गोवा और कर्नाटक के बाद यह सुगबुगाहट तेज़ हो रही है कि बीजेपी के निशाने पर अब मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार है। बीजेपी की ओर से लगातार ऐसे दावे (सरकार गिरा दी जायेगी) भी हुए हैं। मध्य प्रदेश बीजेपी के नेताओं ने ऑन कैमरा कहा है, मौक़ा मिलते ही कमलनाथ सरकार की विदाई कर दी जायेगी। लेकिन बीजेपी कहती रह गई, उधर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बीजेपी के दो विधायकों को तोड़कर प्रतिपक्ष में खलबली मचा दी है। भोपाल से लेकर दिल्ली तक नाथ के दाँव से बीजेपी हिली हुई है।
मुख्यमंत्री कमलनाथ और उनकी टीम ने सांस नहीं ली है। दो विधायकों को तोड़ने के बाद बीजेपी को झटके-दर-झटके देने की रणनीति पर ‘टीम कमलनाथ’ काम कर रही है।
बुधवार को सदन में दो विधायकों को अपने पक्ष में करने के अगले ही दिन पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा पर शिकंजा कसना आरंभ किया गया है। मिश्रा का दायाँ हाथ माने जाने वाले पुराने पीए वीरेंद्र पांडे एवं निर्मल अवस्थी जेल भेजे गये हैं। बीजेपी सरकार में हुए हज़ारों करोड़ रुपयों के कथित ई-टेडरिंग घोटाले में संलिप्तता के प्रारंभिक प्रमाणों के तहत दोनों सरकारी मुलाजिमों को ईओडब्ल्यू ने गिरफ़्तार कर लिया। इनके यहाँ छापे भी डाले गये।
ईओडब्ल्यू के महानिदेशक ने मीडिया से बातचीत में कहा, ‘हिरासत में लिये गये दोनों लोगों के यहाँ छापों में टेंडर्स में टेपरिंग (छेड़छाड़) के पुख़्ता साक्ष्य मिले हैं।’ डीजी ने संकेतों में यह भी कहा कि, ‘साक्ष्यों की पूरी पड़ताल के बाद मध्य प्रदेश के कई बड़े चेहरों का बेनक़ाब होना तय है।’ यहाँ बता दें छापे में जो दस्तावेज़ मिले हैं, वे जल संसाधन महकमे से संबंधित हैं और यह वही महकमा है, जिसके मंत्री नरोत्तम मिश्रा हुआ करते थे।
बीजेपी जब सत्ता में थी तब कई बार कांग्रेस के ‘सेट’ लोगों को बीजेपी के पाले में करने में नरोत्तम मिश्रा ख़ास भूमिका निभाया करते थे। मध्य प्रदेश कांग्रेस विधायक दल के उप नेता रहे चौधरी राकेश सिंह से लेकर संजय पाठक और कांग्रेस का टिकट मिल जाने के बाद अचानक पार्टी का साथ छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लेने वाले डॉ. भागीरथ प्रसाद के दलबदल में भी मिश्रा का अहम रोल माना गया था।
अभी भी कांग्रेस विधायकों में टूट-फूट या पाला बदलने की संभावनाओं के मद्देनजर सबसे ज़्यादा निगाह नरोत्तम मिश्रा की गतिविधियों पर रखे जाने की ताक़ीद कांग्रेस ख़ेमे की ओर से होती है। ऐसे में राजनीति के जानकार मानते हैं कि मिश्रा पर शिकंजा कसने की बेहद अहम वजह यह (मिश्रा को कमजोर करने की) भी है।
राज्य के गृह और सामान्य प्रशासन मंत्री डॉक्टर गोविंद सिंह ने दो दिन पहले एलान किया है कि डंपर घोटाले की जाँच में शिवराज सरकार ने लीपापोती करवा दी थी। यह फ़ाइल बंद हो गई थी। कई महत्वपूर्ण बिन्दुओं को जाँच में नजरअंदाज किया गया था। सरकार नये सिरे से इस पूरे मामले की जांच करायेगी। सिंह यह भी कहते हैं कि डंपर घोटाले की असलियत प्रदेश की जनता के सामने कमलनाथ सरकार अवश्य लायेगी।
कांग्रेस चरित्र हत्या पर आमादा है : मिश्रा
पुराने पीए गणों के ख़िलाफ़ ईओडब्ल्यू के ‘एक्शन’ से नरोत्तम मिश्रा बेहद तिलमिलाये हुए हैं। उन्होंने कहा है सरकार उनकी चरित्र हत्या पर आमादा है लेकिन वह भयभीत नहीं होंगे। मिश्रा ने ईओडब्ल्यू के महानिदेशक को चेताते हुए कहा है, ‘सरकार के दबाव में बयानबाज़ी न करें, सरकारें आती-जाती रहती हैं। पुख़्ता प्रमाणों के आधार पर ही ठोस बात करें।’
पूर्व मंत्री मिश्रा ने अपने पुराने सहयोगियों की गिरफ़्तारी पर कहा, ‘चपरासी और बाबू जैसे लोगों को कमलनाथ सरकार अकारण तंग कर रही है। टेंडर प्रमुख सचिव, अपर मुख्य सचिव और मुख्य सचिव स्तर से पास हुए बगैर मंजूर नहीं होते हैं।’ मिश्रा चाहते हैं कि कार्रवाई बड़े स्तर पर हो। एक सवाल के जवाब में उन्होंने यह भी कहा, ‘यदि ईओडब्ल्यू उन्हें तलब करती है तो नोटिस का जवाब देने वे बैंड-बाजे के साथ ईओडब्ल्यू ऑफ़िस जायेंगे।’
विजयवर्गीय को किया था ‘टारगेट’
कमलनाथ सरकार ने सबसे पहले बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव और मध्य प्रदेश बीजेपी के बड़े चेहरे कैलाश विजयवर्गीय को ‘टारगेट’ किया था। उनके विधायक बेटे आकाश विजयवर्गीय के विधानसभा क्षेत्र में अतिक्रमण विरोधी मुहिम के तहत तोड़फोड़ के ख़िलाफ़ कार्रवाई के अलावा पेंशन घोटाले की फ़ाइलें खोलने का सिलसिला आरंभ हुआ था। अतिक्रमण विरोधी मुहिम के दौरान ही आकाश विजयवर्गीय ‘बैट कांड’ में फंस गये थे। यहाँ बता दें कैलाश विजयवर्गीय जब इंदौर के महापौर थे तब उन पर पेंशन वितरण में धांधलियों के आरोप लगे थे। करीब 33 करोड़ के इस घोटाले की जाँच की रिपोर्ट बीजेपी सरकार में दबी हुई थी। हाल ही में कमलनाथ सरकार ने इसे खोला है। उधर, तीख़े बयानों को लेकर मशहूर कैलाश विजयवर्गीय काफ़ी वक़्त से मध्य प्रदेश के राजनीतिक हालातों पर पूरी तरह से चुप्पी साधे हुए हैं, जो चर्चा का विषय है।मध्य प्रदेश में बीजेपी नेताओं पर शिकंजा कसने के पीछे कहीं कमलनाथ के भांजे रतुल पुरी तो नहीं हैं? यह सवाल मध्य प्रदेश के राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में खू़ब पूछा जा रहा है। अगस्ता वेस्टलैंड कांड में प्रवर्तन निदेशालय रतुल से पूछताछ कर रहा है। लोकसभा चुनाव के दौरान मध्य प्रदेश में इनकम टैक्स के छापों से भी उनके तार जोड़े गये थे। कमलनाथ के पीए के क़रीबी के यहाँ छापों में कथित तौर पर आईटी डिपार्टमेंट को रतुल से जुड़े कुछ तथ्य मिलने की सुगबुगाहटें जोरों पर रही थीं।
हिन्दुस्तान पावर प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड के अध्यक्ष रतुल शुक्रवार को ईडी की पूछताछ के दौरान टॉयलेट जाने के बारे में बोलकर ‘गायब’ हो गये हैं। अगस्ता वेस्टलैंड से जुड़े मनी लॉड्रिंग में उनकी गिरफ्तारी हो सकती है। रतुल ने इस मामले में सुनवाई के दौरान कोर्ट में आरोप लगाया था, ‘मध्य प्रदेश में बीजेपी के दो विधायकों को कांग्रेस द्वारा तोड़ लिये जाने के बाद से ईडी का अमला उन्हें कुछ ज़्यादा परेशान कर रहा है। राज्य में उनके मामा कमलनाथ सीएम हैं, इसीलिये वह ईडी के टारगेट पर हैं।’
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