कांग्रेस नेता और राज्यसभा के सदस्य विवेक तन्खा ने मंगलवार को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, उनके काबीना के सहयोगी भूपेन्द्र सिंह और प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष वी.डी.शर्मा के खिलाफ 10 करोड़ रुपये की मानहानि का केस दायर कर दिया। मामले में सुनवाई अगले सप्ताह होगी।
बता दें, विवेक तन्खा मध्य प्रदेश के पूर्व महाधिवक्ता और जाने-माने वकील भी हैं। मध्य प्रदेश पंचायत चुनावों की घोषणा के बाद परिसीमन और आरक्षण के रोटेशन का पालन नहीं करे जाने की शिकायत को लेकर राज्य कांग्रेस कोर्ट गई हुई है।
इस मामले की पैरवी विवेक तन्खा कर रहे हैं।
कांग्रेस द्वारा लगाई गई याचिका को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा अमान्य करने के बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को हाईकोर्ट को लौटा दिया था। हाईकोर्ट ने तत्काल सुनवाई करने से इनकार किया था तो कांग्रेस पुनः सुप्रीम कोर्ट गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने मसले को सुनते हुए पंचायत चुनावों में ओबीसी वर्ग को दिए गए आरक्षण को अनुचित करार दे दिया था।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने ओबीसी वर्ग की सीटों के चुनाव को स्थगित करने की घोषणा कर दी थी।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने ओबीसी वर्ग की सीटों के चुनाव को स्थगित करने की घोषणा कर दी थी।
तन्खा पर बीजेपी हमलावर
राज्य में मसले पर राजनीति गहरा गई थी। सत्तारूढ़ दल बीजेपी ने ओबीसी वर्ग की सीटों का चुनाव रूकने के लिए कांग्रेस और विवेक तन्खा को सीधे-सीधे दोषी ठहराया था। सबसे तीखा राजनीतिक हमला बीजेपी ने विवेक तन्खा पर ही बोला था।
तन्खा ने स्पष्ट किया था कि सुप्रीम कोर्ट में वे महज और महज, परिसीमन एवं रोटेशन प्रक्रिया तक ही सीमित रहे। उनकी बात पूरी होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में हुए सवालों पर मध्य प्रदेश सरकार के वकीलों को अपना पक्ष रखना था, लेकिन उन्होंने ताकत के साथ पक्ष नहीं रखा। अंत में फैसला ओबीसी आरक्षण को लेकर भी सामने आ गया।
विवेक तन्खा ने कोर्ट के आदेश पर राजनीति करने का आरोप बीजेपी पर लगाया था। उन्होंने स्पष्ट कहा था, ‘मुख्यमंत्री चौहान, उनकी काबीना के सहयोगी भूपेन्द्र सिंह और बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष शर्मा ने राजनीतिक लाभ लेने के लिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले की अनुचित व्याख्या की। उनकी छवि को धूमिल किया।’
विवेक तन्खा ने इन तीनों नेताओं को कानूनी नोटिस भेजकर तीन दिनों में माफी मांगने को भी कहा था। नोटिस में कहा था, ‘माफी नहीं मांगी तो वे तीनों के खिलाफ क्रिमिनल केस दायर करते हुए सामाजिक छवि धूमिल करने को लेकर 10 करोड़ का हर्जाना मांगेंगे।’
सीएम शिवराज सिंह, मंत्री भूपेन्द्र सिंह और बीजेपी अध्यक्ष वी.डी.शर्मा ने खेद नहीं जताया। लिहाजा तन्खा की ओर से उनके अधिवक्ता शशांक शेखर ने मंगलवार को जबलपुर जिला कोर्ट में क्रिमिनल केस फाइल कर दिया।
भारतीय संविधान की धारा 499 और 500 के तहत कंप्लेंट केस अदालत में दायर किया गया है।
केस फाइल करने के बाद पूर्व महाधिवक्ता शशांक शेखर ने मीडिया से कहा, ‘मेरे पक्षकार पर ओबीसी मामले में गलत बयानी की गई। पूर्व में नोटिस जारी कर तीन दिवस में माफी मांगने को कहा गया था। पर उनके द्वारा माफी नहीं मांगी गई। गलत बयानी में वो बातें कही गईं, जो मेरे पक्षकार ने न तो याचिका में लगाई थीं और न ही कोर्ट की प्रक्रिया के दौरान ही ऐसा कुछ बोला था।’
“
सीएम ने मुझ पर मिथ्या आरोप लगाते हुए मेरे साथ या कांग्रेस और जनता के साथ ही छल नहीं किया है, इन्होंने कोर्ट-कचहरी के साथ भी छल किया है।’
विवेक तन्खा, सांसद, राज्य सभा
कांग्रेस ने दिया था आरक्षण
तन्खा का आरोप यह भी है कि सरकार नहीं चाहती है कि ओबीसी को आरक्षण मिले। कांग्रेस ने 1994 में ही पंचायत और निकाय चुनावों में ओबीसी को 25 प्रतिशत आरक्षण दिया था। फरवरी 2021 में हाईकोर्ट ने इस पर स्टे लगा दिया। पर सरकार की ओर से इस स्टे को हटाने का कोई प्रयास नहीं किया गया।
कोर्ट में जमा की राशि
कोर्ट में शीतकालीन अवकाश के बीच सूचना देते हुए विवेक तन्खा 10 करोड़ रुपये की मानहानि का दावा लगाने को लेकर डेढ़ लाख का चैक जमा कर चुके हैं। अवकाश समाप्त होते ही उन्होंने मंगलवार को विधिवत वाद भी दायर कर दिया।
फिलहाल मामले को लेकर मुख्यमंत्री, मंत्री भूपेन्द्र सिंह और बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष की ओर से कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आयी। इस मामले को लेकर शिवराज सरकार के प्रवक्ता और राज्य के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने पूर्व में जरूर कहा था, ‘मानहानि का नोटिस आयेगा तब हम अपना पक्ष कोर्ट में रखेंगे।’
स्थगित हो चुके हैं पंचायत चुनाव
मध्य प्रदेश पंचायत चुनाव के जिस परिसीमन और रोटेशन को लेकर मामला कोर्ट में है, उससे जुड़ा अध्यादेश शिवराज सरकार ने वापस ले लिया था। अध्यादेश वापस लिये जाने के बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायत चुनाव की समूची प्रक्रिया को बीच में ही रोक दिया।
विधानसभा के पिछले माह हुए शीतकालीन सत्र में सदन ने सर्वसम्मति से एक संकल्प भी पारित किया कि ओबीसी वर्ग की सीटों के साथ ही पंचायत चुनाव कराये जायेंगे।
शिवराज सरकार भी सुप्रीम कोर्ट पहुंची हुई है। शीतकालीन अवकाश की समाप्ति के बाद तीन जनवरी की तारीख़ मामले से जुड़ी सभी याचिकाओं पर सुनवाई के लिये सुप्रीम कोर्ट में लगी थी। तीन जनवरी को होने वाली सुनवाई की तारीख़ को अब बढ़ाकर 17 जनवरी कर दिया गया है।
भले ही पंचायत चुनाव रूक गए। विधानसभा में संकल्प पारित हो गया। कोर्ट-कचहरी चल रही है। लेकिन इस मामले पर राजनीति थमने की बजाय पूरे चरम पर है।
विवेक तन्खा द्वारा मुख्यमंत्री, उनके काबीना सहयोगी और बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष के खिलाफ क्रिमिनल एवं मानहानि का वाद दायर कर दिए जाने के बाद मसले पर राजनीति का और ज़्यादा गहराना भी तय हो गया है।
अपनी राय बतायें