मध्य प्रदेश में स्थानीय निकाय के चुनावों के दूसरे और अंतिम दौर के नतीजे भी आ गये। मेयर पद के चुनाव में भाजपा को जमकर ‘डेंट’ लगा। हार की समीक्षा होगी। समीक्षा के पहले ही पार्टी के भीतर दबी जुबान में कहा जा रहा है, ‘कमल नाथ का फैसला पलटना शिव ‘राज’ और भाजपा को भारी पड़ गया।’
निकाय चुनाव: कमल नाथ का फैसला पलटना शिवराज को पड़ा भारी!
- मध्य प्रदेश
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- 21 Jul, 2022

मेयर पद के चुनावों में भाजपा 7 सीटें क्यों हारी, इसके लिए शिवराज सरकार की कौन सी चूक जिम्मेदार रही?
सत्तारूढ़ दल और उसकी सरकार की चूक की वजह, चुनाव के ठीक पहले लिये गये उस निर्णय को माना जा रहा है, जिसमें शिवराज सरकार ने मेयर का चुनाव सीधे कराने का फैसला लिया था।
कमल नाथ जब सत्ता में आये थे और स्थानीय सरकार के चुनाव की स्थितियां बनी थीं तब नाथ सरकार ने भाजपा के राज में होने वाले महापौर और नगर पालिका के अध्यक्ष के प्रत्यक्ष चुनावों (जनता के जरिये दोनों को सीधे चुना जाता था) के पुराने निर्णय को बदल दिया था।