कोरोना महामारी को लेकर लाॅकडाउन के बीच घर लौटने को बेताब प्रवासी मज़दूरों की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। सैकड़ों किलोमीटर पैदल और अन्य सहारों से आगे बढ़ रहे देश के इन ‘कर्णधारों’ के सब्र का बांध राज्यों की सीमाओं पर व्याप्त भारी अव्यवस्थाओं के बीच पूरी तरह से टूट गया। रीवा के चाकघाट में मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सीमा पर ऐसा ही नज़ारा देखने को मिला। पिछले दो-तीन दिनों से यहाँ फँसे हज़ारों भूखे-प्यासे मज़दूर और उनके परिजन रविवार को एमपी और यूपी पुलिस के बैरिकेड्स तोड़कर उत्तर प्रदेश की सीमा में घुस गये।
एमपी-यूपी बॉर्डर पर पिछले दो-तीन दिनों में दस हज़ार से ज़्यादा मज़दूर और उनके परिजन फँसे हुए थे। दरअसल, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को फ़रमान जारी किया था कि कोई भी मज़दूर पैदल अथवा असुरक्षित वाहनों से सफर करता पाया गया तो पुलिस और अन्य संबंधित अधिकारियों के ख़िलाफ़ सख़्त एक्शन होगा। योगी ने मज़दूरों से भी अपील की थी कि वे धैर्य न खोयें, हरेक श्रमिक को समुचित साधन उपलब्ध कराकर सरकार उनके घरों तक पहुँचायेगी।
मुख्यमंत्री के आदेश के बाद यूपी पुलिस ज़्यादा सख़्त हो गई थी। इधर बॉर्डर पर यूपी की ज़्यादा सख़्ती के बाद मध्य प्रदेश की पुलिस को भी सीमा पर ज़्यादा मुस्तैदी दिखानी पड़ रही है। उत्तर प्रदेश की सीमा रीवा से लगे चाकघाट से आरंभ होती है।
खाने और पानी के माकूल इंतज़ाम न होने से मध्य प्रदेश बॉर्डर पर रोके गये मज़दूर बेहद बेचैन थे। दिन भर वे परेशान होते रहे। पानी की खाली बोतलें भी मज़दूरों ने पूरे दिन लहराईं। शनिवार रात को मज़दूर सड़कों पर आ गये थे। रास्ता जाम करने का प्रयास किया था। इन्हें हटाने के लिए पुलिस को लाठियाँ भांजनी पड़ी थीं। कई लोग चोटिल हुए थे।
रविवार सुबह से भी बॉर्डर पर अफरा-तफरी का आलम बना रहा। यूपी सरकार ने मज़दूरों को ढोने के लिए बसें भेजी थीं। मज़दूरों की संख्या के मान से यह ऊँट के मुँह में जीरा साबित होती दिखीं तो हैरान-परेशान मज़दूर और उनके परिजन बेकाबू हो गये।
भारी भीड़ के आगे दोनों ही राज्यों की पुलिस असहाय होती दिखी। इस बीच बैरिकेड्स तोड़कर बड़ी संख्या में मज़दूर और उनके परिजन यूपी की सीमा में प्रवेश कर गये।
हालाँकि बाद में अतिरिक्त फ़ोर्स बुलवाकर बची हुई बेकाबू भीड़ पर काबू पा लिया गया। इस बीच एमपी बॉर्डर पर एकत्र उत्तर प्रदेश के मज़दूरों को ले जाने के लिए बसों के आने-जाने का क्रम पूरे दिन चला। मज़दूरों की संख्या के लिहाज़ से बसों की संख्या कम पड़ती रही। दोनों सूबों के अफसर स्थितियों को सामान्य बनाने के प्रयासों में जुटे रहे।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पड़ोसी राज्यों के कथित असहयोगात्मक रवैये पर खिन्नता जता चुके हैं। किसी राज्य का नाम लिए बिना चौहान ने कहा है, ‘देश के दिल मध्य प्रदेश ने कोरोना संक्रमण फैलने के ख़तरों के बीच अपनी सीमाओं को खोल रखा है। मज़दूर और उनके परिजनों की हर संभव मदद की जा रही है, लेकिन कुछ राज्य संक्रमण का ख़तरा उठाने को तैयार ही नज़र नहीं आ रहे हैं।’
शिवराज सिंह ने कहा, ‘मज़दूर के दर्द को राज्य की सरकारों को समझना होगा और अपने ही सूबे के श्रमिकों को उसी के राज्य में आने की अनुमति के साथ तमाम व्यवस्थाएँ बनानी होंगी। ऐसा करने पर ही मज़दूर का दर्द कम हो पायेगा और अफरा-तफरी रुक पायेगी।’
रक्सा बॉर्डर लगा 20 किलोमीटर लंबा जाम
चाकघाट के अलावा उत्तर प्रदेश-मध्य प्रदेश की दूसरी सीमा रक्सा बॉर्डर पर भी भारी अफरा-तफरी का माहौल बना हुआ है। झाँसी के पास रक्सा बॉर्डर पर यूपी की पुलिस निजी वाहनों को प्रवेश नहीं दे रही है। रक्सा सीमा से रविवार पूरे दिन ऐसा ही आलम होने की सूचनाएँ आती रहीं। पुलिस की सख़्ती के चलते इस सीमा पर 20 किलोमीटर लंबा जाम लग जाने की ख़बरें आयी थीं।
आज फिर सड़क हादसों में 6 मज़दूरों की मौत
अपने घरों को लौट रहे छह मज़दूरों की मध्य प्रदेश में रविवार को फिर जानें चली गईं। इंदौर के पास बीजासन घाट पर आज दोपहर एक टैंकर पलटने से दूसरे वाहन में सवार यूपी के चार मज़दूर दब गये। चारों की मौत हो गई।
एक अन्य घटना रविवार सुबह भिंड ज़िले में हुई। लहार वेयर हाउस में पल्लेदारी (मज़दूरी) कर अपनी मोटर बाइक से मेहगांव और लोरमी वापस लौट रहे तीन मज़दूरों को एक ट्रक ने टक्कर मार दी और भाग गया। हादसे में अली ख़ान और मुश्ताक ख़ान नामक श्रमिकों की मौक़े पर ही मौत हो गई। जबकि उनका तीसरा साथी बुरी तरह घायल हो गया। सीसीटीवी फुटेज के ज़रिये हादसे का पता चला। पुलिस अज्ञात वाहन की तलाश में जुटी हुई है। दुर्घटना में मौत होने पर मृतक के परिजन को एक-एक लाख रुपये तथा गंभीर रूप से घायलों को 25 हज़ार की मदद की घोषणा की है।
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