गो रक्षा संबंधी हिंसा को लेकर भारत की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर किरकिरी हो चुकी है। इस तरह की किरकिरी से बचने के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने एक ख़ास पहल की है। ‘स्वयंभू हिंसक गो-रक्षण’ पर प्रभावी अंकुश के लिए मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने बुधवार को एक क़ानूनी मसौदे को हरी झंडी दे दी है। इस मसौदे के क़ानून की शक्ल लेते ही गो रक्षा से जुड़े मामलों में हिंसक होने अथवा हिंसा भड़काने वालों को न्यूनतम छह महीने से अधिकतम तीन साल तक की सजा होगी।
देश के साथ मध्य प्रदेश में भी गो रक्षा के नाम पर हिंसा की वारदातों में इज़ाफ़ा हुआ है। हाल ही में सिवनी जिले से गो रक्षा के नाम पर तीन लोगों को पीटे जाने की ख़बर सामने आई थी। गो वध की आशंका में स्वयंभू गो रक्षकों द्वारा कथित तौर पर गो वध करने वालों की बेरहमी से पिटाई करते हुए वीडियो वायरल हुआ था। मध्य प्रदेश में गो वध और गो वंश की तस्करी की शिकायतों को लेकर गो रक्षकों द्वारा क़ानून अपने हाथों में लेकर सीधे हिंसक हो जाने संबंधी ऐसे ही वीडियो पहले भी वायरल होते रहे हैं।
मध्य प्रदेश के अलावा देश के कई हिस्सों में हिंसा के ऐसे मामले सामने आते रहते हैं। वीडियो वायरल हुए हैं और हो रहे हैं। स्वयंभू गो रक्षक, स्वयंभू गो रक्षक समूह और भीड़ द्वारा गो वध या गो वंश की तस्करी से जुड़े घटनाक्रमों में सिर्फ़ शक के चलते हत्या जैसे शर्मनाक घटनाक्रम भी हुए हैं। गो रक्षा से जुड़ी हिंसा को लेकर अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत की ख़ूब बदनामी हुई है।
दुनिया भर में बेहद प्रतिष्ठित न्यूयार्क की ‘ह्यूमन राइट्स वाच संस्था’ ने हाल ही की अपनी एक रिपोर्ट में भारत में गो रक्षा से जुड़ी हिंसा की घटनाओं में अप्रत्याशित वृद्धि की बात कहते हुए गहरी चिंता जताई है।
मध्य प्रदेश पशुपालन विभाग से जुड़े उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि अंतराष्ट्रीय स्तर पर हो रही भारत की किरकिरी के मद्देनजर ही मध्य प्रदेश सरकार ने ‘स्वयंभू हिंसक गो रक्षण’ पर अंकुश की पहल की है। कमलनाथ कैबिनेट की बुधवार को हुई बैठक में क़ानून का मसौदा पास किया गया है। अगले महीने राज्य विधानसभा का सत्र होने वाला है। मसौदे के क़ानून की शक्ल लेते ही गो संरक्षण और संवर्धन मामलों में हिंसा करना या हिंसा भड़काना आसान नहीं होगा।
कैबिनेट द्वारा मंजूर मसौदे में हैं ये प्रावधान- गो वंश के परिवहन और गो वध की शिकायत पर कोई ख़ुद अथवा विधि विरूद्ध हिंसा करता है, किसी की भावनाओं को ठेस पहुँचाता है या चोट पहुँचाता है तो ऐसे मामलों में दोषी पाये जाने वाले को न्यूनतम छह माह से लेकर अधिकतम तीन वर्ष तक की सजा होगी।
- समूह के सदस्यों के रूप में उपरोक्त कृत्य करने वाले (समूह में शामिल प्रत्येक व्यक्ति को) एक साल तक कारावास में रहना पड़ेगा।
- हिंसा भड़काते पाये जाने पर एक साल की क़ैद भोगनी होगी।
- हिंसा का प्रयास अथवा हिंसा भड़काने की कोशिश पर छह माह की जेल होगी। एक से ज़्यादा बार कृत्य दोहराया तो सजा की अवधि को दोगुना कर दिया जायेगा।
- नये क़ानून के तहत दूसरे राज्यों से अब गो वंश मध्य प्रदेश लाने की अनुमति मिलेगी, इसके लिए परमिट लेना होगा। यहाँ बता दें कि अभी तक गो वंश का परिवहन मध्य प्रदेश से दूसरे राज्य में तो हो सकता था, लेकिन दूसरे राज्य का गो वंश मध्य प्रदेश नहीं लाया जा सकता था।
मध्य प्रदेश के पशुपालन विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज श्रीवास्तव ने ‘सत्य हिन्दी’ से कहा, ‘नया क़ानून लाने के पीछे मध्य प्रदेश सरकार की पहली मंशा स्वयंभू हिंसक गो रक्षण पर अंकुश की है। गो संरक्षण और संवर्धन करने वाले सेवकों से सरकार इतना भर अपेक्षा करती है कि गो वध अथवा गो वंश की तस्करी के मामलों में गो रक्षक ख़ुद हिंसात्मक रवैया अपनाने के बजाय ऐसे मामलों की सूचना बिना देर किये पुलिस एवँ प्रशासन को दें।’ श्रीवास्तव ने कहा, ‘अंतर्राष्ट्रीय मंच पर देश की किरकिरी बेशक चिंताजनक है। इसे रोकने में नया क़ानून बेहद मददगार साबित होगा।’
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