उधर, पिटाई करने वालों ने दावा किया था कि चूड़ी वाला स्वयं को हिन्दू बताकर मोहल्ले में चूड़ियां बेचा करता था। रविवार को असलियत सामने आयी कि वह हिन्दू नहीं बल्कि मुसलमान है। क़ानून अपने हाथ में लेने वालों का आरोप यह भी था कि चूड़ी वाले ने चूड़ी पहनाने की आड़ में महिला से छेड़छाड़ और बदसुलूकी की।
यह मामला सोमवार को पूरे दिन मीडिया की सुर्खियों में रहा। इस बीच पुलिस ने वीडियो में चूड़ी वाले को पीटते नजर आये दो अभियुक्तों को इंदौर से और तीसरे को ग्वालियर से गिरफ्तार कर लिया।
प्रदर्शन करने वालों पर केस
गिरफ़्तारी के अलावा पुलिस ने रविवार रात को थाने पर प्रदर्शन करने वाली भीड़ में दो दर्जन लोगों की पहचान करते हुए उनके ख़िलाफ़ नामजद मुक़दमा भी दर्ज किया है। अशांति भंग करने और उन्माद भड़काने समेत विभिन्न धाराएं इन पर लगाई गई हैं।
पूरे दिन उठा बस एक ही सवाल!
चूड़ी वाले पर जो आरोप लगाए जा रहे हैं उसको लेकर सवाल उठ रहे हैं। यदि चूड़ी वाले ने किसी महिला से छेड़छाड़ की थी तो छेड़छाड़ की शिकार महिला पुलिस से शिकायत करने क्यों नहीं पहुंची? सोमवार शाम को एक किशोरी पुलिस के समक्ष पहुंची। उसने शिकायत की कि रविवार को जब उसके माता-पिता घर में नहीं थे तब चूड़ी वाला उसके घर पहुंचा था।
चूड़ी पहनने की इच्छा जताये जाने पर चूड़ी पहनाते समय उसने बदनीयती दिखाई थी और छेड़छाड़ की थी। शोर मचाने पर चूड़ी वाला जान से मारने की धमकी देते हुए भाग खड़ा हुआ था।
किशोरी ने शिकायत में यह भी बताया कि चूड़ी वाला जल्दबाजी में अपना झोला उसके घर छोड़ गया था। झोला देखा था तो उसमें अलग-अलग नामों वाले दो आधार कार्ड मिले थे। लोक-लाज के भय से परिवार वाले और वह (किशोरी) स्वयं रविवार को पुलिस में रिपोर्ट लिखाने नहीं पहुंचे थे।
बहरहाल, छठी कक्षा में पढ़ने वाली इस किशोरी की शिकायत पर इंदौर पुलिस ने सोमवार शाम छह बजे तसलीम (चूड़ी वाले) के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज कर ली।
तसलीम पर लगी ये धाराएं
पुलिस ने तसलीम के ख़िलाफ़ भादवि की धारा 354 पॉक्सो एक्ट के साथ 354क, 467, 468, 471, 420, 506 और लैंगिक अपराधों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा 7 और 8 भी लगाई है।
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