मध्य प्रदेश में कांग्रेस को बड़ा झटका!
— डीडी न्यूज़ (@DDNewsHindi) March 9, 2024
पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुरेश पचौरी और संजय शुक्ला भाजपा में शामिल हुए#SureshPachouri #Congress #LokSabhaElections @DrMohanYadav51 pic.twitter.com/ZxI9vQwryA
क्या कांग्रेस पर असर पड़ेगा
मध्य प्रदेश कांग्रेस में सुरेश पचौरी कांग्रेस खेमे का बड़ा ब्राम्हण चेहरा रहे। पचौरी को कुशल संगठक माना जाता है, लेकिन सीधी चुनावी राजनीति में सफलता उन्हें नहीं मिल पायी। पार्टी ने भोपाल लोकसभा सीट पर उन्हें उमा भारती के सामने आजमाया था, लेकिन करारी हार का सामना पचौरी को करना पड़ा था। भोजपुर विधानसभा सीट से भी कांग्रेस ने पचौरी को विधायक का टिकट दिया, लेकिन वे सफल नहीं हो सके। पचौरी के जाने से लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को सीधा कोई नुकसान होगा, इसकी संभावनाएं कदापि नहीं हैं। लेकिन कांग्रेस अपने ही पार्टी के बड़े नेताओं को भी अपने साथ नहीं रख पा रही है, यह संदेश सुरेश पचौरी के भाजपा में जाने से जरूर चला गया है। राजनीतिक तौर पर कांग्रेस को इससे कोई नुकसान नहीं हुआ है। लेकिन एक माहौल जरूर बन रहा है कि कांग्रेस में बड़े नेता भाग रहे हैं। मुख्यमंत्री मोहन यादव और पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार को यह टिप्पणी भी की- आगे आगे राहुल गांधी, पीछे पीछे कांग्रेस साफ।
कमलनाथ-दिग्विजय सिंह से खफा थे
2023 के विधानसभा चुनाव में टिकटों के बंटवारे के दौरान सुरेश पचौरी की खिन्नता साफ नज़र आयी थी। निकलकर आया था कि कमल नाथ ने उन्हें तवज्जो नहीं दी। दिग्विजय सिंह से उनकी पुरानी राजनीतिक अदावत जगजाहिर रही। विधानसभा चुनाव 2023 के दौरान सिंह ने भी पचैरी को झटके देने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी, ऐसी खबरें आम रहीं। तवज्जो नहीं मिलने के चलते पचौरी घर बैठ गए थे। उनकी नाराजगी आज भाजपा में जाते ही स्पष्ट हो गई। पचौरी की नाराजगी दिखलाई पड़ रही थी। लेकिन कांग्रेस की ओर से उन्हें रोकने के प्रयास नहीं हुए। राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्र मप्र में आयी तब भी वे दिखाई नहीं पड़े।भाजपाई बनने के बाद पचौरी ने क्या कहाः उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस ने एक समय नारा लगाया था, जात पर न पात पर मोहर लगेगी हाथ पर, कांग्रेस इससे पलट गई है।’ उन्होंने कहा, ‘सेना के कामकाज पर प्रश्नचिन्ह नहीं लगाये जाते, लेकिन लगाये गये। यह उचित नहीं मानता।’ रामलाल की प्राण प्रतिष्ठा के आमंत्रण को ठुकरा देने की कांग्रेस की बात से मुझे आघात पहुंचा। अयोध्या का ताला किसने खोला। इसका प्रत्यक्षदर्शी हूं। बावजूद इसके आमंत्रण को ठुकराना समझ नहीं आया।’ सुरेश पचौरी ने कहा, ‘तत्कालीन प्रधानमंत्री ने मुझे भेजा था, धर्माचार्यों के पास मेरे पास पत्र है। प्रमाण हैं। इस सबके बाद निमंत्रण पत्र अस्वीकार करना गले नहीं उतरा।’ पचौरी ने कहा धार्मिक निर्णय उद्वेलित करने वाले हो रहे थे। राम के अनदार पर कांग्रेस को छोड़ने का फैसला लिया। राख के ढेर पर शोले है न अंगारे हैं, कुछ तो बात होगी जो हम बेवफा हो गए। सुरेश पचौरी ने कहा, ‘मैं बिना शर्त भाजपा में आया हूं, पद की लालसा में नहीं। पद की लालसा कभी कांग्रेस में भी नहीं की।
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