मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा की है कि- मध्यप्रदेश के सरकारी स्कूलों में अब गीता और रामायण पढ़ाई जाएगी। भोपाल में विद्या भारती के कार्यक्रम ‘सुघोष दर्शन’ कार्यक्रम में सीएम चौहान ने राज्य के सरकारी स्कूलों में धर्म ग्रंथों की शिक्षा देने की घोषणा की है। कांग्रेस ने इसे संघी एजेंडा बताया है।
मुख्यमंत्री ने कहा है- हम सरकारी स्कूलों में हमारे धर्म ग्रंथों की शिक्षा देंगे। गीता का सार, रामायण, रामसेतु और महाभारत के प्रसंग पढ़ाएंगे। ऐसे लोग, जो महापुरुषों का अपमान करते हैं, उनको सहन नहीं किया जाएगा। मध्यप्रदेश में इन ग्रंथों की शिक्षा देकर हम बच्चों को नैतिक शिक्षा देंगे।
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मुख्यमंत्री की घोषणा ने सियासी रंग ले लिया। मध्य प्रदेश कांग्रेस मीडिया सेल के मुखिया के.के. मिश्रा ने राज्य सरकार के एलान से जुड़े सवाल के बाद ‘सत्य हिन्दी’ को दी गई, अपनी प्रतिक्रिया में प्रतिप्रश्न उठाया। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा, ‘बीजेपी को चुनाव के वक्त ही धर्मग्रंथ, धर्म-कर्म और भावनाओं को भड़काने वाले मसले आखिर क्यों याद आते हैं? गीता को पढ़ाए जाने की घोषणा के पीछे वास्तव में धर्मग्रंथ भगवद् गीता नहीं, बल्कि बीजेपी का संघी एजेंडा है।
जवाब भी मिश्रा ने ही दिया और बोले, ‘दरअसल मध्य प्रदेश सहित अनेक राज्यों और देश की राजनीति में भी बीजेपी का असली चेहरा सामने आ चुका है। वह धर्म-कर्म और धार्मिक भावनाएं भड़काकर चुनावी नैया पार करती रही है। अब जनता यह सब नकार रही है। इसके बाद भी मध्य प्रदेश सहित अन्य चुनाव वाले सूबों में भाजपा धर्म-कर्म का सहारा लेने से बाज नहीं आ रही है।’
मिश्रा ने कहा, ‘भारत सर्वधर्म सम्भाव वाला देश है। ऐसे में केवल गीता ही क्यों, भावी पीढ़ी को हर धर्म को जानने, समझने और बूझने का अधिकार है। भाजपा, हर धर्म की शिक्षा की बात क्यों नहीं करती है?’
उधर भाजपा के पुराने प्रवक्ता और मौजूदा विधायक रामेश्वर शर्मा ने कहा-हिन्दू धर्मग्रंथों को जो भी पढ़ेगा, उसमें दी गई शिक्षा को अंगीकार करेगा, वह कभी भी परास्त नहीं होगा। व्यक्तिगत और सार्वजनिक जीवन में उसे सफलता अवश्य मिलेगी।’
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