मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार को क्या स्थानीय निकायों को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी के सपने की फ़िक्र नहीं है? कमलनाथ सरकार ने यह फ़ैसला क्यों लिया कि महापौर और नगर निगम अध्यक्ष को जनता सीधे अपने वोट के ज़रिए नहीं चुनेगी, बल्कि अब उन्हें निर्वाचित पार्षद चुनेंगे। चुनी हुई स्थानीय सरकारों को बेहद मज़बूत और जनता के प्रति जवाबदेह बनाने के लिए कई क्रांतिकारी क़दम उठाने वाले राजीव गाँधी के सपनों को उन्हीं की पार्टी मध्य प्रदेश कांग्रेस क्या भूलाने जा रही है? या कोई और मजबूरी है?
महापौर चुनाव पर राजीव गाँधी के सपने को तोड़ रहे हैं कमलनाथ?
- मध्य प्रदेश
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- संजीव श्रीवास्तव
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- 27 Sep, 2019

संजीव श्रीवास्तव
कमलनाथ सरकार को क्या स्थानीय निकायों को लेकर राजीव गाँधी के सपने की फ़िक्र नहीं है? इसने यह फ़ैसला क्यों लिया कि महापौर और नगर निगम अध्यक्ष को जनता सीधे अपने वोट के ज़रिए नहीं चुनेगी?
कमलनाथ सरकार के इस फ़ैसले पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। सरकार के निर्णय को मध्य प्रदेश में पिछले लोकसभा चुनाव में मिली क़रारी हार से भी जोड़ा जा रहा है। दरअसल, लोकसभा चुनाव में कांग्रेस मध्य प्रदेश की 29 में से 28 सीटें हार गई थी। ज्योतिरादित्य सिंधिया तक गुना सीट को नहीं बचा सके थे। स्वयं कमलनाथ के अपने गढ़ में उनके बेटे नकुल नाथ मुश्किल से जीत पाए थे।