मध्य प्रदेश में अंडे पर सियासी घमासान और तेज हो गया है। कमलनाथ सरकार ने कुपोषण पर नियंत्रण के लिए राज्य की एक लाख से ज़्यादा आंगनबाड़ियों में अंडा परोसने का फ़ैसला किया है। बीजेपी को यह फ़ैसला रास नहीं आ रहा है और उसने सरकार के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया है। शनिवार को बीजेपी ने भोपाल में प्रदर्शन भी किया।
आंगनबाड़ियों के माध्यम से अंडा परोसे जाने पर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव, बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष एवं सांसद राकेश सिंह तीख़ी नाराजगी जता चुके हैं।
गोपाल भार्गव ने तो यहां तक कहा है, ‘अंडा खिलाने से बच्चों के नरभक्षी हो जाने जैसा ख़तरा है।’ कैलाश विजयवर्गीय ने नाथ सरकार के अंडा परोसने के निर्णय को धर्म भ्रष्ट करने वाला क़रार दिया है।
मध्य प्रदेश में क़रीब 67 लाख बच्चे कुपोषण के शिकार हैं। काफी संख्या में कुपोषण से बच्चों की मौतें प्रदेश में होती हैं। कुपोषण से निपटने के लिए सरकार अनेक कदम उठा रही है। शिवराज सरकार ने भी अनेक उपाय इस दिशा में किये। राज्य सरकार आंगनबाड़ियों में पोषण आहार मुहैया करवाती है। ग़रीब बच्चों को प्रोटीन से लेकर लौहतत्वों की कमी दूर करने वाले खाद्य पदार्थ नाश्ते में दिये जाते हैं।
मध्य प्रदेश में कुपोषण का सर्वाधिक शिकार कोई है, तो वे आदिवासी समुदाय के बच्चे हैं। अंडा वितरण में सरकार की पहली प्राथमिकता आदिवासी क्षेत्रों को लेकर ही है। चूंकि अधिकांश आदिवासी वर्ग मांस खाता है, इसलिये इस वर्ग के बच्चों को अंडा खिलाने में सरकार को ज़्यादा मुश्किल नहीं आने वाली है।
नाथ सरकार ने जबसे आंगनबाड़ियों में पोषण आहार में अंडा देने का निर्णय लिया है, तभी से बीजेपी की भृकुटियां तनी हुई हैं। उधर, सत्तारूढ़ दल भी अपनी जिद पर अड़ा हुआ है। तमाम औपचारिकताएं पूरी हो चुकी हैं। बच्चों को अंडा जल्द उपलब्ध कराया जाना भर शेष है।
बीजेपी नेताओं की प्रतिक्रियाओं के जवाब में राज्य की महिला एवं बाल विकास विभाग (आंगनबाड़ियां इसी विभाग के अधीन आती हैं) की मंत्री इमरती देवी ने कहा है कि वह स्वयं अंडा खाती हैं और तमाम पौष्टिक गुणों वाले अंडे को बच्चों को दिया जाना उनके स्वास्थ्य के लिए हितकारी होगा।
‘अंडे पर दंगा करवायेंगे शिवराज’
कमलनाथ सरकार में वरिष्ठ मंत्री आरिफ़ अक़ील ने तो नसीहत भरे अंदाज में कह डाला है, ‘शिवराज सिंह मध्य प्रदेश में क्या अंडे पर ‘दंगा’ करवाना चाहते हैं।’ अकील ने संकेतों में स्पष्ट किया है कि अंडा गुणकारी है।
तमाम बयानबाज़ी के बीच नाथ सरकार के उच्च शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे मंत्री जीतू पटवारी ने कहा है, ‘सरकार अंडा अनिवार्य नहीं कर रही है।’ उनका इशारा है कि - ‘जिन्हें खाना होगा वे खायेंगे और जिन्हें नहीं खाना है, उन्हें जबरिया अंडा खाने के लिए बाध्य नहीं किया जायेगा।’
मध्य प्रदेश अंडा उत्पादन करने वाले सूबों में अग्रणी है। पिछले बरस राज्य में डेढ़ अरब के लगभग अंडों का उत्पादन हुआ था। मध्य प्रदेश दूसरे राज्यों में अंडे की माँग की पूर्ति भी करता है। जानकारों का कहना है कि राज्य की आंगनबाड़ियों में अंडा परोसने की शुरुआत के बाद अंडे का मौजूदा उत्पादन मध्य प्रदेश में ही माँग पूरी नहीं कर पायेगा। यानी अंडे के उत्पादन को और भी बढ़ाने की आवश्यकता होगी।
कांग्रेस ने भी किया था विरोध
शिवराज सरकार में भी आंगनबाड़ियों में अंडा परोसने पर सैद्धांतिक सहमति बनी थी। दिलचस्प बात यह है कि तब कांग्रेस ने इस निर्णय की जबरदस्त मुखालफत की थी। मध्य प्रदेश कांग्रेस ने शिवराज सरकार को तब सलाह दी थी कि अंडे की जगह दाल और प्रोटीनयुक्त अन्य खाद्य वस्तुएं परोसी जाना चाहिये। मध्य प्रदेश युवक कांग्रेस ने कई सारे आंदोलन व प्रदर्शन अंडे के विरोध में किये थे। आज जब सूबे की कांग्रेस सरकार ने पोषण आहार के रूप में अंडा परोसने का निर्णय लिया है तो बीजेपी मैदान में है और इस निर्णय का पुरजोर विरोध कर रही है।
अपनी राय बतायें