मध्य प्रदेश में राज्यसभा की तीन रिक्त सीटों के लिए शुक्रवार को वोटिंग हुई। लेकिन इसमें कोरोना पाॅजिटिव विधायक कुणाल चौधरी के वोट डालने को लेकर जमकर सवाल उठे। कुणाल पीपीई किट पहनकर सबसे अंत में वोट डालने पहुंचे। पिछले सप्ताह कुणाल चौधरी की रिपोर्ट पाॅजिटिव आई थी। तीन सीटों के लिए प्रदेश के सभी 206 विधायकों ने वोटिंग की।
कोरोना संक्रमित होने के बाद कुणाल को भोपाल के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल हमीदिया में भर्ती कराया गया था। यहां वे तीन दिन तक रहे। इसके बाद डाॅक्टरों से कथित तौर पर जबरिया छुट्टी लेकर वे भोपाल स्थित अपने घर चले आये। कोरोना के रोगी होते हुए भी उपचार की प्रक्रिया पूरी होने तथा नये सिरे से टेस्ट होने के पहले ही उनके घर जाने पर भी खूब सवाल उठाये गये।
वोट डालने के बाद हाथ उठाकर मीडिया के सामने विक्टरी का साइन बनाते हुए कुणाल निकल गये। कुणाल चौधरी जब वोट डालने पहुंचे तो वहां वोटिंग कराने वाला अमला ही मौजूद था।
बीजेपी ने दर्ज कराई आपत्ति
कुणाल की वोटिंग को लेकर मध्य प्रदेश बीजेपी के प्रवक्ता ने लिखित में आपत्ति भी दर्ज कराई। बीजेपी प्रवक्ता डॉ. हितेष वाजपेयी ने सवाल उठाया कि कोरोना पॉजिटिव अन्य रोगियों को भी प्रशासन पीपीई किट पहनकर घूमने-फिरने की अनुमति प्रदान करेगा? उन्होंने कहा कि नियम तो सभी के लिए एक बराबर होते हैं।
सवाल यह भी उठाया गया कि राज्यसभा के चुनाव में ऐसे हालात नहीं थे कि कुणाल के वोट डालने अथवा ना डालने पर कांग्रेस को कोई फर्क पड़ता? यदि कुणाल वोट ना डालते तो भी कांग्रेस को एक ही सीट मिल पाती और जब उन्होंने वोट डाला तब भी कांग्रेस को एक ही सीट मिल पानी मुमकिन है।
आरोप लगाया गया कि मीडिया की सुर्खी बनने के लिए कुणाल पीपीई किट पहनकर वोट डालने पहुंचे। हालांकि राज्यसभा चुनाव कराने के लिए तैनात अमले ने कुणाल को पीपीई किट पहनकर वोट डालने की अनुमति दी थी।
डाक मत पत्र की है व्यवस्था
प्रश्न यह भी खड़ा किया गया कि राज्यसभा चुनाव कराने वाले अफसरों ने कुणाल को प्रत्यक्ष तौर पर वोट डालने के लिए अनुमति आखिर क्यों दी? इस प्रश्न को लेकर दलील दी गई कि जब राज्यसभा चुनावों के लिए डाक मत पत्र की व्यवस्था है, अतः कुणाल का वोट डाक मत पत्र के जरिये डलवाया जाना चाहिए था।
बता दें, कोरोना संक्रमण से जुड़े प्रोटोकाॅल में मध्य प्रदेश में कोरोना संदिग्ध को 14 दिन क्वारंटीन रखे जाने का नियम है। कोरोना संदिग्धों को क्वारंटीन करने के लिए सेंटर निर्धारित हैं। यदि कोई कोरोना पाॅजिटिव है तो ऐसे रोगी को तब तक अस्पताल में रहना होता है जब तक कि वह पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाता।
कोरोना पाॅजिटिव रोगी को कोरोना संक्रमण मुक्त माने जाने के लिए उसका दो मर्तबा कोरोना का टेस्ट करने का नियम है। जब तक दोनों टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव नहीं आती है तब तक रोगी को कोरोना से मुक्त नहीं माना जा सकता। अस्पतालों में भर्ती कोरोना के रोगी से ना तो किसी को मिलने देने की अनुमति है और ना ही वह किसी से मिल सकता है।
अबोध बच्चे से लेकर बुजुर्गों तक के लिए यही व्यवस्था है। बावजूद इसके कांग्रेस विधायक कुणाल का अस्पताल से छुट्टी लेकर घर चले जाना और आज वोट डालने के लिए पहुंचने पर सवाल उठने लाजिमी हैं।
राज्य की विधानसभा में यूं तो कुल 230 सीटें हैं। लेकिन दो सीटें सदस्यों के निधन से रिक्त हैं। जबकि 22 सीटें कांग्रेस विधायकों द्वारा इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हो जाने के कारण खाली हैं। इस तरह वर्तमान में कुल 24 सीटें रिक्त हैं, जिनके लिए जल्द ही उपचुनाव होना है।
सिंधिया भी हैं उम्मीदवार
मध्य प्रदेश से राज्यसभा की तीन रिक्त सीटों के लिए बीजेपी ने पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और सुमेर सिंह सोलंकी को प्रत्याशी बनाया है। उधर, कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और फूल सिंह बरैया को टिकट दिया है। समीकरणों के हिसाब से बीजेपी को दो और कांग्रेस को एक सीट मिलना तय माना जा रहा है।
बसों में लाए गए कांग्रेस विधायक
कांग्रेस खेमे को क्राॅस वोटिंग की आशंका थी। संभवतया इसी बात के मद्देनजर पार्टी अपने सभी विधायकों को दो अलग-अलग बसों में भरकर विधानसभा लाई थी। वोटिंग के लिए निकलने से पहले सभी विधायक पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के सरकारी आवास पर इकट्ठा हुए थे। सबसे आखिरी वोट कुणाल ने डाला। जबकि पहला वोट मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने डाला था।
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