दिग्गविजय सिंह के पुलवामा हमले और सर्जिकल
स्ट्राइक पर दिए गये बयान से कांग्रेस पार्टी किनारा कर रही है। आज मंगलवार को राहुल
गांधी ने भी सिंह के बयान से किनार करते हुए कहा कि यह उनकी निजी राय है।
उनके बयान से कांग्रेस पार्टी ने किनारा
कर लिया है। पार्टी के सोशल मीडिया प्रभारी जयराम रमेश ने स्थिति को साफ करते हुए
कहा है कि सिंह का यह बयान उनकी निजी राय है और पार्टी का इससे कोई लेना देना नहीं
है।
मीडिया से बात करते
हुए जब पत्रकार दिग्गविजय से सवाल पूछ रहे थे तो, उस समय रमेश ने दिग्गविजय सिंह
के सामने से माइक हटा लिया और एक पत्रकार को रोकते हुए कहा कि हमने बहुत सवालों के
जबाव दे दिए, अब प्रधानमंत्री से सवाल पूछिए।
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जम्मू पहुंची
राहुल की भारत जोड़ो यात्रा में एक रैली को संबोधित करते हुए दिग्गविजय सिंह ने
कहा था कि ‘पुलवामा आतंकवाद का गढ़ रहा है, हर कार की चेकिंग की जाती है।
एक स्कॉर्पियो कार गलत साइड से आती है। इस कार की चेकिंग क्यों नहीं की गई? फिर टक्कर होती है और हमारे 40 जवान मारे जाते हैं। आज तक सरकार ने संसद
में या सार्वजनिक रूप से घटना के बारे में जानकारी नहीं दी है।" साथ ही उन्होंने
सर्जिकल स्ट्राइक पर एक बार फिर सवाल उठाते हुए कहा कि वे सर्जिकल स्ट्राइक की
बात करते हैं। लेकिन इसका भी कोई प्रमाण नहीं दिया गया है।'
विवाद को बढ़ता देख दिग्गविजय सिंह ने अपने
बयान से पलटते हुए कहा कि उनका इरादा सेना और देश की सुरक्षा से जुड़े किसी भी
संगठन की गरिमा को ठेस पहुंचाना नहीं था। उन्हें देश की सेना की क्षमता पर पूरा
विश्वास है।
उनके इस बयान के बाद केंद्र की भाजपा सरकार
के कई मंत्री और नेता उन पर हमलावर हो गये हैं। शहजाद
पूनावाला ने कहा कि यह एक व्यक्ति का बयान नहीं बल्कि पूरी कांग्रेस पार्टी सोच है। पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि 'ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण
है कि कांग्रेस पार्टी के द्वारा सर्जिकल स्ट्राइक पर
बार-बार सवाल खड़े किए जाते हैं। ये दिग्विजय सिंह वही हैं, जिन्होंने बाटला हाउस एनकाउंटर पर सवाल खड़े किए थे। मेरा सवाल राहुल गांधी से है आपके साथ जो लोग चल रहे
हैं, वो देश तोड़ने में लगे है और आप चुप है क्यों?'
ये पहली बार नहीं है जब कांग्रेस के वरिष्ठ
नेता ने पार्टी को मुसीबत में डाला हो। दिग्गविजय सिंह हमेशा से अपने बेबाक बयानों
के लिए जाने जाते रहें। ऐसे ही नहीं भाजपा गांधी परिवार के बाद दिग्गविजय सिंह को सबसे
ज्यादा निशाने पर रखती है। इसके बाद भी दिग्गविजय सिंह अपने स्वभाव से पीछे नहीं
हटते हैं।
एक पुरानी कहावत है कि कमान से निकला तीर और
जबान से निकली वाणी वापस नहीं आती। इसी तरह सिंह का बयान है जो कुछ भी करके वापस
नहीं लिया जा सकता। माना जा रहा है कि दिग्गविजय के इस बयान से राहुल गांधी की भारत
जोड़ो यात्रा पर नकारात्मक असर पड़ेगा, क्योंकि यात्रा की शुरुआत से अंत तक कोई
विवाद नहीं हुआ, जिसके लिए भाजपा ने कई तरह से प्रयास भी किए।
देश से और खबरें
दिग्गविजय सिंह कुछ विवादित बयान दिग्गविजय सिंह ने
इससे पहले 2021 में एक क्लबहाउस की बातचीत में एक पाकिस्तानी पत्रकार से बात करते
हुए कहा था कि अगर उनकी पार्टी की सरकार बनती है तो वह कश्मीर से हटाई गई धारा 370
को दोबारा से लागू करने पर विचार करेगी, जिससे कि जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा
बहाल किया जा सके।
उनके इस बयान को पर
काफी हंगामा हुआ था क्योंकि यह बातचीत पाकिस्तानी पत्रकार के साथ थी, दूसरा कश्मीर
के बहाने पाकिस्तान भारत को नीचा दिखाने की लगातार कोशिश करता रहा है।
उससे पहले
दिग्गविजय सिंह 2019 के लोकसभा चुनाव में भी पार्टी की किरकिरी करा चुके हैं। उस
समय उन्होंने साध्वी प्रज्ञा को भोपाल से उम्मीदवार बनाए जाने पर हिंदू आतंकवाद को
लेकर बयान दिया था और उनपर मालेगांव बम धमाकों में आरोपी होने का आरोप लगाया था।
इससे पहले वह 26/11
के आतंकी हमले पर सवाल उठाते हुए कहा था कि इससे हमले को हिंदू संगठनों ने अंजाम
दिया था। इस हमले में मारे गये पुलिस अफसर हेंमत करकरे की मौत पर सवाल उठाते हुए
कहा था कि इसके पीछे हिंदुवादी संगठनों का हाथ हो सकता है, क्योंकि उन्हें काफी
पहले से इस तरह की धमकियां मिल रही थीं। बाद में प्रज्ञा ठाकुर ने अपने बयान में
कहा था कि करकरे की मौत उनको बद्दुआ के कारण हुई थी।
पार्टी की इतनी किरकिरी
कराने के बाद भी दिग्गविजय सिंह अभी भी कांग्रेस की जरूरत बने हुए हैं तो इसका प्रमुख
कारण उनका जमीन से जुड़ा होना है। उनको एक अच्छे रणनीतिकार के तौर पर जाना जाता है
जिसकी जमीन पर भी उतनी ही पकड़ है। राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा से पहले भी जमीन
से जुड़े नेता की छवि बनाने की लगातार कोशिश कर रहे हैं। उनकी अहमियत का अंदाजा
इससे लगाया जा सकता है कि वे पार्टी के चुनिंदा नेताओं में से एक हैं जो पूरी
यात्रा में साथ रहे।
पिछले मध्य
प्रदेश विधानसभा चुनाव में बनी कांग्रेस सरकार का बड़ा श्रेय उनकी नर्मदा यात्रा
को दिया गया जिसने लोगों को कांग्रेस की तरफ खींचा और पार्टी को चुनाव में मदद
मिली। हालांकि बाद में सिंधिया और कमलनाथ के आपसी झगड़े में सिंधिया के भाजपा में
चले जाने के बाद कांग्रेस सरकार गिर गई।
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