मध्य प्रदेश में पेट्रोल जहाँ 81.60 रुपये प्रति लीटर है वहीं दूसरे राज्यों में क़रीब 11 रुपये तक कम क्यों हैं? इसके जीएसटी यानी माल एवं सेवा कर के दायरे में होने पर ऐसा अंतर नहीं हो पाता। फिर पेट्रोल-डीज़ल जीएसटी के दायरे में क्यों नहीं है? कहीं इसलिए तो नहीं कि सरकारों को मनमानी से फ़ायदा कमाने का मौक़ा नहीं मिल पाएगा? इन सवालों के जवाब शायद अलग-अलग राज्यों में पेट्रोल-डीज़ल की क़ीमतें देखकर मिल जाएँ। मुनाफ़े के लिए हर राज्य अपनी मनमर्जी से पेट्रोल-डीज़ल पर टैक्स लगा रहे हैं चाहे आम लोगों पर कितना ही ज़्यादा बोझ क्यों न पड़ जाए। ये राज्य वैट यानी वैल्यू एडेड टैक्स लगाकर ऐसा कर रहे हैं। यदि जीएसटी लग जाए तो सभी राज्यों में इन पर एक समान कर लगेगा और राज्य सरकारें अपना खजाना भरने के लिए मनमानी नहीं कर पाएँगी। यही कारण है कि वे पेट्रोल-डीज़ल को जीएसटी के दायरे में लाने का विरोध करते रहे हैं।
मध्य प्रदेश: पेट्रोल-डीज़ल ज़्यादा महँगा, जीएसटी दायरे में क्यों नहीं?
- मध्य प्रदेश
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- 22 Sep, 2019
मध्य प्रदेश में पेट्रोल 81.60 रुपये प्रति लीटर है वहीं दूसरे राज्यों में क़रीब 11 रुपये तक कम क्यों हैं? पेट्रोल-डीज़ल जीएसटी यानी माल एवं सेवा कर के दायरे में क्यों नहीं है?

मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने बाढ़ और अतिवर्षा से हुई तबाही की भरपाई की दलील देते हुए पेट्रोल-डीज़ल पर पाँच प्रतिशत वैट बढ़ाया है। बढ़े हुए दाम शनिवार से राज्य में लागू भी हो गये हैं। इसके बाद मध्य प्रदेश में पेट्रोल के औसत दाम 81.60 रुपये प्रति लीटर और डीज़ल के दाम 72.89 रुपये प्रति लीटर हो गये हैं। नये दामों के बाद देश में सबसे महँगा पेट्रोल और डीज़ल मध्य प्रदेश में हो गया है।