मध्य प्रदेश में पेट्रोल जहाँ 81.60 रुपये प्रति लीटर है वहीं दूसरे राज्यों में क़रीब 11 रुपये तक कम क्यों हैं? इसके जीएसटी यानी माल एवं सेवा कर के दायरे में होने पर ऐसा अंतर नहीं हो पाता। फिर पेट्रोल-डीज़ल जीएसटी के दायरे में क्यों नहीं है? कहीं इसलिए तो नहीं कि सरकारों को मनमानी से फ़ायदा कमाने का मौक़ा नहीं मिल पाएगा? इन सवालों के जवाब शायद अलग-अलग राज्यों में पेट्रोल-डीज़ल की क़ीमतें देखकर मिल जाएँ। मुनाफ़े के लिए हर राज्य अपनी मनमर्जी से पेट्रोल-डीज़ल पर टैक्स लगा रहे हैं चाहे आम लोगों पर कितना ही ज़्यादा बोझ क्यों न पड़ जाए। ये राज्य वैट यानी वैल्यू एडेड टैक्स लगाकर ऐसा कर रहे हैं। यदि जीएसटी लग जाए तो सभी राज्यों में इन पर एक समान कर लगेगा और राज्य सरकारें अपना खजाना भरने के लिए मनमानी नहीं कर पाएँगी। यही कारण है कि वे पेट्रोल-डीज़ल को जीएसटी के दायरे में लाने का विरोध करते रहे हैं।