केंद्र सरकार के द्वारा सूचना का अधिकार (आरटीआई) क़ानून में किए गए संशोधन का देश भर में जोरदार विरोध हो रहा है। इस संशोधन के तहत केंद्र सरकार को यह ताक़त दी गई है कि वह केंद्र और राज्य स्तर पर तैनात सूचना आयुक्तों का कार्यकाल और तनख़्वाह तय करे। कई पूर्व सूचना आयुक्तों ने इस संशोधन को उनकी स्वायत्ता पर हमला बताया है और सरकार से इसे वापस लेने की अपील की है। 
इसी क्रम में पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गाँधी ने एक मुहिम चलाई है। गाँधी ने ऑनलाइन याचिका के माध्यम से लोगों से बिल के ख़िलाफ़ दस्तख़त करने की गुज़ारिश की है। उन्होंने याचिका में महामहिम राष्ट्रपति से गुज़ारिश की है कि आरटीआई क़ानून संशोधन बिल को संसद के पास पुनर्विचार करने के लिए वापस भेज दिया जाए। गाँधी की इस याचिका को देश भर में बड़े पैमाने पर सामाजिक कार्यकर्ताओं और आम लोगों का समर्थन मिल रहा है। अभी तक लगभग 6000 से ज़्यादा लोग इस पर दस्तख़त कर चुके हैं।