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एमपी में ताबड़तोड़ ED-IT रेड, निशाने पर कौन?

मध्य प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के बीच पिछले दो दिनों से ताबड़तोड़ ईडी और इनकम टैक्स के छापे क्यों पड़े हैं? इनकम टैक्स ने दो दिन पहले भोपाल, इंदौर और ग्वालियर में तीन कारोबारियों के यहां छापे मारे। कुल 52 जगहों पर छापे मारे गए। इसमें से भोपाल में 49 जगह छापेमारी हुई। क्या इन छापों का संबंध विधानसभा में लिए गए रिटायर्ड अफसरों के नाम लेने से भी जुड़ा है?

दरअसल, छापेमारी में कुछ ऐसे भी कारोबारी हैं, जिनके तार मध्य प्रदेश राज्य के रसूखदारों से जुड़े हुए हैं। रसूखदारों में मौजूदा और रिटायर्ड नौकरशाहों के अलावा अनेक नेताओं के नामों की गूंज हो रही है।

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जिन कारोबारियों के यहां छापा मारा गया उनमें रियल एस्टेट और खनिज कारोबार से जुड़े राजेश शर्मा, रियल एस्टेट कारोबार से जुड़े रामवीर सिंह और क्वालिटी एवं ईशान बिल्डर के ठिकानों पर छापे मारे गए।

बीते दो दिनों से चल रही छापे की कार्रवाई में बड़ी तादाद में नकदी और प्रॉपर्टी में भारी निवेश के दस्तावेजों के साथ काफी कुछ मिला है। बड़ी संख्या में लॉकर मिले हैं। इन लॉकरों को भी इनकम टैक्स खंगाल रही है।

इस पूरे मामले के बीच आयकर विभाग को भोपाल के मेंडोरा-मेंडोरी क्षेत्र के जंगल में गुरुवार एवं शुक्रवार की दरमियानी रात करीब 2 बजे एक कार से 52 किलो सोना मिला। इसके अलावा, 11 करोड़ रुपए कैश भी बरामद हुए हैं। सोने की कीमत करीब 40 करोड़ 47 लाख रुपए आंकी गई है। अभी ये साफ़ नहीं है कि ये सोना और नकदी किसका है।
इस पूरी जब्ती को भी रियल एस्टेट कारोबारियों पर अलग-अलग एजेसियों की छापेमारी की कार्रवाई से ही जोड़कर देखा जा रहा है। हालांकि अभी इनकम टैक्स विभाग किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा है और जांच में जुटा हुआ है।
बता दें कि जिन कारोबारियों के यहां छापा मारा गया है उनमें कुछ के तार मध्य प्रदेश के बड़े नौकरशाहों (मौजूदा और रिटायर्ड बड़े अफसरों) से जुड़े होने के आरोप लग रहे हैं।
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मध्य प्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र शुक्रवार को समाप्त हुआ है। इनकम टैक्स ने जिस दिन छापा मारा था, उस दिन मप्र विधानसभा में उप नेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे ने राज्य के एक रिटायर्ड बड़े अफसर सहित कई नाम सदन में लिए थे।

पूरे घटनाक्रम के बाद से यह सवाल बना हुआ है कि यदि कटारे के आरोप सही हैं तो उस अफसर का मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार में लंबे समय तक दबदबा कैसे रहा? उच्च पद पर वे आसीन रहे। प्रधानमंत्री कार्यालय ने कथित तौर पर उन्हें दो बार एक्सटेंशन दिया।

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संजीव श्रीवास्तव
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