मुख्यमंत्री कमलनाथ द्वारा अपने काबीना के सदस्यों और अफ़सरों को माफिया के आगे न झुकने की दो टूक सलाह देने के कुछ ही घंटों बाद बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, इंदौर के बीजेपी सांसद शंकर लालवानी, बीजेपी विधायक रमेश मैंदोला व महेन्द्र हार्डिया तथा बीजेपी इंदौर के नगर अध्यक्ष गोपीकृष्ण नेमा समेत कुल 350 बीजेपी नेताओं-कार्यकर्ताओं के ख़िलाफ़ इंदौर पुलिस ने मामला दर्ज किया है।
पुलिस ने हिंसा के लिए उकसाने और उपद्रव फैलाने समेत तमाम धाराओं में शनिवार देर रात एफ़आईआर दर्ज की है। तहसीलदार राजेश कुमार सोनी की शिकायत पर यह कार्रवाई हुई है। बता दें कि शुक्रवार को कैलाश विजयवर्गीय की अगुवाई में बीजेपी ने इंदौर के कमिश्नर आकाश त्रिपाठी के निवास पर धरना दिया था। दरअसल, रेजीडेंसी कोठी में इकट्ठा हुए बीजेपी नेता विजयवर्गीय ने इंदौर के कमिश्नर, आईजी, एसएसपी और कलेक्टर से मिलने का आग्रह किया था। मुलाक़ात के लिए बाक़ायदा एक पत्र बीजेपी नगर अध्यक्ष ने अधिकारियों को लिखा था। कोई अधिकारी मिलने नहीं आया तो विजयवर्गीय और उनके समर्थक आक्रोषित हो गए।
इंदौर शहर में धारा 144 लागू होने के बावजूद बिना अनुमति बीजेपी ने रेजीडेंसी कोठी से इंदौर कमिश्नर के घर तक पैदल मार्च किया, धरना दिया और नारेबाज़ी की। प्रशासन के जूनियर अधिकारी जब विजयवर्गीय से मिलने पहुँचे तो उन्होंने सभी को जमकर आड़े हाथों लिया। सीनियर अफ़सरों के न आने पर तीखी नाराज़गी जताई।
विजयवर्गीय यहीं नहीं रुके, उन्होंने यहाँ तक कह दिया- ‘जनता की नौकरी कर रहे हो या कमलनाथ की? तुम क्या समझते हो हमने चूड़ियाँ पहन रखी हैं? इतनी औकात हो गई उनकी (मिलने नहीं पहुँचे आला अफ़सरों की ओर इशारा था)? अधिकारी कोई हो हमें ज़मीन दिखाना आता है। आरएसएस के पदाधिकारियों का इंदौर में जमघट न होता तो आज इंदौर में आग लगा देते।’
विजयवर्गीय की अगुवाई में प्रदर्शन कर रहे भाजपाइयों का ‘दर्द’ ज़िला प्रशासन द्वारा माफिया के ख़िलाफ़ की जा रही कार्रवाई में कथित तौर पर भेदभाव किए जाने को लेकर था। प्रदर्शन के ठीक पहले विजयवर्गीय ने एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस की थी। प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने कहा था, ‘माफिया पर एक्शन होना चाहिए। बीजेपी को इसमें कोई आपत्ति नहीं है।’ इसके साथ उन्होंने आरोप लगाया था, ‘प्रशासन और अफ़सर चुन-चुनकर बीजेपी के लोगों को निशाना बना रहे हैं। कांग्रेसियों के अतिक्रमण और ग़ैर-क़ानूनी कामों की सूची दिये जाने के बावजूद कोई एक्शन नहीं हो रहा है। बीजेपी के लोगों पर बिना नोटिस और पूर्व सूचना के कार्रवाइयाँ की जा रही हैं।’
इधर कांग्रेस का आरोप है कि - ‘पाँच साल महापौर और बीजेपी की सरकार में मंत्री रहते कुल 20 बरसों में (विजयवर्गीय 2000 में इंदौर के महापौर चुने गये थे, 2003 से 2018 तक बीजेपी की सरकार के दौरान) कैलाश विजयवर्गीय ने माफिया को पुष्पित और पल्लवित किया। अब जब कमलनाथ सरकार कार्रवाई कर रही है तो इन्हें दर्द हो रहा है। विरोध कर रहे हैं।’
‘इंदौर में आग लगा देने’ संबंधी बयान पर भी कांग्रेस ने कैलाश विजयवर्गीय को जमकर घेरा। सोशल मीडिया पर ख़ूब ट्रोल किया। माँग उठी थी कि विजयवर्गीय के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज किया जाए।
कैबिनेट बैठक में क्या हुआ था?
शनिवार दोपहर को कमलनाथ कैबिनेट की बैठक हुई थी। बैठक में इंदौर का मसला भी उठा। कमलनाथ ने मंत्रियों को दो टूक मशविरा दिया कि माफिया के आगे किसी भी क़ीमत पर वे नहीं झुकें, किसी भी स्तर का दबाव आए, कठोर कार्रवाई करने से हिचकिचाएँ नहीं। उन्होंने कहा था कि माफिया के ख़िलाफ़ एक्शन में वह अपने काबीना साथियों और अधिकारियों के पूरी तरह से साथ हैं। उन्होंने कहा था कि बीजेपी की सरकार में जो भी माफिया 15 साल में पनपे हैं, उसे ध्वस्त करना पहला लक्ष्य रखें। सीएम ने कहा - ‘सरकार ने पहले साल (दिसंबर में सरकार को काम संभाले एक साल हुआ है) में माफिया के ग़ैर-क़ानूनी कामों को ध्वस्त किया है, सरकार का यह दूसरा साल माफिया का नामो-निशान मिटाने वाला साल होगा।’
इन धाराओं में मुक़दमा
कैलाश विजयवर्गीय और अन्य बीजेपी नेताओं के ख़िलाफ़ पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की 143, 149, 153 और 506 की धाराएँ लगाई हैं। धारा 143 और 149 अवैध भीड़ का हिस्सा होना है। इन धाराओं में आरोप सिद्ध होने पर 6 माह की जेल का प्रावधान है। जबकि धारा 153 उपद्रव फैलाने की कोशिश और भड़काऊ भाषण देने के लिए है। इस धारा आरोप साबित होने पर एक वर्ष के कारावास की सज़ा हो सकती है। धारा 506 आग से जलाने की धमकी देना है और इस धारा में आरोप साबित होने पर सात साल की सज़ा हो सकती है।
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