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खरगोन सांप्रदायिक हिंसा में इब्रिस खान उर्फ सद्दाम की मौत हो गई है। रामनवमी पर 10 अप्रैल को हुई हिंसा के बाद से इब्रिस ‘लापता’ था। उसका शव इंदौर के एम.वाय. अस्पताल में मिला है। पुलिस ने मौत को लेकर अज्ञात आरोपियों के ख़िलाफ़ हत्या का मामला दर्ज किया है। इस मामले में कई अनसुलझे सवाल सामने आए हैं। इस मामले में परिजनों ने आरोप लगाया है कि जब बुरी तरह घायल अवस्था में इब्रिस को पुलिस सबके सामने गिरफ्तार करके ले गई थी मौत कैसे हुई? इसके अलावा भी कई सवाल उठाए हैं।
हालाँकि, पुलिस ने आरोपों को खारिज किया है और कहा है कि उसे गंभीर रूप से घायल हालत में वह मिला था। पुलिस का दावा है कि उसकी इलाज के दौरान मौत हो गई थी, लेकिन उसकी पहचान नहीं हो पाई थी। पुलिस के उलट राज्य के गृहमंत्री ने बयान दिया है कि पुलिस को उसका शव मिला था।
परिवार वाले चार दिनों तक उसकी तलाश करते रहे, लेकिन नहीं मिला। परिवार वालों ने 14 तारीख़ को खरगोन पुलिस में उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इब्रिस के परिवार वाले लगातार उसे थाने और जेल में भी तलाशते रहे। लेकिन उसका कोई सुराग़ नहीं मिला था।
इब्रिस का दो माह का बच्चा भी है। उसके भाई इकलाक का आरोप है, ‘दंगे आरंभ होने के पहले इब्रिस आनंद नगर मसजिद में रोजेदारों को इफ्तार देने गया था। वहां पत्थरबाजी की वारदात हुई। बाद में हिन्दू समाज के लोगों ने घेरकर उसे बहुत मारा। पत्थरों, लठों, औजारों के साथ तलवारें मारी गईं।’
इकलाक का आरोप है,
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बुरी तरह घायल अवस्था में इब्रिस को पुलिस सबके सामने गिरफ्तार करके ले गई। पुलिस प्रशासन ने भी उसको मारा। पुलिस ने आठ दिनों तक नहीं बताया कि इब्रिस आख़िर कहां है? हमने गुमशुदगी की रिपोर्ट भी डाली, लेकिन पुलिस छिपाती रही कि इब्रिस उसकी कस्टडी में है।
इकलाक, मृतक इब्रिस का भाई
इकलाक के अनुसार, ‘रविवार को पुलिस का एक जवान पूछने आया तो हमने उसे पूरा वाकया बताया। जवान ने हमारी सूचना/बयान दर्ज करने से मना कर दिया। जवान ने कहा कि आप टीआई साहब से जाकर बात करना। मैं तो सिर्फ नाम-पता लिखने आया हूं।’ इकलाक ने बताया, ‘मैंने पुलिस जवान को चेताया कि आज इतवार है, लिहाजा मीडिया को नहीं बुला पाया। सोमवार को मीडिया को बुलाकर पूरा घटनाक्रम बताऊंगा!’
इकलाक के मुताबिक, ‘मीडिया की धमकी देते ही जवान ने बता दिया कि इद्रिस की बॉडी एम.वाय. अस्पताल में है। हमें पहुंचकर बॉडी लेने को भी उसने कहा।’ इकलाक ने सवालों के जवाब में कहा, ‘आठ दिनों से हम पागलों के मॉफिक इब्रिस को खोज रहे थे। मगर पुलिस और प्रशासन ने कोई सुराग नहीं दिया।’
खरगोन के प्रभारी एसपी रोहित केशवानी ने मंगलवार को मीडिया से बातचीत में कहा, ‘10 अप्रैल की रात को एक युवक के घायल पड़े होने की सूचना पुलिस को मिली थी। तत्काल उसे अस्पताल पहुंचाया गया था। डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया था। शव की पहचान नहीं हो पायी थी। पीएम कराया गया था। कोई रिपोर्ट नहीं थी। चूंकि खरगोन में शव रखने की सुविधा नहीं थी, लिहाजा शव को इंदौर भिजवा दिया गया था।’
प्रभारी एसपी ने कहा, ‘मृत युवक को लेकर सीसीटीवी फुटेज़ खंगाले गए थे। अन्य मालूमात भी कराई थी। सुराग नहीं मिला था। इसके बाद 14 अप्रैल को एक गुम इंसान की रिपोर्ट आयी थी। रिपोर्ट के आधार पर पड़ताल की तो सामने आ गया कि मृतक इद्रिस है। परिजनों को शव सौंपने की कार्रवाई इसके बाद की गई।’
सवाल के जवाब में प्रभारी एसपी ने बताया, ‘सिर पर पत्थर लगने से इब्रिस की मौत हुई है।’
उपद्रव में मौत के सवाल पर प्रभारी एसपी ने कहा, ‘यह बात जांच के बाद स्पष्ट हो पायेगी कि इब्रिस उपद्रव में मारा गया है अथवा अन्य कोई वजह रही है।’
इद्रिस के शव को पुलिस की मौजूदगी में सुपुर्दे-खाक किया गया।
प्रभारी एसपी ने घायलावस्था में युवक के मिलने की बात कही है, जबकि भोपाल में मंगलवार को ही गृहमंत्री और राज्य सरकार के प्रवक्ता नरोत्तम मिश्रा ने मीडिया से बातचीत में कहा है, ‘खरगोन में 10 अप्रैल को डेड बॉडी मिली थी। 11 तारीख़ को बॉडी का पोस्टमार्टम कराया गया था। उसी दिन (शव मिलने वाले दिन ही) हत्या का मुक़दमा दर्ज़ कर लिया गया था। शिनाख्त नहीं हो पा रही थी। गुमशुदगी की रिपोर्ट के बाद शव की पहचान हो गई है। शव परिजनों को सौंप दिया गया है। जांच चल रही है। जांच में दोषी पायो जाने वालों को बख्शा नहीं जायेगा।’
पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई को लेकर कई सवाल उठाये जा रहे हैं।
मीडिया के सवालों के जवाब में प्रभारी एसपी केशवानी ने बताया, ‘सकल हिन्दू समाज का यह आरोप सही नहीं है कि पुलिस सही तरीक़े से कार्रवाई नहीं कर रही है। अब तक 150 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। अब तक 49 एफ़आईआर की जा चुकी हैं। दंगे का आरोप सिद्ध हो जाने वालों पर एनएसए भी लगा रहे हैं।’
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