लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ मुठभेड़ में शहीद हुए मध्य प्रदेश के वीर सपूत दीपक कुमार सिंह के परिजनों को राज्य सरकार ने एक करोड़ रुपये की सम्मान राशि, घर के एक सदस्य को सरकारी नौकरी और पक्का घर अथवा भूखंड देने का एलान किया है।
दीपक के पार्थिव शरीर को शुक्रवार को मध्य प्रदेश लाया गया। लेह-लद्दाख से दीपक के पार्थिव शरीर को लेकर सेना का विशेष विमान पहले प्रयागराज (इलाहाबाद) पहुंचा। प्रयागराज से सड़क मार्ग के जरिये रीवा की मनगंवा तहसील में उनके पैतृक गांव फरेंदा पहुंचा।
रीवा से लेकर मनगंवा और फरेंदा गांव तक के मार्ग पर जगह-जगह शहीद दीपक के बैनर-पोस्टर लगाये गये थे। महज 21 साल के वीर जवान की पार्थिव देह पर लोगों ने फूल बरसाकर सम्मान जताया। हाथों में तिरंगा थामे बच्चे और युवा समेत अन्य जन ‘दीपक सिंह अमर रहे’ के नारे लगाते रहे।
दीपक की पार्थिव देह को देखकर उसके गांव फरेंदा में हर शख़्स की आंख नम दिखलाई दी। अंतिम यात्रा के पूर्व दीपक के पार्थिव शरीर को लोगों के दर्शनार्थ रखा गया। ना केवल फरेंदा बल्कि आसपास के गांवों के लोग भी दीपक के अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे और अंत्येष्टि में शामिल हुए। मध्य प्रदेश सरकार ने राजकीय सम्मान के साथ दीपक को अंतिम विदाई दी।
मुख्यमंत्री ने दिया कंधा
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दीपक के पार्थिव शरीर को कंधा दिया। उन्होंने दीपक की पत्नी और परिजनों को ढांढस बंधाया। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘दीपक का बलिदान व्यर्थ नहीं जायेगा। पूरा मध्य प्रदेश दीपक के परिजनों के साथ है। मैं और राज्य सरकार स्वयं हर अवसर पर परिवार के साथ खड़े रहेंगे।’
सात महीने पहले हुआ था विवाह
दीपक का विवाह बीते साल नवंबर में हुआ था। बेहद सहज और सरल दीपक अपने बड़े भाई प्रकाश सिंह से प्रेरित होकर सेना में भर्ती हुए थे। उस बिहार रेजीमेंट में दीपक की पोस्टिंग थी, जिसने चीनी सैनिकों को खदेड़ने में अपनी जान तक की परवाह नहीं की। मुठभेड़ में भारत के कुल 20 जवान शहीद हो गये थे।
वादा नहीं निभा पाये दीपक
दीपक होली पर अपने घर आये थे। ड्यूटी पर जाने के बाद उन्होंने परिजनों से वादा किया था कि कोरोना संक्रमण की वजह से लगे लाॅकडाउन के खुल जाने के बाद वे पुनः घर आयेंगे। लेकिन वादे को निभाने से पहले ही दीपक चीनी सैनिकों से लोहा लेते हुए देश के लिए शहीद हो गये।
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