बता दें कि, अब तक की जांच में हनी ट्रैप गैंग के तार चार सूबों से जुड़े होने के पुख्ता प्रमाण जांच दल को मिल चुके हैं। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और राजस्थान में गैंग द्वारा जिस्मफरोशी के दौरान ख़ुफ़िया कैमरों और मोबाइल फ़ोन के माध्यम से नेताओं तथा अफ़सरों को आपत्तिजनक हालातों में क़ैद किया गया है। बाद में इन्हीं आपत्तिजनक वीडियोज और अश्लील चैटिंग (वीडियो के अलावा रिकॉर्डेड फ़ोन कॉल्स, एसएमएस और व्हाट्सएप चैटिंग) का डर दिखाकर इन्हें ब्लैकमेल किया गया।
जांच दल से जुड़े सूत्रों की मानें तो पचास से ज़्यादा नामी-गिरामी और बड़े ओहदे वाले अधिकारियों के हम-बिस्तर होते वीडियो इस गैंग ने कई-कई एंगलों से बनाये। क़रीब 100 नेताओं (छोटे और बड़े लीडरों) के ऐसे ही अश्लील वीडियोज कैमरों में क़ैद किये गये।
गैंग में शामिल लड़कियां अपनी अदाओं के जरिये पहले इन्हें (नेता और अफ़सरों) पूरी तरह से अपनी ‘गिरफ्त’ में लिया करती थीं, और ‘विश्वास’ जीत लेने के बाद अश्लील वीडियो बनाये जाते थे।
चूंकि नेता और अफ़सरों को गैंग के इरादों की जरा भी भनक नहीं लग पाती थी, लिहाजा वह अपने मोबाइल फ़ोन (सरकारी और अपने निजी नंबरों) से बेधड़क अश्लील मैसेज, फ़ोटोज, चुटकले तथा सेक्स से जुड़े अनुभव खुलकर गैंग की युवतियों से शेयर किया करते थे।
पूर्व सीएम, पूर्व राज्यपाल के भी वीडियो!
सूत्रों के मुताबिक़, जांच दल इस गैंग से एक पूर्व राज्यपाल, एक पूर्व मुख्यमंत्री के अलावा दर्जनों स्थापित नेताओं के अश्लील वीडियोज और अश्लील ऑडियो चैटिंग बरामद कर चुका है। एक राज्य के मौजूदा मुख्य सचिव के गैंग की सदस्य के साथ हम बिस्तर होते नग्न वीडियोज भी जांच दल को मिल जाने की सुगबुगाहट है। हालांकि आधिकारिक तौर पर अभी किसी ने इसकी पुष्टि नहीं की है।
गैंग ने काफ़ी संख्या में बड़े व्यापारियों को भी हनी ट्रैप में फांस रखा था। गैंग की कुछ और फ़रार सदस्यों की पुलिस को तलाश है। माना जा रहा है कि इनके मिलने के बाद अश्लील वीडियो और चैट का आंकड़ा छह हजार तक पहुंच जायेगा। जांच दल फ़रार आरोपियों के फ़ोन नंबरों से जुड़ा ब्यौरा जुटा रहा है।
इस बीच महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता अभय सालूंके की ‘गतिविधियों’ से जांच दल के कान खड़े हो गये हैं। सालूंके इंदौर पहुंचे थे और उन्होंने गैंग की एक मास्टरमाइंड युवती से मुलाक़ात का प्रयास किया हालाँकि युवती से सालूंके की मुलाकात नहीं हो सकी।
मध्य प्रदेश कांग्रेस के इंदौर के एक प्रमुख नेता ने अपना नाम नहीं छापने की शर्त पर ‘सत्य हिन्दी’ से इस बात की पुष्टि की कि महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता सालूंके इंदौर पहुंचे थे। सालूंके ने श्वेता से मिलने का प्रयास भी किया। कांग्रेस नेता ने बताया, ‘सालूंके राजनीति में अपने धुर विरोधी संभाजी पाटिल को एक्सपोज करना चाहते हैं, इसी मंशा से वह श्वेता से मिलकर कुछ तथ्य जुटाना चाह रहे थे। महाराष्ट्र की राजनीति में ख़ुद को बेहद पाक-साफ़ बताते रहे संभाजी पाटिल को वह पूरी तरह से जनता के सामने एक्सपोज करने के प्रयास में हैं।’
मध्य प्रदेश सरकार ने इस हाई प्रोफ़ाइल मामले की जांच का जिम्मा अब संजीव शमी को सौंपा है। एसआईटी (विशेष जांच दल) के गठन के बाद आईजी सीआईडी - डी.श्रीनिवास वर्मा को पहले इसका प्रमुख बनाया गया था। सोमवार को उनकी नियुक्ति के आदेश जारी हो गए थे। मंगलवार दोपहर बाद आनन-फानन में उन्हें हटाते हुए एसआईटी का मुखिया एडीजी इंटेलिजेंस संजीव शमी को बना दिया गया।
श्रीनिवास को हटाने और शमी को एसआईटी की जिम्मेदारी सौंपे जाने को लेकर राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में अलग-अलग सुगबुगाहट रही। किसी ने कहा, वर्मा की बीजेपी के कुछ नेताओं से नजदीकियों की बातें सामने आने पर उन्हें बदला गया। जबकि कुछ ने कहा, ‘स्वयं वर्मा ने जिम्मेदारी किसी और अफ़सर को दिये जाने का आग्रह किया था - जिसके चलते सरकार ने उनकी जगह शमी को नियुक्त किया।’
जाँच दल पर दबाव न आये
शमी की अगुवाई वाली टीम में एसपी स्तर के तीन, एक एएसपी और तीन निरीक्षक स्तर के अधिकारियों को तैनात किया गया है। सरकारी सूत्र दावा कर रहे हैं कि मुख्य सचिव और इस वेतनमान वाले अफ़सरों के फंसे होने की वजह से सरकार चाहती है कि जाँच दल पर किसी तरह का दबाव ना आये। इसीलिये डीजी स्तर के अधिकारी शमी को जांच की जिम्मेदारी दी गई है। हटाये गये अधिकारी वर्मा आईजी हैं और उन पर दबाव बनाया जा सकता था, लेकिन शमी का पद और कड़क मिजाजी के आगे कोई उन पर प्रेशर नहीं बना सकेगा, सूत्रों ने यह जानकारी दी है।
एक दर्जन अभियुक्त हैं अंदर
अब तक की जांच के बाद कुल एक दर्जन के लगभग अभियुक्त अब सीखचों के पीछे हैं। हाई-प्रोफ़ाइल जिंदगी गुजारने की आदी हो चुकीं युवतियां इससे बेहद हलाकान बताई जा रही हैं। जेल और थानों में उन्हें नींद नहीं आ पा रही है। विचाराधीन क़ैदियों को मिलने वाले खाने-पीने को लेकर भी वे परेशान हैं। दो अभियुक्त बीमार हैं। एसआईटी की जांच तेज होने के बाद इन पर शिकंजा और कसना तय माना जा रहा है।
मीणा को निलंबित क्यों नहीं किया?
इंदौर नगर निगम के इंजीनियर हरभजन सिंह के निलंबन के बाद मध्य प्रदेश के एडिशनल चीफ़ सेक्रेट्ररी रैंक के अफ़सर पीसी मीणा को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। दरअसल, हरभजन सिंह का निलंबन गलत आचरण के आरोप में हुआ है। हरभजन सिंह के गैंग की सदस्यों के साथ हम बिस्तर होने संबंधी वीडियो और अश्लील ऑडियो चैट मिले हैं। इन्हें अनुचित मानते हुए ही सिंह का निलंबन किया गया है।
सवाल यह खड़ा किया जा रहा है कि ऐसे ही वीडियो और अन्य चैटिंग मीणा की भी इसी गिरोह की पकड़ी गई सदस्य के साथ वायरल हुई थी। वीडियो वायरल हुए एक महीने से ज़्यादा का वक़्त हो जाने के बाद मीणा को निलंबित क्यों नहीं किया जा रहा है? वह सीनियर आईएएस अफ़सर हैं, क्या सरकार ने इस वजह से उन्हें बख्श दिया है? प्रश्न यह भी उठाया जा रहा है कि मीणा सरकार को आख़िर क्यों ‘नजर’ नहीं आ पाये हैं? जानकार कह रहे हैं सजा बराबर होनी चाहिये।
मध्य प्रदेश के आला अफ़सर और इस पूरे मामले पर कैमरों के सामने प्रतिक्रिया देने वाले सरकार में बैठे लोगों के पास इस बात (मीणा का निलंबन क्यों नहीं?) का कोई माकूल जवाब नहीं है। इस सवाल पर वे ख़ामोश हो जाते हैं या कैमरे के सामने से चले जाते हैं।
कई राज्यों से मिला सरकारी काम
जांच में यह भी सामने आ रहा है कि हनी ट्रैप के जरिये नेता और अफ़सरों को खुलकर ब्लैकमेल करने वाले इस गिरोह ने कई राज्यों से नियम-कायदों को धता बताते हुए न केवल करोड़ों के काम लिये, बल्कि आधे-अधूरे या बिना काम किये ही भुगतान भी हासिल कर लिये।
सूत्रों ने बताया कि शुरुआती जांच में दर्जनों बड़े काम मध्य प्रदेश के कई विभागों से गिरोह की सदस्यों की एनजीओ को मिलने के प्रमाण मिले हैं। महाराष्ट्र, राजस्थान और छत्तीसगढ़ से भी अनेक बड़े ठेके गिरोह द्वारा लिये जाने की जानकारियां सामने आ रही हैं।
सूत्र बता रहे हैं कि मध्य प्रदेश सरकार गिरोह द्वारा लिये गये ठेकों और उठाये गये कामों की जांच के लिए राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो की मदद भी लेने वाली है। इस बारे में विधिवत आदेश जारी कर दिये जाने के संकेत हैं।
दूसरे राज्यों से मांगी जानकारी
एसआईटी ने मध्य प्रदेश के अलावा अन्य राज्यों के जिन नेताओं और अफ़सरों के नाम आ रहे हैं उनकी और उनके विभागों से जुड़ी सूचियां बनाने का काम आरंभ कर दिया है। ऐसे संकेत हैं कि इन राज्यों की सरकारों को ये सूचियां भेजी जायेंगी और जानकारियां मांगी जायेंगी। इस बीच, एसआईटी ने पकड़ी गई महिलाओं के एनजीओ में पिछले कुछ सालों में हुए लेन-देन का ब्यौरा जुटाना भी शुरू कर दिया है।
इस बीच, हनी ट्रैप के चक्कर में धरी गई मास्टर माइंड और जांच दल के सूत्रों से ‘जानकारियां’ जुटाने की ‘नीयत’ से इंदौर पहुंचे कांग्रेस नेता सालुंके ने कहा है, ‘महाराष्ट्र के उस महकमे से गिरोह ने, कई बड़े ठेके हासिल किये हैं जिस विभाग के मंत्री के अश्लील वीडियो गिरोह की एक युवती के साथ मिले हैं।’
मध्य प्रदेश में हनी ट्रैप गिरोह के पुलिस के हत्थे चढ़ने और पूछताछ में हर दिन नए खुलासों ने कई दिग्गज नेताओं, अधिकारियों और व्यापारियों की नींद उड़ा रखी है। इस गिरोह में बी ग्रेड मूवी की कई ऐक्ट्रेस के नाम भी सामने आ रहे हैं।
आरोप है कि हनी ट्रैप के जाल में फंसाने वाली सुंदरियां अमूमन राजधानी भोपाल के एक चर्चित क्लब में जाती थीं, जहां उनके लिए कुछ वरिष्ठ नौकरशाहों द्वारा कमरे बुक किए जाते थे। इन लड़कियों में कई तो मात्र 18 साल की हैं। पकड़ी गईं युवतियों के राजनीतिक रसूख का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इन्होंने या तो ख़ुद ही राजनीतिक दल में बड़ा पद हासिल कर लिया था या उनके परिवार के सदस्यों को इसमें बड़ी जिम्मेदारी मिल गई थी। गिरोह की कई सदस्य और उनके नाते-रिश्तेदारों के नाम से स्वयं सेवी संस्थाएं (एनजीओ) बनाकर भी चांदी काट रही थी।
एक और गिरोह पकड़ा गया
मध्य प्रदेश में एक और ऐसा ही गिरोह पकड़ा गया है। गिरोह का खुलासा बुधवार शाम को भोपाल आईजी ने मीडिया के बीच किया है। हनी ट्रैप करने के आरोप में आधा दर्जन से ज़्यादा युवतियां और उनके सहयोगी पकड़े गये हैं। इस गिरोह की मास्टर माइंड नीपा धोटे और रिवाना बैग नाम युवतियां बताई गई हैं। ये युवतियां व्यापारियों को निशाना बनाया करती थीं।
युवतियां और इनकी सहयोगी 15 से 20 हजार रुपये हर रात की फ़ीस पर देह व्यापार के लिए मुंबई, दिल्ली, गोवा और अन्य बड़े शहरों में जाया करती थीं। एक रात की ‘तय फ़ीस’ के अलावा गिरोह हवाई टिकिट भी अपने ग्राहक से लेता था। गिरोह ने दो दर्जन के लगभग व्यापारियों को हनी ट्रैप के बाद ब्लैकमेल किया।
अपनी राय बतायें