मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार को क्या स्थानीय निकायों को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी के सपने की फ़िक्र नहीं है? कमलनाथ सरकार ने यह फ़ैसला क्यों लिया कि महापौर और नगर निगम अध्यक्ष को जनता सीधे अपने वोट के ज़रिए नहीं चुनेगी, बल्कि अब उन्हें निर्वाचित पार्षद चुनेंगे। चुनी हुई स्थानीय सरकारों को बेहद मज़बूत और जनता के प्रति जवाबदेह बनाने के लिए कई क्रांतिकारी क़दम उठाने वाले राजीव गाँधी के सपनों को उन्हीं की पार्टी मध्य प्रदेश कांग्रेस क्या भूलाने जा रही है? या कोई और मजबूरी है?