मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार को अल्पमत में बताते हुए इसे गिराने की बार-बार गीदड़ भभकियाँ देने वाली बीजेपी पर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ कर दी। बीजेपी के दो विधायकों को तोड़कर उन्होंने कर्नाटक के ‘नाटक’ का कुछ ही घंटों में बीजेपी से ‘बदला’ ले लिया। पूरे घटनाक्रम के बाद कांग्रेस की ओर से दावा किया जा रहा है कि यह तो शुरुआत है। बीजेपी के पाँच विधायक संपर्क में होने का दावा भी कांग्रेस खेमे ने किया। पूरे घटनाक्रम के बाद भोपाल से लेकर दिल्ली तक बीजेपी हक्का-बक्का है और फ़िलहाल उसे कुछ सूझ नहीं रहा है। हालाँकि पूर्व संसदीय मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ विधायक नरोत्तम मिश्रा ने कहा, ‘खेल कांग्रेस ने शुरू किया है - उसे ख़त्म बीजेपी करेगी।’
पूरे घटनाक्रम में बेहद दिलचस्प तथ्य यह रहा कि बुधवार को विधानसभा में ख़ुद ट्रेजरी बेंच (सरकार) की ओर से वोटिंग की माँग हुई। वोटिंग के वक़्त तक बीजेपी को इल्म नहीं था कि उसके (बीजेपी के) साथ बेहद करारी चोट होने वाली है। एडवोकेट प्रोटेक्शन बिल पर सरकार का सहयोग कर रहे बसपा के सदस्य संजीव सिंह ने मतदान कराये जाने की माँग की। वोटिंग हुई तो कांग्रेस के पक्ष में 122 वोट पड़ गये।
बता दें कि कुल 230 सदस्यीय मध्य प्रदेश विधानसभा में कांग्रेस के 114 विधायक हैं। बसपा के दो, सपा के एक और चार निर्दलीय विधायक सरकार का समर्थन कर रहे हैं। इस तरह से कुल संख्या 121 है। बीजेपी के 109 विधायक थे। झाबुआ के बीजेपी विधायक गुमान सिंह डामोर झाबुआ सीट से सांसद हो गये हैं और इसके बाद यह सीट खाली हो गई है। यानी बीजेपी के पास 108 विधायक ही बचे थे।
बुधवार को सदन में वोटिंग हुई तो 108 में से दो बीजेपी का साथ छोड़ गये।
वोटिंग के कुछ देर पहले ताल ठोकते हुए नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने दावा किया था, ‘नंबर एक (इशारा नरेंद्र मोदी) और नंबर दो (अमित शाह) का आदेश मिले तो एक ही दिन में कांग्रेस की सरकार को गिरा देंगे।’ भार्गव के इस दावे की कांग्रेस ने थोड़ी देर बाद ही हवा निकाल दी।
मतदान में बीजेपी के नारायण त्रिपाठी (सतना ज़िले के मैहर से आते हैं) और शरद कोल (शहडोल के ब्यौहारी से विधायक) ने पाला बदलते हुए कांग्रेस के पक्ष में वोट कर दिया।
नारायण त्रिपाठी और शरद कोल मूलत: कांग्रेसी ही हैं। एक समय में दोनों कांग्रेस का हाथ छोड़कर बीजेपी के साथ हो गये थे। बुधवार को दोनों ने वोट के बाद एक-सी बात कही, ‘बीजेपी में दम घुट रहा था। क्षेत्र के विकास की वजह से बीजेपी में गये थे। धोखा मिला। विकास नहीं हुआ। थोथे वादे और झूठी घोषणाएँ भर बीजेपी की सरकार में होती रहीं। अब घर लौट आये हैं।’ कोल ने तो कमलनाथ को स्वयं का आइकॉन भी बताया।
विधानसभा में कांग्रेस ने 2013 जैसा ‘धमाका’ किया
मध्य प्रदेश विधानसभा में बुधवार को जो कुछ हुआ (सदन के भीतर बीजेपी के दो विधायक टूट गये) उसने 2013 के दृश्य को दोहरा दिया। दृश्य में फ़र्क इतना रहा तब (2013 में) बीजेपी ने कांग्रेस को ‘धीरे से जोर का झटका’ दिया था, जबकि आज कांग्रेस ने बीजेपी को उससे तगड़ा झटका दे दिया। कांग्रेस तब प्रतिपक्ष में थी और शिवराज सरकार के विरोध में अविश्वास प्रस्ताव लेकर आयी थी। अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा आरंभ होने के ठीक पहले कांग्रेस विधायक दल के उपनेता चौधरी राकेश सिंह ने अपने ही दल को कठघरे में खड़ा करते हुए प्रस्ताव की हवा निकाल दी थी। राकेश सिंह बाद में बीजेपी में शामिल हो गए थे। हालाँकि अब वह भी कांग्रेस में वापस लौट आये हैं।
कमलनाथ के चेहरे पर मुस्कान
सदन में बीजेपी को करारा झटका देने के बाद मीडिया के सामने पहुँचे मुख्यमंत्री कमलनाथ के चेहरे पर उनकी चिर-परिचित मुस्कान लंबे अर्से बाद दिखलाई पड़ी। आत्म विश्वास से लवरेज नाथ ने कहा, ‘बीजेपी पिछले छह महीनों से सरकार को अल्पमत में बता रही है। हमने आज एडवोकेट प्रोटेक्शन बिल में वोटिंग के ज़रिये मुंगेरीलाल के हसीन ख्वाब देखने वाली बीजेपी को बता दिया है कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार पूरे पाँच बरस चलेगी।’
शिवराज और भार्गव बगलें झाँकते नज़र आये
घटनाक्रम से से चकित पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ विधायक शिवराज सिंह चौहान तथा नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव बगलें झाँकते दिखाई पड़े। शिवराज सिंह ने संक्षिप्त प्रतिक्रिया में कहा, ‘ऐसा तमाशा नहीं देखा। सच जल्दी सामने आयेगा।’ उधर ‘कमलनाथ सरकार गिराने के लिए नंबर वन-नंबर टू के आदेश’ की बात कहने वाले भार्गव गोलमोल जवाब देते हुए मीडिया से बचकर निकल गये।
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