

एमपीः गडकरी ने सरकारी करप्शन पर खत लिखा, अदना सिपाही अब जाकर गिरफ्तार

केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के सख्त पत्र पर, भारतीय जनता पार्टी शासित मध्य प्रदेश राज्य में 29 महीने बाद ‘एक्शन’ हुआ! जो ‘कार्रवाई’ सामने आयी, वह कई सारे सवालों के घेरे में है। मसला बेहद मलाईदार और कमाऊ माने जाने वाले, परिवहन विभाग का है। इस महकमे को देश के प्रत्येक राज्य की सरकार में हासिल करने की होड़ हुक्मरानों में होती है।
मध्य प्रदेश लोकायुक्त संगठन ने बीते 19 दिसंबर को परिवहन विभाग के एक पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा और उसके पार्टनर चेतन गौर के भोपाल के बेहद पॉश अरेरा कालोनी स्थित ठिकानों पर रेड की है। इस रेड में बड़ी तादाद में नकदी, जेवरात, दो क्विंटल से ज्यादा चांदी की सिल्लियां और बेनामी संपत्ति के दस्तावेज बरामद हुए हैं।
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यह पूरा मामला गुरुवार और शुक्रवार (20 दिसंबर) की दरमियानी रात इनकम टैक्स विभाग के अन्य छापे के बाद से ज्यादा चर्चा में है। दरअसल, आईटी रेड में मौजूदा और रिटायर्ड टॉप ब्यूरोक्रेट्स, नेताओं और रसूखदारों के फार्म हाउसों से लगे भोपाल के मेंडोरा इलाके के एक फार्म हाउस पर लावारिस हालत में खड़ी मिली इनोवा कार से 40 करोड़ मूल्य का 52 किलो सोना और 10 करोड़ के करीब नकद राशि बरामद हुई।
लावारिस ‘गोल्डन कार’ में सोने की ईंटे और नकद रकम को लेकर इनकम टैक्स की छानबीन में कार चेतन गौर के नाम से पंजीकृत मिली है। ग्वालियर में इस कार का रजिस्ट्रेशन हुआ है। चेतन, अभी इनकम टैक्स टीम की निगरानी में है। उससे आईटी टीम पूछताछ कर रही है। लोकायुक्त ने भी चेतन पर शिकंजा कसा हुआ है। यहां बता दें, मध्य प्रदेश परिवहन महकमा हमेशा से चर्चाओं में रहते आया है। विभाग में भ्रष्टाचार की शिकायतें आम हैं। सिपाही से लेकर कमिश्नर तक पोस्टिंग के लिए बड़ी घूस का आरोप आम है। पोस्टिंग के बाद सिपाही से लेकर अन्य मुलाजिमों-अफसरों के वारे-न्यारे होने की चर्चाएं भी आम हैं।
MP: Gadkari wrote a letter on government corruption, Adna constable arrested after 29 months - Satya Hindi
केंद्रीय मंत्री गडकरी का पत्र

गडकरी का चर्चित पत्र

तीन दिन पहले जो रेड हुई है, उससे जुड़ी शिकायतों में केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी का एक बेहद सख्त खत भी रि-ओपन (सत्य हिन्दी के पास है) हो गया है। मोदी के दूसरे कार्यकाल में भी (वर्तमान की तरह) केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री पद के दायित्व का निर्वहन करने वाले नितिन गडकरी ने 16 जुलाई 2022 को मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस को लिखा था। गडकरी ने अपने खत में नागपुर भाजपा पूर्व महामंत्री जेपी शर्मा से मिली शिकायत का उल्लेख करते हुए इकबाल सिंह बैंस को प्रदेश के परिवहन विभाग में जबरदस्त रिश्वतखोरी की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने के लिए लिखा था।
केन्द्रीय मंत्री गडकरी ने अपने खत में साफ-साफ लिखा था, ‘मध्य प्रदेश के आरटीओ अधिकारी एवं कर्मियों द्वारा चेक पोस्ट एन्ट्री पर गाड़ी के सभी कागजात होने, गाड़ी अंडरलोड होने और एंट्री भरने का कोई भी प्रावधान नहीं होने पर भी ट्रक ड्राइवरों और ट्रक मालिकों को परेशान किया जाता है।’
गडकरी ने खत में यह भी कहा था, ‘मैंने इससे पहले भी आपको (चीफ सेक्रेट्ररी बैंस को) इस विषय में ध्यान देने की प्रार्थना की थी। समस्या का समाधान नहीं हुआ। मध्य प्रदेश का नाम खराब हो रहा है।’ गडकरी ने बैंस से अनुरोध किया था, ‘मुद्दे को संज्ञान में लें। सख्त और उचित कार्रवाई करें।’ तत्कालीन चीफ सेक्रेट्ररी बैंस को लिखे खत की प्रतियां गडकरी ने तब के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और तत्कालीन परिवहन मंत्री गोविन्द सिंह राजूपत को भी भेजी थी। करीब 29 महीनों बाद एक सिपाही और उसके साथी पर लोकायुक्त की रेड के बाद, गडकरी का यह पुराना खत फिर खुला है।
सौरभ दुबई फरारः पूरे मामले में जो सामने आ रहा है, उसके अनुसार सौरभ शर्मा भारत छोड़कर दुबई फरार हो चुका है। वहां भी उसका कारोबार होने की सुगबुगाहट है। मामला सामने आने के बाद से विपक्ष हमलावर है। मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष जीतू पटवारी ने शनिवार को पूरे मामले में अनेक आरोप सरकार पर लगाये थे। बीते 20 सालों के परिवहन महकमे के तमाम घपले-घोटाले, शिकायतों और विभाग में पदस्थ रहे अफसरों की संपत्ति जांच की मांग की थी।मध्य प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने जवाबी प्रेस कांफ्रेंस करते हुए दावा किया था, ‘कानून अपना काम कर रहा है। किसी को बख्शा नहीं जायेगा।’
आरोप-प्रत्यारोप और दावे-प्रतिदावों के बीच रविवार को मध्य प्रदेश विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे ने प्रेस कांफ्रेंस कर इस मसले में कुछ नयी मांगें एवं तथ्य मीडिया के सामने रखे हैं। कटारे ने तमाम सवाल उठाते हुए पूछा है, ‘सौरभ शर्मा तो टूल है। असल सौरभ प्रदेश और देश के सामने कब आयेगा? कैसे आयेगा? कटारे भी उच्च स्तरीय जांच चाह रहे हैं। उनका दावा है कि बीते 20 सालों के गोरखधंधे की बारीकी सी जांच हो और मगरमच्छों के यहां छापेमारी हो तो मध्य प्रदेश बेनामी संपत्ति, नकदी और सोना उगलने का नया रिकॉर्ड बना लेगा।
शर्मा के ‘अर्श’ पर पहुंचने की रोचक कहानीः सौरभ शर्मा और चेतन गौर पुराने दोस्त हैं। दोनों का बैकग्राउंड चमकीला नहीं है। सौरभ को उसके पिता के निधन के बाद अनुकंपा नियुक्ति मिली। अनुकंपा नियुक्ति का मसला भी कम रोचक नहीं है। पिता हेल्थ डिपार्टमेंट में पदस्थ थे। उनकी असामयिक मृत्यु के बाद साल 2016 में अनुकंपा नियुक्ति का प्रकरण चला तो हेल्थ डिपार्टमेंट ने पद न होने की दलील दी। इसके बाद 19 अक्टूबर 2016 को शर्मा परिवहन विभाग में सिपाही की नौकरी पा गया। सिपाही पद पर भरती होने के कुछ ही दिनों में उसकी पोस्टिंग बेहद अहम परिवहन चौकी पर हो गई।
कहते हैं, नौकरी और पोस्टिंग मिलने के बाद सौरभ और उसके दोस्त चेतन के दिन फिरे। देखते ही देखते सौरभ की लाइफ स्टाइल बदली। रसूख बढ़ा। लक्ष्मी की कृपा हुई। आरोप है, अवैध वसूली और धन बारिश के लिए ‘चिन्हित’ राज्य की आधी से ज्यादा परिवहन चौकियों, चैकपोस्ट और अहम मार्गों की व्यवस्थाओं की ‘देख-रेख’ का ‘संपूर्ण’ जिम्मा मिल गया। शिकवे-शिकायतों का सिलसिला तेज हुआ तो सौरभ ने बहुत समय तक नौकरी नहीं की। सौरभ ने 10 जून 2023 को नौकरी छोड़ दी। वीआरएस ले लिया। बिल्डर-डेवलपर हो गया।
बताया गया है, नौकरी छोड़ने के पहले मध्य प्रदेश की परिवहन जांच चौंकियों पर होने वाली कथित अवैध वसूली का मास्टरमाइंड वह था। उसे तत्कालीन मंत्रियों और अफसरों का कथित तौर पर वरदस्त प्राप्त था। इसी सबकी वजह से वो सबकी आंखों का तारा हो गया था। कहा यह भी जाता है, अफसरों से ज्यादा पावरफुल सौरभ था। सौरभ पर चौकियों पर सिपाहियों की पोस्टिंग के लेनदेन और पूरी जमावट का जिम्मा होने की बातें भी चर्चाओं में बनी हुई है।
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उसके यहां रेड के बाद से यह चर्चा आम है कि अपने आकाओं एवं रसूखदारों की अरबों की अवैध कमाई को वैध करने और निवेश का पूरा धंधा उसी की देखरेख में हो रहा था। इसके लिए कट्स उसे मिल रहा था। बताया यह भी गया है, वीआरएस ले लेने के बाद भी महकमे में उसका रसूख और चौकियों-नाकों पर दबदबा पहले जैसा ही बना हुआ था। सौरभ शर्मा के परिजनों का अलग-अलग क्षेत्रों में आय से ज्यादा निवेश भी सामने आ रहा है। एक जाने-माने स्कूल चैन की फ्रेंचाइजी उसके परिजनों के नाम भोपाल में ली गई। भव्य शिक्षा संस्थान एक पॉश क्षेत्र में विकसित करने का क्रम चल रहा था।
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क़मर वहीद नक़वी
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